रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थानीय मुद्रा में 84 के पार गिरावट भारतीय रिज़र्व बैंक के लगातार हस्तक्षेप के समर्थन से दो महीने तक इस स्तर पर बने रहने के बाद आई है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 84.0725 पर पहुंच गया है जो अब तक की सबसे ज़्यादा गिरावट है। इससे पहले रुपया ने 84.07 का निचला दर पार किया था।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक,विदेशी बैंकों की ओर से उनके कस्टोडियल ग्राहकों (custodial clients) के लिए लगातार डॉलर की मांग की वजह से भारतीय रुपया में गिरावट आई है। बता दें, कस्टोडियल क्लाइंट वे लोग होते हैं जो अपने ग्राहकों की वित्तीय संपत्ति को रखने और सुरक्षित रखने का काम करते हैं। उदाहरण के तौर पर बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थानीय मुद्रा में 84 के पार गिरावट भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) के लगातार हस्तक्षेप के समर्थन से दो महीने तक इस स्तर पर बने रहने के बाद आई है।
यह भी बताया गया कि स्थानीय इक्विटी (local equities) से लगातार निकासी की वजह से इस महीने रुपया पर काफी दबाव रहा। विदेशी निवेशकों ने पिछले 10 सत्रों में लगभग 8 बिलियन डॉलर निकाले हैं। बता दें, इक्विटी किसी कंपनी में स्वामित्व का संदर्भ होता है, जो उसकी संपत्ति और आय पर दावा करने का प्रतिनिधित्व करता है।
जानकारी के अनुसार, क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों, शेयर बाजार की अस्थिरता और लगातार विदेशी पूंजी के निकाले जाने के कारण रुपया लगातार कमज़ोर हुआ है और डॉलर के मुकाबले रुपया का स्तर बेहद नीचे पहुंच गया है।
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