जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भारत के 50वें चीफ जस्टिस के रूप में 9 नवंबर को शपथ लेंगे। वह जस्टिस उदय उमेश ललित (65 वर्ष) का स्थान लेंगे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भारत के 50वें चीफ जस्टिस/ मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) के रूप में 9 नवंबर को शपथ लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 17 अक्टूबर को संविधान द्वारा दी गयी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है। नए मुख्य न्यायधीश के रूप में उनका कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा।
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जस्टिस यूयू ललित की जगह लेंगे जस्टिस चंद्रचूड़
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस उदय उमेश ललित (65 वर्ष) का स्थान लेंगे। न्यायमूर्ति ललित सीजेआई के पद से 8 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं और पद पर उनका 74 दिनों का छोटा कार्यकाल रहा है।
केंद्रीय कानून मंत्री ने दी नए सीजेआई की जानकारी
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की जानकारी ट्वीट कर दी। उन्होंने लिखा, “संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए माननीय राष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश डॉ. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को देश का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया है। यह नियुक्ति 9 नवंबर 2022 से प्रभावी होगी।’’
Extending my best wishes to Justice DY Chandrachud for the formal oath taking ceremony on 9th Nov. https://t.co/awrT3UMrFy pic.twitter.com/Nbd1OpEnnq
— Kiren Rijiju (मोदी का परिवार) (@KirenRijiju) October 17, 2022
नए सीजेआई की नियुक्ति हेतु कानून मंत्री ने की थी अपील
कानून मंत्री किरन रिजिजू ने 7 अक्टूबर 2022 को सीजेआई (CJI) यूयू ललित को चिट्ठी लिखकर उनसे उनके उत्तराधिकारी का नाम बताने की अपील की थी। परंपरा है कि मौजूदा सीजेआई अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने का आग्रह किया जाता है।
बता दें, सीजेआई ललित ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने के लिए 11 अक्टूबर को केंद्र से सिफारिश की थी।
जस्टिस चंद्रचूड़ कई ऐतिहासिक फैसलों का रहें हैं हिस्सा
जस्टिस चंद्रचूड़ कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहें हैं जिसमें अयोध्या भूमि विवाद, आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देना, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देना, व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखने वाली आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित करना आदि मामलों में
संविधान पीठ के सदस्य रह चुके हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान वर्चुअल सुनवाई शुरू करवाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हाल ही में एक संविधान पीठ की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दिया था। कहा गया कि यह अधिकार उन महिआलों के लिए लाभकारी होगा जिन्हें मज़बूरन गर्भधारण करना पड़ता है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत गर्भावस्था के 24 सप्ताह के समय में नियमों के अनुसार महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दिया गया।
– हादिया केस
केरल में अखिला अशोकन उर्फ हादिया (25) ने शफीन नाम के मुस्लिम लड़के से 2016 में शादी की थी। लड़की के पिता का आरोप था कि यह लव जिहाद का मामला है। उनकी बेटी का धर्म बदलवा कर जबरदस्ती शादी की गई है। इसके बाद हाईकोर्ट ने शादी रद्द कर दी और हादिया को उसके माता-पिता के पास रखने का आदेश दिया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने हादिया की शादी रद्द करने से संबंधित केरल हाईकोर्ट का आदेश खारिज कर दिया। इस मामले में जस्टिस चंद्रचूड़ और बेंच ने माना कि हादिया बालिग है और उसे अपनी मर्जी से शादी करने का पूरा अधिकार है।
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जस्टिस चंद्रचूड़ का सुप्रीम कोर्ट के जज तक का सफर
जस्टिस चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था वह सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में उन्हें 13 मई 2016 को नियुक्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति से पहले वह 31 अक्टूबर 2013 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ इससे पहले 29 मार्च 2000 से बाम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं। उन्होंने 1998 से बॉम्बे हाई कोर्ट में जज के रूप में अपनी नियुक्ति तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी काम किया था। उन्हें जून 1998 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।
जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता थे 16वें सीजेआई
बता दें, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ देश के 16वें सीजेआई थे। जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ पूरे सात साल चार महीने यानी 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तज प्रधान न्यायधीश रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट का जज रहते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ दो बार अपने पिता के फैसलों को पलट चुके हैं। इनमें एक मामला विवाहेतर संबंध और दूसरा निजता के अधिकार से जुड़ा हुआ है।
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