पीरियड यानी माहवारी के विषय के बारे में जब भी हम बात करते हैं, तो अक्सर महिलाएं कुछ भी बताने में झिझकती हैं। हमारे समाज में अभी भी पीरियड्स को एक गुप्त चीज़ की तरह माना जाता है, जिसके बारे में जानकारी के अभाव के कारण महिलाएं अपनी परेशानी डॉक्टरों से भी साझा करने में कतराती हैं।
हमारे स्वास्थय विभाग की तरफ से ग्रामीण महिलाओं के लिए मुफ्त सेनेटरी पैड की सुविधा उपलब्ध होने के बाद भी महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, क्यूंकि ये पैड उनतक पहुँच ही नहीं पाते। इसके अलावा उन्हें पीरियड्स के बारे में जागरूक करने के लिए भी कोई नहीं आता। ऐसे में ये महिलाएं आखिर किसको अपनी समस्याएं बताएं? लड़कियां कई बार पीरियड के दर्द से आराम पाने के लिए किसी डॉक्टर की सलाह के बिना दवाई खा लेती हैं, दवाई से उन्हें आराम तो मिल जाता है लेकिन ये दवाइयां महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होती हैं।
जब हमने इस बारे में कुछ युवतियों से बात की, तो उन्होंने हमें बताया कि वो दर्द से आराम पाने के लिए डॉक्टर के पास तो नहीं जातीं, लेकिन दर्द की दवाई खा लेती हैं। उनका कहना है कि उन्हें पीरियड के बारे में कहीं से कोई जानकारी नहीं मिलती, न ही स्वास्थ्य विभाग उनके लिए मुफ्त पैड उपलब्ध कराता है, ऐसे में मजबूरी में उन्हें कपड़े का इस्तेमाल करना पड़ता है। इसलिए ज़रूरी है कि सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखे और उन्हें ज़रूरी चीज़ें उपलब्ध कराये, साथ ही उन्हें इसके बारे में सही जानकारी भी प्रदान कराए।