उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड में बेरोजगारी एक विकराल समस्या है| और इस बेरोजगारी और पलायन से कई बुरे असर पड़ रहे है जिसके कारण यहां से रोजगार के अभाव में हजारों शिक्षित और अशिक्षित लोग महानगरों में दिन रात-एक कर दो वक्त कि रोटी कमा रहे है| ऐसा भी नहीं कि यहां पर किसी भी दल का नेता इस समस्या से अनजान है| लेकिन किसी भी दल के नेता ने आज तक इस समस्या को गंभीरता से लेकर अपने एजेंडे में नहीं रखा| जिससे ये बेरोजगारी दुर हो सके|
बुन्देलखण्ड में बांदा जिले कि कताई मील और चित्रकूट जिले कि ग्लास फैक्ट्री दो ही रोजगार के संसाधन थे जो बहुत पहले से ही बंद हो कर जंगली एरिया बन गई|
लेकिन हां ये फैक्ट्री हर लोक सभा और राज्य सभी चुनाव के समय एक चुनावी ऐजेंडा बन जाती है| लेकिन उन फैक्ट्री को चालू कराने के लिए कोई आगे नहीं आता| जिससे मजबूर होकर लोग महानगरों में दो वक्त कि रोटी के लिए घर परिवार से दूर रहकर कमाते हैं| लेकिन क्या करें उनको तो अपना परिवार पालने के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड करना ही पडेगा| इस लिए मजबूरी में वह लोग बडे़ महानगरों के लिए जाते है| क्योंकि यहां पर जो सरकार से मनरेगा योजना के तहत थोडा बहुत काम है भी वह भी पुरी तरह विफल है| उसमें लोगों को भरपूर काम ही नहीं मिलता अगर काम भी मिलता है,तो महीनों मजदूरी के लिये चक्कर लगाने पडते हैं| इस लिए लोग छोंड देते है| क्योंकि मजदूरी करने वाले व्यक्ति का तो रोज कमना रोज खाना होता है| यही अगर बांदा जीले कि कताई मील और चित्रकूट जिले कि ग्लास फेक्ट्री चालू होती तो लोगों को रोजगार मिल सकता था| लेकिन अब सवाल ये उठता है कि इन फैक्ट्रियों को हर चुनाव में मुद्दा बना कर जीत तो हांसिल कर ली जाती है| लेकिन इसके बाद इन्हे चालू कराने और बेरोजगारी दूर करने का कोई ध्यान नहीं दिया जाता|
बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर भारतीय समाज पार्टी का धरना
जबकि 30 सालों से बंद पडी़ इन फैक्ट्रियों के चालू कराने हेतू कई अन्दोलन और धरना प्रदर्शन हुए| लेकिन उन्हे ये कहकर गुमराह किया जाता रहा कि केन्द्र और राज्य में अलग-अलग सरकार होने के कारण तालमेल नहीं बैठ पा रहा| लेकिन इस समय तो केन्द्र और राज्य दोनों में एक ही सरकार है भारतीय जनता पार्टी कि फिर ये फैक्ट्री क्यों नहीं चालू हो पा रही| क्या ये बुन्देलखण्ड का बांदा और चित्रकूट जिला जो अति पिछड़ा, सूखा ग्रस्त,बेरोजगारी और डाकुओं के एरिया के नाम से व्याख्यात है| वह इसी तरह बेरोजगारी कि समस्याओ से घिरा रहेगा और नेता अपना चुनावी ऐजेंडा बना कर जीत हांसिल करते रहेंगें| या सरकर इन फैक्ट्रियों पर भी अपनी नजर दौडाए गी और बुन्देलखण्ड के ये दोनों जिले भी रोजगार के नाम से भी जाने जाएगे| ताकि यहाँ का पलायन रुक सके|