ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि गाजा पट्टी में इज़राइल द्वारा फिलिस्तीनियों का “नरसंहार” “तुरंत” बंद होना चाहिए।
फिलिस्तीन-गाज़ा में जो हो रहा है, वह genocide/ जाति-संहार है, कोई लड़ाई नहीं है। अल-जज़ीरा जोकि एक इंटरनेशनल न्यूज़ नेटवर्क है उसकी हेडलाइंस में भी यही बात कही गई,“This is genocide, not war”/ “यह जाति-संहार है, युद्ध नहीं।”
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि गाजा पट्टी में इज़राइल द्वारा फिलिस्तीनियों का “नरसंहार” “तुरंत” बंद होना चाहिए,- राज्य टीवी ने मंगलवार को इसे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के इज़राइल दौरे से एक दिन पहले रिपोर्ट किया।
सोशल मीडिया पर भी अब लोग इसे जेनोसाइड कह रहे हैं, जिसका मतलब है सामूहिक हत्या।
बीते मंगलवार,17 अक्टूबर को यह खबर सामने आई कि इज़राइल ने गाज़ा शहर के अल-अल्हि बैप्टिस्ट हॉस्पिटल (Al-Alhi Baptist Hospital) पर हवाई हमला कर 500 से अधिक लोगों को जान से मार दिया। मरने वालों की संख्या के बारे में गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सूचित किया।
अल-जज़ीरा की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल ने खुद यह माना कि उसने गाज़ा जैसे छोटे शहर पर एक हफ्ते में 6000 बॉम्ब गिराये, जिसमें उसने अस्पतालों को भी नहीं छोड़ा। गाज़ा जिसका क्षेत्रफल सिर्फ 140 वर्ग मील, दिल्ली के हिसाब से देखा जाए तो दिल्ली के क्षेत्रफल का सिर्फ एक-चौथाई हिस्सा।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक व्यक्ति ने इसे लेकर कहा,”इसके पीछे जो भी व्यक्ति है वह बहुत बुरा है लेकिन जो इसका सपोर्ट कर रहे हैं वे और भी ज़्यादा बुरे हैं।”
जब विश्व भर में गाज़ा के अस्पताल पर हवाई हमले की खबर फैली तो लोगों ने इस हमले को लेकर आक्रोश जताया और सवाल पूछा। द मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, हमस शासित गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि “असफल रॉकेट प्रक्षेपण” में 500 लोग मारे गए और यह इज़राइली हवाई हमलों की वजह से हुआ। वहीं इज़राइल ने कहा कि उनकी ख़ुफ़िया जानकारी कहती है कि यह सब इस्लामी आतंकवादी समूह इस्लामिक जिहाद समूह द्वारा किया गया “विफल रॉकेट प्रक्षेपण” है और वही इसका ज़िम्मेदार है। वहीं इस्लामी जिहाद इसे झूठा और निराधार कहा।
फाइनेंसियल टाइम्स की रिपोर्ट ने कहा, व्हाइट हाउस कहता है कि गाज़ा शहर के अस्पताल पर हवाई हमले के लिए इज़राइल ज़िम्मेदार नहीं है।
हमले का अगर कोई ज़िम्मेदार नहीं है तो क्या फिलिस्तीन और गाज़ा में जो हत्याएं हो रही हैं, उन्हें हत्या नहीं कहा जाएगा? यह नहीं समझा जाएगा कि इस जातीय-संहार में उन्हें मारा गया है? और इसके लिए या इसके खिलाफ शांति-दूत कहे जाने वाले देश बस विवाद कर रहे हैं।
हाथों पर बच्चे लिख रहे अपना नाम
इज़राइल की पीठ को ताकतवर देश सहारा दे रहे हैं जिसे मुख्यधारा की मीडिया उनकी पीठ पर हाथ थप-थपाते हुए सुना रही है। मीडिया की हेडलाइंस इज़राइल के साथ दिखाई दे रही है लेकिन फिलिस्तीन-गाज़ा में जो हो रहा है, वह उनकी हेडलाइंस का हिस्सा नहीं है क्योंकि ताकतवर शक्तियां उनके पीछे से उन्हें सेहला नहीं रही हैं।
हेडलाइंस में यह नहीं दिख रहा कि फिलिस्तीन-गाज़ा के छोटे-छोटे बच्चे अपनी हथेलियों पर अपना नाम और आईडी नंबर लिख रहे हैं। इस डर में कि अगर बॉम्बिंग के दौरान उनकी हत्या हो जाती है और अगर उनका हाथ बचता है तो उसके ज़रिये उनकी पहचान कर ली जाए।
द इस्लामिक इनफार्मेशन की रिपोर्ट में इस बारे में बताया गया जो कहती है कि,”हर घंटे अनगिनत जिंदगियों को खोते हुए देखने के बाद, फिलिस्तीनियों ने एक सामूहिक निर्णय लिया है। चल रहे संघर्ष की स्थिति में पहचान के लिए व्यक्ति अपने हाथों पर अपना नाम लिख रहे हैं।”
आमेर ज़हर नाम के व्यक्ति X प्लेटफार्म पर लिखते हैं,” गाजा के बच्चे अपने हाथों पर अपना नाम लिख रहे हैं ताकि अगर इजराइल द्वारा उनकी हत्या की जाए तो उनकी पहचान की जा सके। वे भुलाए जाने से इनकार करते हैं।”
The children of Gaza are writing their names on their hands so they can be identified if they are murdered by Israel.
They refuse to be forgotten. pic.twitter.com/YKBBT9Xfjq
— Amer Zahr (@AmerZahr) October 16, 2023
इन देशों से मिल रहा स्पोर्ट
सीएनबीसी टीवी18 की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, नॉर्वे और ऑस्ट्रिया, इज़राइल का समर्थन कर रहे हैं। ये देश न केवल इजराइल का समर्थन कर रहे हैं बल्कि हमस के हमले के खिलाफ आत्मरक्षा के उसके अधिकारों का भी समर्थन कर रहे हैं। इसके साथ ही अमेरिका ने भी इज़राइल को सैन्य सहायता भेजने और नौसेना और वायु सेना को मजबूत करने की घोषणा की है।
इज़राइल को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी X सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपना समर्थन ज़ाहिर किया है। पीएम मोदी ने लिखा,
“इज़राइल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा सदमा लगा। हमारी संवेदनाएँ और प्रार्थनाएँ निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं। हम इस कठिन समय में इज़राइल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।”
Deeply shocked by the news of terrorist attacks in Israel. Our thoughts and prayers are with the innocent victims and their families. We stand in solidarity with Israel at this difficult hour.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 7, 2023
वहीं दूसरी तरफ फिलिस्तीन-गाज़ा का साथ देने वाले देशों में मिस्र, कनाडा, ईरान, तुर्की और सूडान हैं। ईरान, कतर और लेबनान जैसे देश हमस का समर्थन कर रहे हैं।
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की 18 अक्टूबर की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि लगभग 3 हज़ार लोग मारे गए हैं। वहीं 12,500 लोग घायल हुए हैं। वहीं इज़राइल में मरने वालों की संख्या 1400 बताई गई।
गाज़ा समर्थकों को लिया जा रहा हिरासत में
शक्ति का यह खेल बहुत स्पष्ट है। इज़राइल का साथ देने वाले लोग सुरक्षित हैं लेकिन विश्व में जहां-जहां भी फिलिस्तीन-गाज़ा के पक्ष में प्रोटेस्ट किया जा रहा है, सवाल उठाये जा रहे हैं उन्हें या तो पुलिस के डंडे मिल रहे हैं या तो जेल की चार-दीवारी।
अल-जज़ीरा की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल के पुलिस प्रमुख, कोबी शबताई ने कहा है कि इज़राइल में गाजा के समर्थन में विरोध प्रदर्शनों के लिए “शून्य सहनशीलता” होगी। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को फिलिस्तीनी क्षेत्र भेजने की धमकी दी।
भारत में भी फिलिस्तीन-गाज़ा के समर्थन में प्रोटेस्ट किये जा रहे हैं। द हिन्दू की 17 अक्टूबर की रिपोर्ट के अनुसार, गाजा में इजराइल के हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए सोमवार को जंतर-मंतर से 60 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया। पुलिस का कहना था कि उनके पास प्रोटेस्ट के लिए इज़ाज़त नहीं थी।
फिलिस्तीन को लेकर अपना समर्थन दिखाने के लिए 100 से अधिक लोग जंतर-मंतर पर एकत्र हुए थे। पुलिस ने कहा कि उन्होंने छात्रों, कार्यकर्ताओं और अकादमिकों को हिरासत में लिया क्योंकि उनके पास विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं थी।
क्या है गाजा?
एनडीटीवी की रिपोर्ट कहती है, अगर गाज़ा के बारे में बात की जाए तो गाज़ा भूमध्य सागर की ओर देखने वाली भूमि की एक संकीर्ण पट्टी है, जिसके एक तरफ इज़राइल है और दूसरी तरफ मिस्र है। फ़िलिस्तीन राज्य में सबसे बड़े इस शहर का क्षेत्रफल 365 वर्ग किमी है – जो दिल्ली के आकार का लगभग एक-चौथाई है। 2022 के अनुमान के अनुसार, गाजा में लगभग 2 मिलियन लोग रहते हैं, जो इसे घनी आबादी वाला क्षेत्र बनाता है। गाजा में दो प्रवेश और निकास बिंदु हैं – उत्तर में इज़राइल के साथ इरेज़ क्रॉसिंग और दक्षिण में मिस्र के साथ राफा क्रॉसिंग। इज़राइल गाजा के हवाई क्षेत्र और उसके जल क्षेत्र को नियंत्रित करता है।
इस दौरान इज़राइल ने गाज़ा के फ़ूड,पानी, बिजली व स्वास्थ्य सहित कई सुविधाओं को रोक दिया है।
फिलिस्तीन-गाज़ा के लोगों के लिए उनका शहर एक खुले जेल की तरह बन गया है, जहां से इज़राइल उन्हें जाने को भी कह रहा है और उन पर बम्बारी भी कर रहा है।
रिपोर्ट आगे कहती है, हमस के घातक रॉकेट हमलों के कुछ घंटों बाद, इज़राइल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध की घोषणा की। उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “मैं गाजा के निवासियों से कहता हूँ अभी चले जाओ क्योंकि हम हर जगह जबरदस्ती कार्रवाई करेंगे।”
पूर्व प्रधान मंत्री यायर लैपिड ने एनडीटीवी से कहा कि इजराइल के जवाबी हमला करने से व्यापक क्षति होगी। “हम दर्शकों की हत्या से बचने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने जा रहे हैं, लेकिन इससे अतिरिक्त क्षति होगी क्योंकि यह एक बहुत घने क्षेत्र में युद्ध है। गाजा के लोगों को हमस से जितना संभव हो सके, जाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।”
समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी ने कहा कि इज़राइली लड़ाकू विमानों ने आवासीय घरों सहित गाजा संरचनाओं को निशाना बनाया है, जिसकी वजह से 20,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं।
इज़राइल के बारे में जानें
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड रिपोर्ट के 2022 राउंडअप के अनुसार, इज़राइल दुनिया के सबसे शक्तिशाली, राजनीतिक रूप से प्रभावशाली और सैन्य रूप से मजबूत देशों में से एक है। इज़राइल की सर्वोच्च रैंकिंग उसकी सेना के लिए थी, जो रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद चौथे स्थान पर थी।
इज़राइली वायु सेना अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ दुनिया की सबसे उन्नत वायु सेनाओं में से एक है। इनमें F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान, स्मार्ट बम शामिल हैं। इनके पास आने वाली मिसाइलों या ड्रोन को रोकने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली वाली मिसाइल नौकाएं भी शामिल हैं। बता दें, इजराइल एक परमाणु शक्ति भी है।
इज़राइल-फिलिस्तीन के बीच आज जो हो रहा है उसकी जड़े काफी पुरानी है। फिलिस्तानी समूह हमस द्वारा इज़राइल पर अचानक हमला करके के बाद से यह सब शुरू होने की खबर है।
इस जातीय-संहार में हज़ारों परिवार मलवे के नीचे दफन हो गए। जो बच्चे इस दौरान फिलहाल बचे हुए हैं, उनके माता-पिता की हत्या, चारों तरफ मरते लोग उनके लिए ज़िंदगी भर का एक ट्रामा है जिसके साथ उन्हें उम्र भर जीना होगा, अगर वह इस जातीय-संहार से बच जाते हैं तो। वहीं जहाँ एक तरफ इज़राइल गाज़ा शहर को खाली करने के लिए कह रहा है, तो वह लोग जाएंगे कहां? और क्या इज़राइल उन्हें जाने देगा?
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