हर साल 11 दिसंबर 2020 को अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाने की वजह पर्वतों के उन आकर्षणों को गले लगाना हैं, जिसे हमने कभी निगाहों से हटकर देखा ही नहीं। ये पर्वत मानव से लेकर अलग–अलग पशु, पक्षी और वनस्पतियों का घर है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार पहाड़ दुनिया की आबादी का 15 प्रतिशत हिस्सा है। जिसे आज हमें बचाने की ज़रूरत है।
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2020 का विषय
इस बार संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस का विषय “पहाड़ों की जैव विविधता रखा गया है“। पिछले साल का विषय ‘माउंटेन्स मैटर फ़ॉर यूथ‘ रखा गया था। लगातार बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, वाणिज्यिक खनन, निरंतर कृषि प्रथाएं, लॉगिंग (दैनिक यात्रा) और अवैध शिकार ने पहाड़ की जैव विविधता पर भारी असर डाला है। इस विषय का उद्देश्य लोगों को आने वाले प्रभावों के बारे में सूचित करना है।
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस का गठन 1992 में तब हुआ जब एजेंडा 21 के अध्याय 13 के “प्रबंधनीय पारिस्थितिक तंत्र सतत पर्वत विकास” को पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में अपनाया गया था। 2002 में संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाने की घोषणा की थी। पहला अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस साल 2003 में बनाया गया था। जिसके बाद हर साल इस दिन को मनाया जाने लगा। हर साल विश्व के कई सारे लोग पर्वतों के संरक्षण के लिए एक साथ आगे आते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पर्वतों के लिए एक विषय भी तय किया जाता है, जिस पर विभिन्न देश काम करते हैं। यह दिन पर्यावरण में पहाड़ों की भूमिका और जीवन पर इसके प्रभाव को समझने के लिए लोगों को शिक्षित करता है।
विश्व के मशहूर पर्वत
विश्व मे ऐसे कई अनोखे पर्वत है जिन पर पर्वत प्रेमियों ने चढ़ाई भी की है। जैसे – माउंट एवरेस्ट, माउंट फूजी, माउंट किलिमंजारो, टेबल माउंटेन, काराकोरम रेंज ( केटु ), माउंट ब्लांक आदि। यूपी के कोटादाई हिमालय,रानी कोठी पहाड़,मंजपारा पहाड़, झरारा पहाड़ आदि भी बहुत मशहूर है।
भारत की जैव विविधता की रिपोर्ट
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी, नई दिल्ली की रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के भूमि क्षेत्र का सिर्फ 2.4 प्रतिशत है। साथ ही भारत मे सात से आठ प्रतिशत अलग–अलग तरह की प्रजातियां हैं जिसमें 47,000 पौधों की प्रजातियां हैं और 96,000 जानवरों की प्रजातियां हैं। 34 वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट में से चार भारत मे मौजूद है। वह हैं द हिमाल्यास, पश्चिमी घाट, उत्तर–पूर्व और निकोबार द्वीप समूह।
टाइम्स ऑफ इंडिया की सितंबर 10, 2020 की रिपोर्ट में वाइड फण्ड फ़ॉर नेचर की रिपोर्ट ने बताया कि भारत में 12 प्रतिशत जंगली स्तनधारी (मैमल्स), 3 प्रतिशत पक्षियों की प्रजाति और 19 प्रतिशत उभयचर (एम्फिबियन्स) गायब होने के किनारे पर है।
मानव कभी भी पर्वतों के आकर्षणों और खूबसूरती की कदर नही कर पाया। जितनी दूर जिस भी जगह पर वह गया, उसने उस जगह को किसी न किसी तरह से दूषित ही किया। अब इसे चाहें हम प्लास्टिक कह ले या फिर मानव द्वारा फैलाया गया कचड़ा या उसका लालच। जो पर्वतों पर छायी सफ़ेद बर्फ पर एक धब्बे की तरह दिखाई देता है।
ये बर्फ से ढके और ऊंचे पर्वत कई लोगों का प्रेम है। लेकिन प्रेम करने के साथ उसे निभाना ज़रूरी है। और इस वक़्त ज़रूरत पर्वतों पर उगने वाली वनस्पतियों को बचाने की है, जो मानव की वजह से गायब होती जा रही हैं।
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