आज़ादी… किसी के लिए पहचान, किसी के लिए रोटी, तो किसी के लिए बच्चों की मुस्कान। लेकिन क्या इतने साल बाद भी हर भारतीय सच में आज़ाद है? चित्रकूट के रेढ़ी भुसौली से लेकर अकबरपुर और छतरपुर की गलियों तक, हमने उन लोगों से मुलाक़ात की जो अब भी अपने हक़ और बुनियादी सुविधाओं के लिए जंग लड़ रहे हैं। बिजली नहीं, घर नहीं, और पहचान की तलाश… ये कहानियां बताती हैं कि असली आज़ादी झंडा फहराने से नहीं, बल्कि हर नागरिक को उसका हक़ मिलने से पूरी होती है।
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