अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस जिसे बालिका दिवस भी कहा जाता है ,हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसे सबसे पहले साल 2012 में ‘संकुय्त राष्ट्र’ द्वारा घोषित किया गया था।
इसका उद्देश्य है कि देश की हजारों-करोरों लड़कियों को उनकी सफलता-प्राप्ति के लिए हर वो अफसर प्रदान हो और साथ ही में लोगों के प्रति लिंग असमानता के बारे में भी जागरूकता फैलाई जाए। लड़कियों के लिए शिक्षा का आधार, उनकी सेहत, क़ानूनी अधिकार, चिकित्सक देखभाल, हिंसा और भेदभाव करने वाले लोगों से सुरक्षा और बाल विवाह से मुक्ति जैसे विषयों को इस दिन उजाग्रित किया जाता है।
ये दिन इस देश में लड़कियों और महिलाओं की विकास, योजना और खोज के क्षेत्रों में उनकी अहम भूमिका को झलकता है। बालिका दिवस न केवल लड़कियों के मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलता है बल्कि उनके परिणामों को भी प्रकाशित करता है। जैसे की लड़कियों को शिक्षा प्रदान करने से बाल विवाह और बिमारियों जैसे मुद्दों का स्तर घट जाता है। और शिक्षा के ज़रिये महिलाओं को उनकी नौकरी के दौरान ज्यादा वेतन मिलता है जिस कारण देश की अर्थव्यवस्था और भी मजबूत हो जाती है।
वहीँ इस बालिका दिवस पर, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल, सत्यपाल मलिक ने लोगों से निवेदन करते हुए कहा है कि ये हमारी ज़िमेदारी है की हम सुनिश्चित करें की पूरी दुनिया में किसी भी महिला को भेदभाव से जुटी परेशानियों का सामना ना करना पड़े। और उन्हें हिंसा और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों का शिकार न बने दें।
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