जम्मू-कश्मीर सरकार ने अब यौन शोषण जैसे सन्दर्भ पर काफी बड़ा फैसला लिया है। जिसका उदाहरण नीचे दिए गए मामले से स्पष्ट किया जा सकता है।
अभी हाल ही में जम्मू-कश्मीर में सरकारी कर्मचारी द्वारा एक महिला के साथ अनचाहे यौन गतिविधि व यौन शोषण से जुड़ा एक मामला सामने आया है। जिसके चलते राज्य सरकार ने प्रावधानों में संशोधन करते हुए ये फैसला लिया है कि रणबीर दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, साक्ष्य अधिनियम और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपी को तीन साल से कम की सज़ा नहीं सुनाई जाएगी।
राज्य के कानून विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि सरकारी विभागों, संस्थानों, सार्वजनिक और अन्य हितधारकों द्वारा टिप्पणी और सुझाव की मांग के चलते, मौजूदा विधायी प्रावधान द्वारा महिलाओं के शोषण की जांच में कमी पाई गई है।
इसी ड्राफ्ट के संशोधन के अनुसार, जब कोई भी व्यक्ति, या एक सरकारी कर्मचारी इस तरह की स्थिति या भरोसेमंद रिश्ते का दुरुपयोग करते हुए शारीरिक या गैर भौतिक रूप से ज़बरदस्ती करता है, लाभ के बदले में महिला से यौन पक्ष की मांग करता है, तो अब से इस तरह के व्यक्ति को “छेड़छाड़” के अपराध में दोषी माना जाएगा।
“यौन शोषण से लेकर किसी भी प्रकार की अवांछित यौन गतिविधि, यौन रूप से स्पष्ट क्रियाएं जैसे स्पर्श करना, यौन संभोग के लिए निजी शरीर के हिस्सों को छूना, या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे संसाधनों पर ऐसी कोई भी गतिविधि का सामना करना ही लैंगिक पक्ष का उदाहरण है। ड्राफ्ट बिल में ये स्पष्ट किया गया है कि “पीड़िता की सहमति जैसे गलत उदाहरण अब बचाव के लिए पर्याप्त नहीं माने जाएंगे”।