खबर लहरिया Blog QS World University Ranking by Subject 2024 में जेनयू को मिला 20वां स्थान, भारत में इसकी छवि विरोध-विवाद तक सीमित क्यों? 

QS World University Ranking by Subject 2024 में जेनयू को मिला 20वां स्थान, भारत में इसकी छवि विरोध-विवाद तक सीमित क्यों? 

जेएनयू के अलावा भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (आईआईएम अहमदाबाद) ने व्यवसाय और प्रबंधन अध्ययन के लिए विश्व स्तर पर 22वां स्थान हासिल किया है। इसके बाद आईआईएम बैंगलोर और आईआईएम कलकत्ता ने 32वां और 50वां स्थान प्राप्त किया है। 

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                                                                                                                                                     JNU की तस्वीर (फोटो साभार – गूगल)

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का नाम हेडलाइंस में अब सकारात्मक नज़रिये से पढ़ा जा रहा है क्योंकि वह भारत में मौजूदा सभी भारतीय संस्थानों से आगे निकल गया है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में विकास अध्ययन पाठ्यक्रमों के लिए घोषित विषय 2024 (QS World University Rankings by Subject 2024) में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने वैश्विक स्तर पर 20वां स्थान हासिल किया है। 

जेएनयू के अलावा भी कई संस्थानों ने अन्य रैंकिंग प्राप्त की है। हम यहां जेएनयू को केंद्र में रखकर इसलिए बात कर रहें हैं क्योंकि इसकी छवि हमेशा से राष्ट्र विरोधी व राजनीति की तरफ दिखाई गई है। शैक्षणिक संस्थान होने के नाते इसे कभी उस तरह से चित्रित नहीं किया गया। 

देश की राजनीति में अगर कुछ भी हल-चल चल रही है तो उसकी प्रतिक्रिया जेएनयू में ज़रूर से देखने को मिलती है। इसलिए क्योंकि देश की हल-चल लोगों से जुड़ी है और राजनीति भी, जिसका असर उन पर पड़ता है। अलग-अलग राज्यों से आये छात्र इससे अलग नहीं होते। जेएनयू भी ऐसी ही जगह है जहां अलग-अलग वर्ग,जाति व राज्य के छात्र पढ़ाई के लिए हर साल आते हैं और अपने भविष्य को संवारते हैं। प्रतिक्रियायों में उठाये गए नारे मुख्यधारा मीडिया में कई बार तोड़-मोड़कर और विरोधपूर्ण तरह से दिखाये व सुनाये गए। इसका परिणाम यह भी हुआ कि इसकी वजह से कई छात्रों को जेल में भी डाल दिया गया। मुख्य वजह यह नहीं थी कि उन्होंने आवाज़ उठाई थी, या वह आवाज़ उठाना गलत था। गलती यह थी कि आवाज़ देश की सत्ता के खिलाफ उठाई गई थी। 

यहां छात्रों के आवाज़ उठाने को हमेशा से विरोध के ढांचे में डालकर दिखाया गया है। यहां सत्ता की ताकत से आवाज़ को हमेशा दबाते हुए देखा गया है। वह ताकत जो राजनीति में एक जगह से दूसरी जगह परिवर्तित होती रहती है। 

वह सत्ता जो अमूमन मीडिया द्वारा या नामी लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती है और उस सत्ता का असर होता है लोगों पर। इस तरह से एक तरफा तस्वीर बना दी जाती है कि यहां के छात्र तो विरोधी ही हैं।

ऐसे में इस बात पर गौर नहीं किया जाता कि यह तस्वीर उन युवाओं के भविष्य को किस तरह से प्रभावित कर सकती है। तस्वीर अगर बनानी है तो उसे हर पहलु से देखा जाना चाहिए।

जेएनयू ने वैश्विक स्तर पर रैंकिंग हासिल कर यह बता दिया है कि उनकी छवि वह नहीं है जो हमेशा से उन्हें लेकर दिखाई जा रही है। लोगों को अपनी छवि बदलने की ज़रूरत है। 

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भारत में अन्य शैक्षणिक संस्थानों की यह रही रैंक 

बता दें, जेएनयू के अलावा भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (आईआईएम अहमदाबाद) ने व्यवसाय और प्रबंधन अध्ययन के लिए विश्व स्तर पर 22वां स्थान हासिल किया है। इसके बाद आईआईएम बैंगलोर और आईआईएम कलकत्ता ने 32वां और 50वां स्थान प्राप्त किया है। 

आईआईटी दिल्ली ने शीर्ष 50 वैश्विक संस्थानों में 45वां स्थान हासिल किया है। इसी तरह, आईआईटी बॉम्बे ने इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी में अपनी 2023 रैंकिंग से दो पायदान आगे बढ़कर 45वां स्थान हासिल किया है। इसके अलावा, आईआईटी बॉम्बे इंजीनियरिंग मिनिरल्स और माइंस 25वें स्थान पर रही है। आईआईटी मद्रास ने पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में 29वीं रैंक हासिल की है। कुल मिलाकर, 12 भारतीय एचईआई (उच्च शिक्षा सूचना प्रणाली) शीर्ष 100 में शामिल रहे हैं। वहीं भारत के 69 एचईआई को 55 में से 44 विषयों में स्थान दिया गया है।

क्यूएस (QS) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत रिसर्च के लिए दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते केंद्रों में से एक है। 2017 और 2022 के बीच, भारत के रिसर्च उत्पादन में 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जिसने वैश्विक औसत को भी पार कर दिया है। 

 

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