खबर लहरिया National क्या रैलियों का उद्देश्य सिर्फ भीड़ को जबरन इकठ्ठा करना है? द कविता शो

क्या रैलियों का उद्देश्य सिर्फ भीड़ को जबरन इकठ्ठा करना है? द कविता शो

हमारे यूपी की सरकार बुंदेलखंड में काफी बार दौरा करती रहती है। कभी किसी का शिलान्यास करने में तो कभी जनसभा करने तो कभी रैली करने आती रहती है। जब मुख्यमंत्री या प्रधान मंत्री आते हैं और जनता इकठ्ठा न हो तो समझो सरकार की नाक कटने का सवाल होता है इसलिए तो भीड़ को ज़बरन इकठ्ठा किया जाता है। मतलब जो इनकी जनसभा या रैली में नहीं जाना चाहते हैं उनको ज़बरन पकड़-पकड़ कर लाया जाता है और जो जनता सरकार से अपनी फरियाद सुनाना चाहती है उनको बाहर भगा दिया जाता है। ये मैं नहीं कह रही हूँ बल्कि जनता बोल रही है। आप खुद ही सुनिए बुंदेलखंड के लोगों की ज़ुबानी।

13 मार्च 2023 को यूपी के मुख्यमंत्री महोबा जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना का शिलान्यास करने आये थे तभी जनता अपनी समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने के लिए दूर-दूर से उधर गयी लेकिन उनको उनसे नहीं मिलने दिया गया। महोबा जिले के ग्राम गुडी के मंगल नाम के व्यक्ति अपनी ज़मीन की समस्या को बताने के लिए गए लेकिन उनको कर्मचारियों ने अंदर घुसने नहीं दिया। मंगल ने बताया एक बार पहले भी जब प्रधानमंत्री और मुखयमंत्री आए थे तब भी वो अपनी ज़मीन की समस्या को बताने के लिए आये थे लेकिन उनको बाहर से भगा दिया गया। अब बताईये कहां जाएं?

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तो दोस्तों सुन लिया आपने लोगों का दर्द। ये दर्द अन्य मीडिया दिखाता भी है नहीं है क्योंकि गिनी-चुनी मीडिया को ही बुलाया जाता है जो सरकार का ही प्रचार करती है और जनता की बातों को दबाती है। अपना देश लोकतांत्रिक देश है। ये संविधान में है लेकिन यहां तो लोकतंत्र की धज्जियां सरकार खुद उड़ाती है। आखिर क्यों ऐसे लोगों को प्रशासन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से मिलने से रोका जाता है? कहीं जिले के अधिकारियों को डर तो नहीं है कि उनकी पोल खुल जायेगी? लोग पानी, बिजली, आवास और जैसी कई योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते है। जिले के अधिकारी गरीब जनता को इस विभाग से उस विभाग की तरफ दौड़ाते रहते हैं।

जब मुख्यमंत्री जैसे बड़े नेता आते हैं तो जनता को उम्मीद रहती है कि बड़े अधिकारियों की शिकायत अगर उनसे करेगें तो हो सकता है समस्या का समाधान हो सके। लेकिन अधिकारी अपनी कमियां छिपाने के लिए ऐसा फंडा अपनाते हैं  कि फरियादी को सरकार के चौखट तक पहुंचने ही नहीं देते हैं।

सरकार ऐसी भीड़ इकठ्ठा करती है जो उनके भाषण सुनकर परेशान हो जाते हैं और जिनको ज़रुरत है उनको अंदर ही नहीं घुसने दिया जाता है। धक्के मारकर भगा दिया जाता है। अरे! ये किस तरह का न्याय है? किस तरह का लोकतांत्रिक देश होता जा रहा है अपना? जनता की वोट से चुनी गई सरकार जनता की ही नहीं है। जनता की आवाज को क्यों नहीं सुना जाता है? जनता कितना परेशान है इसका अंदाजा आपको क्यों नहीं है मुख्यमंत्री जी?

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