अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा साल 1992 में की गई थी। यह तब हुआ जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 47/3 संकल्प पारित कर इसमें विकलांग व्यक्ति के अधिकारों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस आयोजित करने की पहल की।
3 दिसंबर का दिन हर साल ‘अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस साल अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस 2024 का विषय है,“विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व को बढ़ावा देना, ताकि एक समावेशी और सतत भविष्य का निर्माण हो सके।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि विकलांग व्यक्ति वैश्विक जनसंख्या का 16 प्रतिशत हैं। वहीं जब हम स्वास्थ्य सुविधाओं तक इनकी पहुंच की बात करते हैं तो ऐसे बेहद काम ही विकलांग व्यक्ति होते हैं जिन्हें सुविधा मिल पाती है। रिपोर्ट बताती है कि उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है जिसमें उनके साथ भेदभाव,समाज की विकलांग लोगों के प्रति विचारधारा,शिक्षा व रोज़गार के कम व संकीर्ण अवसर होना या उन्हें उससे बहिष्कृत कर देना।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, इससे वैश्विक स्वास्थ्य लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है। इसके साथ ही सभी के स्वास्थ्य को समान रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिससे एक समावेशी और सतत भविष्य का निर्माण किया जा सके।
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अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस का इतिहास
मौजूदा जानकारी के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा साल 1992 में की गई थी। यह तब हुआ जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 47/3 संकल्प पारित कर इसमें विकलांग व्यक्ति के अधिकारों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस आयोजित करने की पहल की। इसका दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य विकलांगों के अधिकार, उन्हें समान अधिकार दिलाने, उनकी शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, और सामाजिक समावेशन हेतु बढ़ावा देना रहा। इसे प्रभावी बनाने के लिए हर साल एक थीम सुनिश्चित की जाती है, जैसे इस बार भी कई गई है।
हमें यह भी समझना ज़रूरी है कि विकलांगता का न तो कोई एक रूप होता है और न ही कोई एक परिभाषा। विकलांगता को समझने के लिए ज़रूरी है कि हम अपने हर तरह के विचार को एक किनारे कर सामने वाले के अनुभव को सुनें और वहां से सीखें।
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