भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष संजय सिंह ने इस पूरे मामले के लिए सपोर्ट स्टाफ को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, ”मैं इसे विनेश की गलती नहीं मानता क्योंकि वह बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। हमारे कोच और फिजियो और पोषण विशेषज्ञ सहित सहायक स्टाफ को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि उसे किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।”
“माँ कुश्ती मेरे से जीत गई। मैं हार गई। माफ़ करना,आपका सपना मेरी हिम्मत सब टूट चुके। इससे ज़्यादा ताक़त नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024 ,आप सबकी हमेशा ऋणी रहूँगी माफी!” – विनेश फोगाट, 29 साल, साल 2024
8 अगस्त 2024, दिन गरुवार, सुबह 5 बजकर 17 मिनट का समय हो रहा था। मीडिया को उसकी ब्रेकिंग न्यूज़ मिल गई थी। पूरी रात आराम से सोने के बाद देश भी सूरज के साथ जाग गया था। उनके फोन-अखबारों तक यह खबर पहुंच गई थी कि विनेश अब कुश्ती नहीं खेलेंगी। घरों,सड़कों,मेट्रो,ट्रेन,बस, संसद, अखाड़े, राजनीति इत्यादि जगहों पर विनेश की चर्चा थी लेकिन इनमें से किसी भी जगह वह नहीं थी। बस उसकी बात थी, यह कि उसे दोबारा लड़ने को कहा जाएगा। किसी ने कहा, हम साथ खड़े रहेंगे।
माँ कुश्ती मेरे से जीत गई मैं हार गई माफ़ करना आपका सपना मेरी हिम्मत सब टूट चुके इससे ज़्यादा ताक़त नहीं रही अब।
अलविदा कुश्ती 2001-2024 🙏
आप सबकी हमेशा ऋणी रहूँगी माफी 🙏🙏
— Vinesh Phogat (@Phogat_Vinesh) August 7, 2024
क्या हम कभी लड़े? साथ खड़े रहे और अगर रहे भी तो कब तक? कितने समय तक? क्या तब थे जब यौनिक हिंसा के खिलाफ पिछले साल से वह दिल्ली के जंतर-मंतर पर अन्य कुश्ती खिलाड़ियों के साथ पूर्व भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण के खिलाफ आवाज़ उठा रही थीं? कौन-सी सरकार,कौन-सा चेहरा, किसका साथ था?
कुश्ती का यह 14 सालों का लंबा सफर जो उसने देश के नाम किया, देश को दिया, उनकी उम्मीदों को दिया, रात भर शायद उन्हें एक बार फिर याद करने के बाद, उस लड़ाई को जीने के बाद एक फैसला आखिरी में अपने लिया, कुश्ती अब न खेलने का क्योंकि वह इससे जीत नहीं पाई। वह पूरी ज़िन्दगी उसके साथ लड़ी लेकिन वह हार गई,लेकिन सिर्फ कुश्ती से….. खुद से नहीं।
एक महिला की लड़ाई कभी खत्म नहीं होती। वह अपने जीवन की शुरुआत से लेकर अंत तक सिर्फ लड़ती है और लड़ती है। उस महिला की समाज में चाहें कोई भी पहचान हो, हर जगह उसकी लड़ाई रहती है,संघर्ष रहता है।
जब 7 अगस्त, 2024, बुधवार की सुबह इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी ने कुश्ती के लिए उसे अयोग्य करार बताते हुए पेरिस ओलंपिक 2024 (Paris Olympics 2024) से बाहर करने का फैसला दिया यह कहते हुए कि उनका वज़न 100 ग्राम ज़्यादा है और वह गोल्ड मेडल के लिए नियम के अनुसार नहीं लड़ सकती। वह पेरिस ओलंपिक में महिला कुश्ती में 50 किलोग्राम में खेल रही थीं। कमिटी के इस बयान ने उसे तोड़कर रख दिया।
सब कुछ सही रहता तो विनेश गोल्ड मेडल के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की सारा एन हिल्डेब्रांट के खिलाफ मैच खेलतीं और जिस तरह से उनका अब तक का प्रदर्शन रहा है, लोग उसके जीतने की भी उम्मीद कर रहे थे पर अब न उम्मीद है और न ही कुश्ती।
इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी के इस फैसले को लेकर विनेश ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (सीएएस) में अपील की है। वहीं सोशल मीडिया पर विनेश का साथ दे रहे लोगों ने कहा कि कम से कम उसे सिल्वर मेडल तो मिलना ही चाहिए। कहा जा रहा है कि इसे लेकर आज 8 अगस्त को फैसला आ सकता है।
बेशक विनेश ने कुश्ती छोड़ी है लेकिन जो उसने कमाया है, उसके लिए लड़ना नहीं। फैसला आने से पहले 6 अगस्त को विनेश ने तीन मैच (बाउट) लगातार खेले थे और फाइनल मुकाबले के लिए अपना वज़न बनाये रखने के लिए कोच व डाइटीशियन द्वारा बताई गई चीज़ें उसी मात्रा में खा और पी रही थीं। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की प्रेजिडेंट पीटी उषा ने ज़ारी प्रेस रिलीज़ में कहा।
विनेश ने 6 अगस्त को हुए सेमीफाइनल में मौजूदा पैन अमेरिकन गेम्स चैंपियन क्यूबा की युस्नेलिस गुज़मैन (Yusneylis Guzman), क्वार्टर फाइनल में यूक्रेन की पूर्व यूरोपीय चैंपियन ओक्साना लिवाच ( Oksana Livach) व शुरुआती मैच में मौजूदा ओलंपिक चैंपियन जापान की युई सुसाकी (Yui Susaki) को हराया था।
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष संजय सिंह ने इस पूरे मामले के लिए सपोर्ट स्टाफ को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, ”मैं इसे विनेश की गलती नहीं मानता क्योंकि वह बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। हमारे कोच और फिजियो और पोषण विशेषज्ञ सहित सहायक स्टाफ को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि उसे किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।”
उन्होंने मामले की जांच की मांग की है और भारत सरकार से आग्रह किया कि “जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए क्योंकि उन्होंने भारत के 1.4 अरब लोगों को निराश किया है।”
यह निराशा व भावनाओं का भार बेहद भारी है।
विनेश, हताश है क्योंकि जिस साथ की उम्मीद उसे शुरुआत से थी, वह उसे दी ही नहीं गईं। अब सांत्वनाएं भी कुश्ती को अब न खेलने की भावना व उसके पीछे के दर्द को कम या आसान नहीं कर सकती।
साथी कुश्ती खिलाड़ी साक्षी मालिक ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर विनेश के ओलम्पिक से बाहर निकलने पर एक बात लिखी थी, “लंबी है गम की शाम पर शाम ही तो है……. “
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