वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज नोटबंदी की दूसरी सालगिरह पर इस मोहिम का बचाव करते हुए सोशल मीडिया की पोस्ट पर लिखते हुए कहा कि भारत को डिजिटाइजेशन की और लाने के लिए सिस्टम को झकझरोना जरूरी था। उन्होंने यह पोस्ट इसलिए किया क्योंकि विपक्षी दलों ने सरकार को लक्षित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से उनके इस फैसले पर माफ़ी मांगने को भी कहा था।
एक फेसबुक पोस्ट में, उन्होंने 8 नवंबर 2016 को उच्च मुद्रा नोटों पर पीएम मोदी के रातों-रात प्रतिबंध को “अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण निर्णयों की एक श्रृंखला में महत्वपूर्ण कदम” के रूप में वर्णित किया था।
अरुण जेटली ने लिखा था कि “नोटबंदी जैसी मोहिम की आलोचना यह है कि लगभग सारा धन बैंकों में जमा हो गया था। मुद्रा की जब्ती नोटबंदी का उद्देश्य नहीं थी। इसे औपचारिक अर्थव्यवस्था में प्राप्त करना और धारकों द्वारा कर चुकाना ही इसका व्यापक उद्देश्य था”।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की वार्षिक रिपोर्ट के बाद सरकार की भारी आलोचना के संदर्भ में 99.3 प्रतिशत प्रतिबंधित पैसा वापस आ गया था।
टैक्स चोरी पर लगाम
जेटली ने कहा कि नोटबंदी ने लोगों को पैसा जमा करने के लिए मजबूर किया – जिसके लेनदेन में गुमनाम लोग भी शामिल हैं। नकदी लेनदेन में शामिल विभिन्न पक्षों की पहचान का पता नहीं चल पाता है और जिससे टैक्स चोरी को बढ़ावा मिलता है। नोटबंदी ने लोगों को खुद के पास रखे नोट बैंकों में जमा कराने को मजबूर किया है। भारी मात्रा में नकदी जमा करानेवालों से पूछताछ के बाद 17 लाख 42 हजार संदिग्ध खाताधारकों की पहचान हुई थी। उन पर दंडात्मक कार्रवाई भी हुई है।
प्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि
वित्त मंत्री ने कहा कि अचानक नोट प्रतिबंध पर कर संग्रह में बड़ी वृद्धि हुई है और अतिरिक्त संसाधनों का इस्तेमाल बुनियादी ढांचे, सामाजिक क्षेत्र और गांवों में सरकार द्वारा किया गया है। “मई 2014 में, जब वर्तमान सरकार चुनी गई थी, आयकर रिटर्न के फाइलर्स की कुल संख्या 3.8 करोड़ थी। इस सरकार के पहले चार वर्षों में, यह संख्या 6.86 करोड़ तक बढ़ गई है। जब इस सरकार के पहले पांच वर्ष ख़त्म हो जायेंगे, तब तक हम निर्धारिती के आधार को दोगुना करने के करीब पहुँच जायेंगे” ।
डिजिटाइजेशन की तेज़ रफ़्तार
जेटली के मुताबिक डिजिटल लेनदेन में वृद्धि हुई है। और कहा कि वीज़ा और मास्टरकार्ड, यूपीआई और रुपे कार्ड के मुताबिक, भारतीय बाजार में हिस्सेदारी खो रहे थे।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2016 में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) का शुभारंभ हुआ है। इसके चलते मोबाइल के जरिए एक-दूसरे के बीच झट से पेमेंट किए जाने की व्यवस्था है। अक्टूबर 2016 में 50 करोड़ यूपीआई ट्रांजैक्शन किए गए थे, जो सितंबर 2018 में बढ़कर 5 खरब 98 अरब हो गए। नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने त्वरित लेनदेन के लिए भारत इंटरफेस फॉर मनी (भीम) ऐप बनाया। अभी 1.25 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। सितंबर 2016 में भीम ऐप से 2 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था जो सितम्बर 2018 में बढ़कर 70 अरब 60 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जून 2017 में कुल यूपीआई ट्रांजैक्शन का कुल 48 प्रतिशत ट्रांजैक्शन भीम के जरिए हुआ था।<
जेटली ने कहा कि जीएसटी या सामान और सेवा कर के साथ, नोटबंदी ने बड़े पैमाने पर नकदी लेनदेन को रोक दिया था। “डिजिटल लेनदेन में वृद्धि दिखाई दे रही है। अर्थव्यवस्था के इस औपचारिकरण ने पूर्व जीएसटी शासन में 6.4 मिलियन से करदाता आधार वृद्धि को, जीएसटी शासन के बाद 12 मिलियन करदाताओं को बढ़ा दिया है।
“उसी में आगे जोड़ते हुए उन्होंने ये भी कहा कि “अधिक औपचारिकरण मतलब अधिक राजस्व, गरीबों के लिए अधिक संसाधन, बेहतर बुनियादी ढांचा, और हमारे नागरिकों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता।”