खबर लहरिया Blog महंगाई ने बिगाड़ा घर की थाली का जायका

महंगाई ने बिगाड़ा घर की थाली का जायका

एक तरफ कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन ने लोगों के अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर दिया है. लोग काम ना मिलने से बेरोजगारी की मार से बुरी तरह टूट गये|  कई-कई  दिनों  गरीब मजदूरों के घरों का चूल्हा नहीं जला| अगर किसी तरह लोगों ने  एक टाइम खाना खाया तो दूसरी टाइम पेट दाब कर सोना पड़ा. कुछ लोगों के घरों में तो दो-दो दिनों तक चूल्हा ही नहीं जला| इसके बावजूद भी लोग उस  मुसीबत को झेल कर किसी तरह बाहर निकले हैं |

लेकिन उस स्थिति को अभी तक सुधार भी नहीं पाये, दूसरी तरफ लॉक डाउन के बाद से लगातार सब्जी और तेल के दामों में निरंतर महंगाई की बढ़ोतरी होती जा रही है| इससे घर के बजट के साथ-साथ रसोइयों का जायका भी बिगड़ गया है| आलू प्याज और टमाटर सहित सभी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं,तो तेल   गरीबों की थालियों में नजर ही नहीं आने लगा|  जिससे गरीबों को सब्जी तो दूर नमक और चटनी रोटी भी  बिना तेल के ही खाना पड़ रहा है |

महंगाई ने सूनी की थालियां नमक रोटी से होगा गुजरा

कृषि प्रधान कहे जाने वाले देश में लगातार बढ़ती महंगाई से सब्जियों के आसमान छूते भाव ने लोगों के होस उडा दिए हैं| 60 रुपये किलो बिक रहा टमाटर अपने आप में टमाटर इतरा रहा है,तो वहीं सब्जियों का राजा आलू भी 40 रुपये किलो और प्याज भी 40 रुपये किलो बिक रहा है| महंगाई की स्थिति ये है की अब खासकर गरीब लोग तो सब्जियों से मुँह मोडने लगे हैं| क्यों इतनी महंगी सब्जी खरीदने के लिए उनके पास पैसे ही नहीं हैं|

महंगाई ने तोडा रिकॉर्ड

जिला बांदा,नरैनी कस्बे की रहने वाली बिमला और रानी बताती हैं कि सब्जियों का स्वाद प्याज और टमाटर ही बढा़ता है| लेकिन इस तरह कि महंगाई में इन चीजों का उपयोग सब्जी में बिलकुल कम  कर दिया गया है और सलाद का तो इस समय  घरों में नाम भी नहीं लिया जाता बनना तो दूर की बात है| क्योंकि लॉकडाउन का बिगडा हुआ बजट अभी तक नहीं सुधार पा रहे हैं| गरीब लोग हैं तेल  मसाला सब जोड़ कर देखा जाये तो दो सौ रुपये की रोज घर में सब्जी लगती है|
मेहनत मजदूरी करने वाले लोग हैं पूरा दिन मजदूरी करते हैं.तब शाम को तीन सौ रूपये मिलते हैं| इतनी महंगी सब्जी अगर रोज खरीद कर खाएंगे तो बाकी का  खर्च कैसे पूरा करेंगे  क्योंकि सब्जी के साथ आटा दाल चावल यह सभी चीजें भी पेट के लिए जरूरी है| इस लिए खाने की थाली से सब्जी घटाते-घटाते बिलकुल कम कर दिया है|
पचोखर  गांव की रहने वाली  रश्मि देवी का कहना है की हम गरीब लोग कोरोना संक्रमण के चलते काम ना मिलने से पहले से ही परेशान थे| अब अगर काम मिलने लगा है,तो बजट सुधरने से पहले ही सब्जी व किराना की दैनिक उपयोग के समान की महंगाई ने करारा झटका दे दिया है| पहले से चार गुना महंगाई बढ गई है| बाजार में कोई भी सब्जी सस्ती नहीं है.पहले 100 रुपये में थैला भर कर सब्जी आती थी| आज की स्थिति में सौ रुपये में एक दिन के खाने के लिए भी सब्जी नहीं आती है |

टमाटर प्याज तो छोडिये हरी सब्जी जो इसी समय होती है वह भी आसमान छु रही है

बरुवा गांव के संतोष बताते हैं कि इस समय हरी सब्जियों का मौसम है| देहातों में तो लोग अपने घरों में लौकी कद्दू तरोई जैसे की सब्जियां खूब उगाते हैं और खाते हैं| जिसके चलते इन सब्जियों की बाजारों में बहुत ही कम पूछ होती है और शहरों में लोग इन सब्जियों को पसंद भी बहुत कम करते हैं क्योंकि आज कल के बच्चे शहर हो या गांव हरी सब्जियां खाना बहुत कम पसंद करते हैं |
उनको अच्छी नहीं लगती इस कारण बड़े भी उनके पीछे उन सब्जियों को छोड़ देते हैं. लेकिन आज की महंगाई में वह सब्जियां भी आसमान छु रही हैं| जो लौकी  कद्दू 10 रुपये किलो  मारा-मारा फिरा करता था| वह आज 30रुपये किलो बिक रहा है,तो भला ऐसे में हम जैसे गरीब लोग जो दिन भर मेहनत मजदूरी करके ₹200 से 300 रुपये कमाते हैं. कैसे इतनी महंगी सब्जी खरीद के खा पाएंगे इस लिए जो सब्जी हमारे घर में 1 किलो लगती थी| उसे आज हम पाव भर ले करके अपना बसर करते हैं और पानी पातर बनाकर खाते हैं| ताकि किसी तरह पेट भी भर जाए और सूखा भी न खाना पड़े |

रसोइयों के जायके के साथ  सब्जी दुकानदरों पर किस तरह का पडा़ असर

अतर्रा में सब्जी की दुकान लगाने वाला दुकानदार राजेश कहता है कि इस साल बारिश और लॉक डाउन के चलते बाहरी सब्जी नहीं आ पाई और पैदावार भी प्रभावित हुआ है| इस लिए महंगाई बढी़ है| वह लोग  इतनी महंगाई में सब्जी खरीद कर बेचने के लिए  खुद में मजबूर है क्योंकि उनके पास इस धंधे के अलावा और कोई चारा नहीं है|
लेकिन महंगाई में उनको सब्जी में कोई खास बचत नहीं है| क्योंकि सब्जी एक कच्चा भंसार है महंगाई के चलते उतनी बिक्री नहीं हो पाती तो खराब भी हो जाता है| जिससे जो मुनाफा है वह भी उनका चला जाता है| पर इसी उम्मीद के सहारे वह भी अपना धंधा करते है की सर्दियों के मौसम की फसल अच्छी होगी और महंगाई कमेगी,तो कुछ बचत होगी|
अब सवाल ये उठता है की क्या सरकार इस महंगाई को रोकने के लिए कोई नया कदम उठाएगी| या गरीबी और बेरोजगारी की मार झेल रहे परिवारों को महंगाई की मार के चलते नमक रोटी से ही गुजारा करना पड़ेगा|