विश्व साक्षरता दिवस: साक्षरता प्रतिशत तेजी से बढ़े इसके लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रयास किए जाते हैं। हर साल 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिन पर लोगों को शिक्षा के महत्व से जागरुक कराने के लिए विभिन्न प्रोगाम आयोजित किए जाते हैं। ललितपुर जिले के ब्लॉक महरौनी में 20 सालों से सहजनी शिक्षा केंद्र अशिक्षित महिलाओं को शिक्षित करने का काम कर रही है। आइये जानते हैं उनकी नज़र से साक्षरता दिवस के क्या मायने हैं।
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ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाएं अक्सर घर के कामों का ध्यान रखने के लिए ज़िम्मेदार होती हैं, और गांव में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल जाने वाले छात्र आमतौर पर पुरुष होते हैं। लड़कियां अक्सर छोटे भाइयों और बहनों की देखभाल करती हैं या घर के काम में मदद करती हैं। शिक्षा को केवल पांचवीं या आठवीं कक्षा तक पूरा करना कठिन होता है, और पढ़ाई का स्तर आदिवासी और दलित महिलाओं के लिए और भी कम होता है।
दैनिक जागरण की 5 सितम्बर की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आज़ादी के समय 11 में से केवल 1 लड़की साक्षर थी। वहीं अब महिलाओं की साक्षरता दर बढ़कर 77% हो गई है जबकि भारत की पुरुष साक्षरता दर 84.7% है। इस तरह छात्राओं की स्थिति के पढ़ने-लिखने में बेहतर हुई है।
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इसके बावजूद, सहजनी सिक्षा केंद्र ने उन महिलाओं को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है जो घर के अंदर बंद हो रखी थी। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया और उन्हें साक्षरता का मार्ग दिखाया। यह सफलता कामयाबी से नहीं मिली, क्योंकि उनको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। 2002 से लेकर आज तक लगभग 15000 लड़कियों और महिलाओं को साक्षरता प्राप्त करने में मदद की है। कुछ महिलाओं को उनकी रुचि और क्षमता के हिसाब से रोजगार भी दिया गया है, जिससे उन्हें खुद को विकसित करने का अवसर मिला।
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