कपिलधारा जलप्रपात/ झरने का ज़िक्र पुरानी लोककथाओं में भी मिलता है। “कपिलधारा” का मतलब है “कपिल का निवास”। माना जाता है कि यह जलप्रपात महान ऋषि ‘कपिल’ के नाम पर रखा गया है, जो यहां रहते थे।
कपिलधारा जलप्रपात, प्रकृति की गोद से जन्मा एक खूबसूरत झरना है जो मध्य प्रदेश के अमरकंटक क्षेत्र में स्थित है। यह माना जाता है कि यह जलप्रपात नर्मदा कुंड से बहने वाली नर्मदा नदी का पहला प्रपात है, जो लगभग 100 फीट ऊँची चट्टान से गिरकर एक घाटी में गिरती है।
जंगलों और पहाड़ियों की ओट में बसा यह जलप्रपात अपनी जैव विविधता की वजह से भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
जानकारी के अनुसार, यह एक तीर्थ स्थल भी है जिसकी अपनी धार्मिक मान्यता है। इस तरह से यह जगह प्रकृति प्रेमियों के साथ, आस्था रखने वाले लोगों का भी ध्यान अपनी ओर खींचती है।
ये भी पढ़ें – अमरकंटक का विकास कब और किस तरह हुआ शुरू?
कपिलधारा जलप्रपात कैसे बना?
नर्मदा नदी और नर्मदा कुंड, जो कपिलधारा जलप्रपात का स्रोत हैं, इस जलप्रपात का निर्माण करते हैं। मौजूदा जानकारी के अनुसार, नर्मदा नदी में दो और नदियाँ हैं, ‘कपिला’ और ‘एरंडी’, जो मिलकर जलप्रपात में पानी का बहाव बनाती हैं।
जलप्रपात के तल पर एक घाटी भी बनी हुई है जो कि लगभग 20 से 25 फीट गहरी है। बताया जाता है कि यह गहरी घाटी गिरने वाली जलधारा की विशाल शक्ति से बनी है।
कई ट्रेवलर्स ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि यहां की सीढ़ियां अब घिस-पिट चुकी हैं और अब इस्तेमाल में नहीं हैं।
कपिलधारा जलप्रपात का नाम कैसे पड़ा?
मौजूदा रिपोर्ट्स के अनुसार, कपिलधारा जलप्रपात/ झरने का ज़िक्र पुरानी लोककथाओं में भी मिलता है। “कपिलधारा” का मतलब है “कपिल का निवास”। माना जाता है कि यह जलप्रपात महान ऋषि ‘कपिल’ के नाम पर रखा गया है, जो यहां रहते थे। तथाकथित कथाओं के अनुसार, कुछ शास्त्रों में यह कहा गया है कि ऋषि कपिल या कपिल मुनि ने यहाँ गहरी तपस्या की थी, जिसकी वजह से उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और आखिर में उन्हें दिव्य प्रकाश प्राप्त हुआ। यह भी कहा जाता है कि यहीं पर कपिल मुनि ने “सांख्य दर्शन” (Sankhya Philosophy) नामक गणित पर आधारित पुस्तक भी लिखी थी।
कपिलधारा जलप्रपात के पास घूमने वाले स्थल
कपिलधारा जलप्रपात के पास घूमने के लिए और भी कई पर्यटन स्थल हैं। जैसे – अमरकंटक मंदिर, नर्मदा उद्गम मंदिर, नर्मदा और सोन नदियों का संगम, कपिलधारा जलप्रपात, कबीर चबूतरा इत्यादि।
अमरकंटक मंदिर परिसर में कई मंदिर हैं जो भगवान शिव, देवी नर्मदा और अन्य देवताओं को समर्पित हैं। बताया जाता है कि ‘नर्मदा उद्गम मंदिर’ उस स्थान पर बना है, जहाँ नर्मदा नदी का उद्गम होता है। नर्मदा नदी भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक मानी जाती है, और कहा जाता है कि यह नदी उल्टी बहती है।
‘दूध धारा जलप्रपात’ के पास एक और महत्वपूर्ण स्थल है, जो अपने दूध जैसे सफेद पानी के लिए प्रसिद्ध है, इसी कारण इसका नाम “दूध धारा” पड़ा। आप ‘सोन्मूदा’ भी जा सकते हैं, जो कपिलधारा जलप्रपात के पास स्थित है। यह सोन नदी का उद्गम स्थल है और यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा बेहद सुंदर होता है।
कपिलधारा जलप्रपात घूमने का सबसे अच्छा समय क्या है?
जानकारी के अनुसार, कपिलधारा जलप्रपात देखने व घूमने का सबसे अच्छा समय सितंबर से जनवरी महीने तक होता है यानी मानसून के बाद। बारिश के समय यहां न आने की सलाह दी जाती है क्योंकि उस समय जगह फिसलन भरी और घातक हो जाती है। सर्दियों में यहां आना सुखद और खूबसूरत होता है। यात्री इसी अनुसार यहां आने का अपना प्लान बना सकते हैं।
कपिलधारा जलप्रपात पहुंचने का तरीका
मौजूदा जानकारी बताती है कि कपिलधारा जलप्रपात पहुँचने के लिए, सबसे पहले आपको अमरकंटक जाना होगा, जो जलप्रपात से लगभग छह किलोमीटर दूर है। अमरकंटक, बिलासपुर से लगभग 120 किलोमीटर,रायपुर से 230 किलोमीटर और जबलपुर से करीब 245 किलोमीटर दूर है।
पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन, यहाँ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। जलप्रपात जाने के लिए कार किराए पर लेना सबसे अच्छा रहता है।
तो यह थी कपिलधारा जलप्रपात के बारे में जानकारी है लेकिन इसकी कहानी सिर्फ यहां तक नहीं है। आप इस जलप्रपात का दौरा करिये और खुद समझिये इस झरने की कहानी।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’