सफाई कर्मचारी ने पुलिस को स्पष्ट रूप से यह कहा है कि वह इस मामला से संबंधित सभी राज जानता है और इस घटना को अंजाम देने वाले लोगों के बारे में भी जानता है लेकिन ये सब वो तभी बताएगा जब उसे पुलिस के द्वारा सुरक्षा की गैरेंटी मिलेगी।
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक खबर खूब वायरल हो रहा है जो हैरान कर देने वाला है। दरअसल कर्नाटक के तटीय शहर मंगलुरु के धार्मिक स्थल धर्मस्थला में 100 लाशें एक साथ एक ही जगह पर दफनाया हुआ पाया गया। यहां के एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि 1995 से 2014 के बीच उसे लगभग सौ से अधिक महिलाओं और नाबालिगों के शव दफनाने या जलाने के लिए मजबूर किया गया। इन महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और हिंसा के स्पष्ट निशान थे। इस खुलासे ने पूरे धर्मस्थल और कर्नाटक की जनता को झकझोर कर रख दिया है।
मामला कब आया सामने
न्यूज़ 18 के खबर के अनुसार, यह घटना तब सामने आया जब एक मेडिकल छात्रा का लापता होने के मामले में पुलिस के दौरान जांच चल रही थी। तभी एक मानव मस्तिसक (खोपड़ी) पुलिस को मिला। तभी अचानक एक सफाई कर्मचारी सामने आते हैं और खूद ही बयान देते हैं कि 1995 से 2014 के बीच करीब 100 लाशें दफना चुका है। धर्मस्थल की एक प्रतिष्ठित धार्मिक संस्था में काम कर चुके इस व्यक्ति ने 12 जुलाई को बेल्थांगडी तालुका के न्यायाधीश के सामने बीएनएनएस की धारा 183 (पूर्व की सीआरपीसी की धारा 164) के तहत विवरण दर्ज कराया। उसने दावा किया कि उसे पहले जान से मारने की धमकी दी गई थी इसलिए वह अब तक चुप रहा। उसने यह भी कहा है कि “मैं सब बताने को तैयार हूं लेकिन मुझे बस सुरक्षा चाहिए” उस सफाई कर्मचारी ने पुलिस को स्पष्ट रूप से यह कहा है कि वह इस मामला से संबंधित सभी राज जानता है और इस घटना को अंजाम देने वाले लोगों के बारे में भी जानता है लेकिन ये सब वो तभी बताएगा जब उसे पुलिस के द्वारा सुरक्षा की गैरेंटी मिलेगी। उसका कहना है कि वह इतने सालों तक चुप रहा क्योंकि उसे उस समय के उसके वरिष्ठ अधिकारियों ने जान से मारने की धमकी दी थी।
थाने में दर्ज किया गया मामला
इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 211(ए) के तहत धर्मस्थल थाने में केस दर्ज किया गया है। इस केस की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) एसआईटी बनाई गई है। इस एसआईटी को न केवल इस एक मामले की बल्कि राज्य के सभी थानों में दर्ज हुए या भविष्य में दर्ज होने वाले ऐसे ही मामलों की जांच करने का अधिकार दिया गया है। पुलिस महानिदेशक डीजीपी प्रणब मोहंती, डीआईजी, रिक्रूटमेंट एम. एन. अनुचेत (जो पहले गौरी लंकेश हत्या मामले की जांच से जुड़े रहे हैं), बेंगलुरु सिटी आर्म्ड रिज़र्व हेडक्वॉर्टर की डीसीपी सौम्या लता और इंटरनल सिक्योरिटी डिविजन के, बेंगलुरु के एसपी जितेंद्र कुमार इन सभी मामलों को एसआईटी को सौंपेंगे और जांच के लिए जरूरी पुलिसकर्मी और संसाधन भी मुहैया कराएंगे। यह एसआईटी दक्षिण कन्नड़ जिले के पुलिस दफ्तर के संसाधनों का उपयोग करके काम करेगी और अपनी जांच की रिपोर्ट समय-समय पर डीजीपी को देती रहेगी। जांच पूरी होने के बाद पूरी रिपोर्ट सरकार को डीजीपी के जरिए जल्दी से जल्दी भेजी जाएगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस गोपाल गौड़ा समेत कई वरिष्ठ वकीलों ने मांग की थी कि इसमें विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया जाए।
जांच की रफ्तार पर उठे सवाल
यह मामला सामने आने के बाद अब कर्नाटक सरकार ने स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीमएसआईटी गठित कर दी है। एसआईटी की अगुवाई DGP रैंक के अधिकारी प्रणब मोहंती मामले के जांच कर रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि जांच बेहद धीमी है, और पुलिस आरोपियों को बचाने या सबूत हटाने का समय दे रही है। अब तक शिकायतकर्ता को घटनास्थल तक नहीं ले जाया गया है जहां उसने कब्रें खोदकर कुछ सबूत भी दिखाए थे।
मां ने उठाई डीएनए टेस्ट की मांग
सूत्रों के अनुसार इस मामले में खुलासे के बाद एक सुजाता भट्ट नामक महिला सामने आई है। सुजाता ने बताया कि उनकी बेटी अनन्या भट्ट 22 साल पहले अचानक गायब हो गई थी। उन्होंने मांग की है कि अगर कब्रों से शव निकलते हैं तो डीएनए टेस्ट कराया जाए ताकि उनके बेटी की के बारे में उन्हें पता लग सके। दरअसल सालों से दबे इस मामले ने सैंकड़ों परिवारों जिनके अपने गुम हुए हैं उनकी उम्मीदें जगा दी है।
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