खबर लहरिया क्राइम धर्म नगरी चित्रकूट में बढ़ते दंगों पर कविता हैं चिंतित देखें “द कविता शो” एपिसोड 76

धर्म नगरी चित्रकूट में बढ़ते दंगों पर कविता हैं चिंतित देखें “द कविता शो” एपिसोड 76

द कविता शो एपिसोड 76

पिछले कयी दिनों से दिल बहुत ही दुखी हैं चित्रकूट जिला की धर्म नगरी कहां जाने वाला रामघाट और जानकी कुंड से दो बच्चों का अपहरण और फिर फिरौती के बाद हत्या कर दी जाती है हैं बच्चों की लाश बांदा जिला के मर्का थाना के दादौ घाट पर तैरती मिलती है इस घटना से यूपी और एमपी की जनता दुखी हैं लोगों ने आक्रोश दिखाया लेकिन पुलिस उल्टा जनता को दौड़ा दौड़ा कर मारा कयी लोगों को पुलिस ने जबरदस्ती जेल में भी बन्द कर दिया है
इस घटना की रिपोर्टिंग करने के लिए मैं और मेरी एक पत्रकार साथी निकल पड़े हमने आटो ली कर्वी से लेकिन आटो को पुलिस ने बेड़ी पुलिया में रोक लिया वहां से हमने बैट्री वाला रिक्शा लिया रिक्शा ने बीच रास्ता में ही धोखा दिया बैट्री ही खत्म हो गई फिर हमने कीसी मोटर साईकिल में लिफ्ट दी और जानकी कुण्ड तक गये जहां बच्चो का स्कूल है हम जाते ही देगें की हत्या की हजारों की संख्या में भीड़ हैं पुलिस फोर्स भी लगी है जनता मुर्दा बाद के नारे लगा रही है हमने अपना कैमरा निकाला और लाइव करने की तैयारी करने लगे जैसे ही हमने माईक लगा कर कैमरा आन किया कि पथराव शुरू हो गया पुलिस ने लोगों को खदेड़ खदेड़ कर मारना शुरू कर दी झुंड में भीड़ भी रही थी ऐसे लग रहा की हम भी नहीं बच पायेंगे हजारों हजार की भीड़ में हम लोग महिला रिपोर्टर थे जिन लोगों को पुलिस गिरा गिरा कर मारा रही थी लोग हमारे ऊपर चिपक जाती रहे थे कि महिलाएं हैं बचा लेगी लेकिन पुलिस ने किसी को नहीं छोड़ा
जो बच्चो को मारा गया था उनके बूढ़े बाबा को भी पुलिस ने डंडा मारकर बीच सड़क में गिरा दिया था हमारे आंखों के सामने पुलिस नू दस से पंद्रह लाठी बाबा जी को मारा वो खून से वहां गये हमने भी अपनी जान बचा कर किसी के घर में जबरदस्ती घुसने और बच्चो के बाबा को पकड़ कर बैठाया पूरी सड़क में भगदड़ में उतरी चप्पले बिखरी साईकिल और मोटर साइकिल ही दिख रही थी देखते ही दूखते कर्फ्यू लगा दिया गया हम मारे डर थर थर कप रहें थे जिनको पुलिस ने मारा था वो चीख रहे थे तो रहे थे मैंने अपनी पत्रकारिता के 17साल के अनुभव में पहिली बार ऐसा देखा
आखिर पुलिस ने पब्लिक को क्यों मारा ये क्या पुलिस को लाठीचार्ज करने का अधिकार है मैं ये पूछना चाहती हूं कि आखिर पब्लिक की इसमें क्या गलती थी वो दो बच्चों को सही सलामत न पकड़े जाने पर आवाज उठा रहे थे लेकिन ये हिंसा पुलिस नहीं करनी चाहिए थी
आखिर एमपी और यूपी की पुलिस दो सही सलामत बच्चों को क्यों नहीं ढूंढ पाई । 12फरवरी को इतने सुरक्षा वाले स्कूल से क्यों अपहरण हो गया उस समय स्कूल के गाड क्या कर रहे थे अपहरण के बाद यूपी और एमपी की सीमा सील कर दी गई थी इसके बाद अपराधी बच्चो को लेकर चार पहिया गाड़ी में एमपी और यूपी के इलाहाबाद,चित्रकूट,अतर्रा,और बादा में कैसे घूमते रहे इस गाड़ी की जांच क्यों नहीं की गई इस पूरी घटना की जिम्मेदार पूरी तरह से पुलिस और प्रसाशन है
जिस तरह का खुलासा एमपी के आई ने किया वो भी चौंकाने वाले हैं आई ने बताया कि बच्चो बच्चों के अपहरण कर्ताओ में एक बच्च़ो को ट्यूशन पढ़ाने वाला टीचर जो मुख्य आरोपी हैं जो बजरू दल का क्षेत्रीक्ष संयोजक है दूसरा उसी का भाई है तीसरा बदरंग
सदगुरू संघ ट्रस्ट के मंदिर का पुजारी हैं एक बांदा के तेदुरा का लकी और दो लोग और शामिल हैं फिरौती देने गये थे वो लोग बांदा और बदौसा के बीच में जब बीस लाख रूपरेखा रख कर आने लगे तब बदमाशों ने जिस गाड़ी को लेकर पैसा का बैग उठा कर वापस होने लगे तो पीछे से गाड़ी की फोटो खींच ली गई जिसपर गाड़ी का नम्बर भी आ गया और वो नम्बर सारे अपराधियों को पकड़ने में मदद किया जिसमें सभी का परत दर परत खूलासा होता गया आईजी ने ये भी बताया कि सबसे दुखद बात है जिस गाड़ी में बच्चों को 12दिन तक घुमाया गया उसमें भाजपा का झंडा लगा था फिरौती कि राशि लेने आई मोटर साइकिल में राम राज्य लिखा था ये सारा खुलासा देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें किसी राजनीतिक पार्टी का हाथ हो सकता है
भाजपा और बजरंग दल के दबाव के कारण तो कहीं पुलिस बच्च़ो को ढूंढने में नाकाम नहीं रही
बच्चों की लास मिलते ही इतने सारे सटीक जांच कैसे हो गयी पैसे भी 17लाख 67 हजार रूपये बरामद कर लिया तो फिर जिन्दा बच्चे क्यों नहीं पकड़ पाई पुलिस