स्नेहा ने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा हमला होगा। मैं पहले भी घटनास्थल पर गई थी और तस्वीरें ली थीं और अपनी स्क्रिप्ट तैयार की थी। मैं उसका बयान भी लेना चाहती थी। लेकिन उसने कैमरे पर आने से इनकार कर दिया और अचानक मुझे पीटना शुरू कर दिया।”
महाराष्ट्र के पुणे में महिला पत्रकार स्नेहा बर्वे को लोहे की रॉड और डंडों से पीटने का वीडियो वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि पत्रकार अम्बेगांव तालुका के निघोटवाड़ी गांव में अवैध निर्माण और जमीन पर कब्ज़ा करने की रिपोर्टिंग करने गई थी। तभी वहां मौजूद कुछ लोगों ने पीटना शुरू कर दिया, जिससे उनके हाथ, पीठ और सिर पर गंभीर चोटें आईं।
यह घटना 4 जुलाई 2025 की है, लेकिन सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद यह मामला फिर से चर्चा में आ गया है। इसमें मुख्य आरोपी पांडुरंग मोर्डे को उस समय गिरफ्तार नहीं किया गया था।
27 वर्षीय पत्रकार स्नेहा बर्वे समर्थ भारत अखबार और एसबीपी यूट्यूब चैनल की संपादक हैं। 4 जुलाई को स्नेहा कैमरामैन, एजाज शेख के साथ रिपोर्टिंग के लिए गई थी। पुणे जिले में नदी किनारे अवैध रूप से निर्माण किया जा रहा है, लेकिन आरोपी और आरोपी के साथी को जब पता चला कि इसकी वीडियोग्राफी की जा रही है। तो स्नेहा पर हमला कर दिया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में स्नेहा पर हमले को देखा जा सकता है।
‘महाराष्ट्र का गुंडाराज’
पुणे में एक महिला पत्रकार अवैध निर्माण और अतिक्रमण की रिपोर्टिंग कर रही थी।
महिला पत्रकार को अपने खिलाफ रिपोर्टिंग करता देख शिंदे सेना का गुंडा पांडुरंग सखाराम मोर्डे भड़क गया। उसने अपने लोगों के साथ रिपोर्टिंग कर रही महिला पत्रकार को घेर लिया और खूब… pic.twitter.com/AUm9QVva4W
— Congress (@INCIndia) July 15, 2025
द वायर न्यूज़ ऐंजसी की रिपोर्ट में स्नेहा बार्वे ने घटना के बारे में बताते हुए कहा कि पांडुरंग मोर्डे (मुख्य आरोपी ने नदी का पानी रोकने के लिए दीवार खड़ी कर दी थी, जिससे सब्ज़ी मंडी में पानी भर सकता था। स्नेहा ने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा हमला होगा। मैं पहले भी घटनास्थल पर गई थी और तस्वीरें ली थीं और अपनी स्क्रिप्ट तैयार की थी। मैं उसका बयान भी लेना चाहती थी। लेकिन उसने कैमरे पर आने से इनकार कर दिया और अचानक मुझे पीटना शुरू कर दिया।”
मुख्य आरोपी को छोड़ पांच लोग गिरफ्तार
मंचर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक श्रीकांत कंकर ने दिप्रिंट को बताया कि जिस दिन घटना हुई यानी 4 जुलाई की रात ही एफआईआर दर्ज कर ली गई थी और पाँच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन बाद में ज़मानत मिलने पर रिहा कर दिया गया। पुलिस ने ये भी बताया कि मुख्य आरोपी पांडुरंग मोर्डे को इसलिए गिरफ्तार नहीं किया गया क्योंकि वह अपने पैर की सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती है।
मुख्य आरोपी पांडुरंग मोर्डे के राजनीतिक सम्बन्ध
द वायर की रिपोर्ट में बताया गया है कि पांडुरंग मोर्डे एक स्थानीय व्यवसायी है और उनका गहरा सम्बन्ध शिवसेना के शिंदे गुट और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार गुट से है। इसके साथ ही आरोपी के नाम दो आपराधिक रिकॉर्ड है। 2003 और 2007 में दर्ज दो अलग-अलग मामलों में हत्या और हत्या के प्रयास का आरोप लगाया गया है। एक मामले में उन्हें बरी कर दिया गया है और दूसरा मामला लंबित है। वह ज़मानत पर बाहर हैं।
पत्रकार पर हमले की अन्य घटना
पत्रकारों पर इस तरह का हमला और मारपीट का ये मामला पहला नहीं है, इससे पहले भी जिस किसी पत्रकार ने भ्रष्टाचार या जमीनी सच्चाई को उजागर करने की कोशिश की है उन पर इसी तरह के हमले किए गए हैं।
छतीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या का मामला इसी साल 3 जनवरी 2025 को बीजापुर में सड़क निर्माण कार्य में कथित भ्रष्टाचार उजागर करने पर हत्या कर दी गई थी। मुकेश चंद्राकर के शव को एक सेप्टिक टैंक में छिपा दिया गया और उसे सीमेंट से बंद कर दिया ताकि हत्या को छुपाया जा सके।
9 जून 2025 को छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में राजिम क्षेत्र के पितईबंद घाट (पैरी नदी) इलाके में अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग करने गए पत्रकार इमरान मेमन, थानेशवर साहू, जितेंद्र सिन्हा समेत 3 से 4 निजी चैनल के पत्रकार गए हुए थे। जैसे ही उन्होंने कैमरे से रिकॉर्डिंग शुरू की, वहां मौजूद रेत मफियाओं के गुर्गों द्वारा उन पर हमला किया गया। बताया जा रहा है कि इस दौरान हवाई फायरिंग भी की गई थी।
26 मई 2025 को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार के साथ कथित तौर पर बदसलूकी की गई। पत्रकार एक चाकू बाजी की घटना को लेकर खबर की जानकारी के लिए मेकाहारा अस्पताल पहुंचे थे। वहां प्राइवेट बाउंसर जतिन ने उन्हें अंदर जाने से मना किया। इसका विरोध करने पर गाली-गलौज करते हुए धक्का मुक्की की। इसकी सूचना मिलते ही दूसरे पत्रकार भी पहुंच गए। इसके बाद बाउंसर जतिन ने अपने बाकी दोस्तों को बुला लिया और पत्रकारों पर हमला कर दिया।
इस तरह के हमले पत्रकारों की सुरक्षा पर कड़े सवाल उठाती है, क्या भ्रष्टाचार और ईमानदारी को उजागर करने की पत्रकारों को इस तरह मारपीट और हत्या का सामना करना पड़ेगा? इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही है जो वास्तविक पत्रकारिता के मूल्यों को दबाने का प्रयास है। यहां सिर्फ वही पत्रकार जिन्दा और सुरक्षित बच सकता है, जो सच्चाई को तोड़मरोड़ कर लोगों के सामने प्रस्तुत करे और आरोपियों के अवैध कमों को छिपा सके, उन पर सवाल न उठाये और हाँ उनके समर्थन में खबर कर सके। जो भी इनके खिलाफ जायेगा उन पत्रकारों पर खतरा बना रहेगा।
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