यूपी के जिला वाराणसी के अमरूद किसानों की शिकायत है कि जुलाई-अगस्त में हुई बारिश की वजह से उनके अमरूदों में कीड़े पड़ गए हैं, जिससे कि उनकी बिक्री पर भी काफ़ी असर पड़ा है। हमारी टीम ने गांव किताबराई की किसान प्रेमा देवी और निर्मला देवी से बात की। वह कहती हैं कि उनके साथ तकरीबन 15 किसान ऐसे हैं जिन्हें अमरूदों में कीड़े लगने की वजह से 50 हज़ार से डेढ़ लाख रुपयों तक का नुकसान झेलना पड़ा है।
उनका कहना है कि उन्हें कीटनाशक दवाइयों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अगर होती तो वह पहले ही दवाइयों का उपयोग करके अपने अमरूदों में कीड़े लगने से बचा लेते। उनका यह भी कहना है कि वह कर्ज़ लेकर किसान करते हैं और जब अमरूद में कीड़े लग जाते हैं तो उन्हें कोई नहीं खरीदता। जिसकी वजह से उन पर कर्ज़ा बढ़ता जाता है।
कीटनाशक की जानकारी मिलते ही सभी किसान ब्लॉक चिरई के कृषि विभाग पहुंचते हैं। लेकिन वहां अधिकारियों द्वारा उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया जाता है कि उनके पास दवाई नहीं है । वह कहीं और से जाकर दवाई ले लें। उद्योग विभाग के निरीक्षक शुधानसु सिंह का कहना है कि कीड़ों के लगने से बचाने का यही उपाय है कि बारिश के समय कम से कम दो से तीन बार खेतों में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जाए।
इससे खेतों में कीड़े नहीं लगेंगे और ना ही फसलें बर्बाद होंगी। उनका कहना है कि मालिकों को दवाई की जानकारी होती है इसलिए उनका नुकसान नहीं होता। वहीं छोटे-व्यापारियों को इसके बारे में जानकारी नही होती, ना ही उनकी दुकानों तक पहुंच होती है। अगर छोटे-व्यापारियों की कीटनाशक दवाइयों तक पहुंच नहीं है तो दुकानों को उन तक पहुंचाना किसका दायित्व है? कीटनाशक दवाइयों के बारे में व्यापारियों को जानकारी देना, क्या कृषि विभाग का काम नहीं है?