क्या भारतीय पत्रकारों के व्हाट्सएप में लगा सेंध :
30 अक्टूबर को व्हाट्सएप के एक खुलासे से हड़कंप मच गया जिसमें उसने कहा कि स्पाईवेयर पीगासस(एक ऐसा सॉफ्टवेयर जो व्हाट्सएप के अन्दर की जानकारी भी निकाल सकता है ) जिसके ज़रिये भारतीय पत्रकारों के व्हात्सप्प में सेंध लगाई जा सकती है
भारत में भी एक्टिव था और यहां के लोगों की भी जासूसी कर रहा था. व्हाट्सएप ने मीडिया को बताया कि भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्त्ता इस जासूसी का टार्गेट थे, लेकिन कंपनी ने ये नहीं बताया है कि इस स्पाईवेयर के जरिए कितने भारतीय लोगों की जासूसी की गई है. पीगासस नाम का ये स्पाईवेयर भारत में काफी समय से है और समय-समय पर इससे लोगों की जासूस की जाती रही है. चूंकि, पीगासस का इस्तेमाल कोई आम शख्स नहीं कर सकता है इजरायल की NSO ग्रुप ने इसे सरकारों के लिए डिजाइन किया है, ताकि जरूरत पड़ने पर कंपनी की सहायता लेकर पीगासस के जरिए जासूसी की जा सके. व्हॉट्सएप ने कहा है कि वह एनएसओ समूह के खिलाफ मुकदमा करने जा रही है। वॉट्सऐप ने इल्जाम ये लगाया है कि पीगासस के जरिये अज्ञात लोगों ने जासूसी के लिए करीब 1,400 लोगों के फोन हैक किए हैं। अब ये साफ नहीं है कि इनमें से कितने भारतीय थे.
इस मामले में अब केन्द्र सरकार ने व्हाट्सएप से जवाब मांगा है। व्हाट्सएप प्रमुख विल कैथार्थ ने कहा है, ‘’इसने (इजरायली स्पाईवेयर) पूरी दुनिया में कम से कम 100 मानवाधिकार रक्षक, पत्रकार और सिविल सोसाइटी के अन्य सम्मानित सदस्यों को निशाना बनाया था। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय ने व्हॉट्सएप से अपना जवाब 4 नवंबर तक देने को कहा गया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय ने इस बारे में व्हॉट्सएप को पत्र लिखकर अपना जवाब देने को कहा है।
इस पूरे मामले पर बीजेपी नेता अमित माल्वीय ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने घटना की टाइमिंग पर ही सवाल उठा दिया है. बीजेपी नेता अमित माल्वीय ने कहा कि अगर व्हाट्सएप ने उन लोगों से पहले संपर्क किया तो वे तब क्यों नहीं सामने आए. व्हाट्सएप ने उन लोगों को मैसेज भेजा है जिनकी जासूसी हुई है. माल्वीय ने कहा कि व्हाट्सएप उन नामों का खुलासा करे जिनकी जासूसी हुई है.
वहीँ एनएसओ ने व्हाट्सएप द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। एनएसओ ग्रुप ने कहा है कि वह फेसबुक के खिलाफ ‘सख्ती से लड़ने के लिए’ तैयार है। क्यकि कम्पनी का एकमात्र उद्देश्य लाइसेंस प्राप्त सरकारी खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आतंकवाद और गंभीर अपराध से लड़ने में सहायता करने के उद्देश्य से उन्हें तकनीक प्रदान करना है। हमारी तकनीक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के खिलाफ उपयोग के लिए डिजाइन या लाइसेंस नहीं है। इसने हाल के सालों में हजारों लोगों की जान बचाने में मदद की है।’