यूपी में फ़िल्म सिटी खोलने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने एक बयान में कहा था कि,” कोई किसी को लेकर नहीं जाता है। यह कोई पर्स नहीं है जो कोई लेकर जा सकता है। यह खुली प्रतिस्पर्धा है। जो ज़्यादा सुरक्षा दे सके, अच्छा वातावरण दे सके, हर कोई काम कर सके, अच्छा माहौल दे सके। मुंबई फ़िल्म सिटी मुंबई में काम करेगी, यूपी में नई फिल्म सिटी काम करेगी“।
सीएम योगी द्वारा कही गयी सुरक्षा, अच्छा वातावरण और अच्छा माहौल वाली बात यहां हज़म नहीं होती। यूपी, जहां आए दिन किसी न किसी महिला का बलात्कार होता है। पत्रकारों की दिन दहाड़े हत्या कर दी जाती है। भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए मार दिया जाता है क्योंकि उन्हें उस व्यक्ति द्वारा किसी गलत मामले में होने का संदेह होता है। इतना सब होने के बाद कई मामलों में ना तो कार्यवाही होती है और ना ही कोई रिपोर्ट लिखी जाती है। और फिर सुरक्षा के नाम पर फ़िल्म सिटी के लोगों को निवेश करने के लिए कहना, बहुत हास्यप्रद लगता है। आइए इनमें से कुछ घटनाओं के बारे में जानते हैं।
यूपी में पत्रकार को ज़िंदा जलाने का मामला
25 नवंबर 2020 को यूपी के बलरामपुर में रहने वाले पत्रकार राकेश सिंह निर्भीक और उसके साथी पिंटू साहू को ज़िंदा जलाकर मार दिया गया। राकेश और पिंटू, लखनऊ के राष्ट्रीय स्वरूप हिंदी अखबार में काम करते थे। पुलिस ने बताया कि राकेश और पिंटू राज्य में होने वाले चुनाव को लेकर खबर लिख रहे थे, जिसमें उन्होंने ग्राम प्रधान के खिलाफ कई खबरें लिखी थीं। हत्या के मामले में पुलिस ने प्रधान के बेटे रिंकु मिश्रा, साथी ललित मिश्रा और अकरम नाम के व्यक्ति को हिरासत में लिया है, जिन्होंने हत्या की घटना को अंजाम दिया था।
घटना को अंजाम देने के लिए अल्कोहल वाले सैनीटाइज़र का इस्तेमाल किया गया था। आरोपियों ने पत्रकार के घर मे आग लगाकर उन्हें मारने की कोशिश की थी, जिसमें पिंटू की मौके पर मौत हो गयी थी और राकेश की मौत अस्पताल में भर्ती होने के कुछ वक्त बाद हुई थी। मरने से पहले राकेश ने अस्पताल के अधिकारियों को बताया कि वह गांव की प्रधान और उसके बेटे के भ्रष्टाचार के मामले के बारे में लगातार लिख रहा था। “सच्ची पत्रकारिता करने की यही कीमत होती है“- राकेश ने दर्द में कहा।
बलात्कार के मामले
यूपी के कानपुर में 14 नवंबर 2020 दीवाली की रात को छह साल की बच्ची का अपहरण करके, उसका बलात्कार किया गया। कानुपर के डिप्टी आईजी प्रीतिंदर सिंह ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ़्तार किया। चार आरोपियों में से दो आरोपी, जिसने बच्ची के साथ बलात्कार किया, वह उसके पड़ोसी थे। इंडियन एक्सप्रेस की 28 नवंबर 2020 की रिपोर्ट में बताया कि यूपी के बुलंदशहर में तीन भाइयों ने मिलकर अपनी भाभी के साथ बलात्कार किया। रिपोर्ट के अनुसार, इसरार, गफ्फार और अबरार के भाई सलमान ने 2019 में अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था। जिसके बाद तीनों भाइयों ने मिलकर अपनी ही भाभी के साथ बलात्कार किया। पुलिस द्वारा सभी आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया कि यूपी में हर 16 मिनट में एक बलात्कार होता है। यहां तक कि यूपी को महिलाओं के रहने के लिए सबसे असुरक्षित राज्य भी घोषित कर दिया गया है।
भीड़ द्वारा मारने के मामले
अक्टूबर 2019 में यूपी के मऊ जिले में 20 साल के युवक शाहिद को कुछ अज्ञात लोगों द्वारा पीट–पीटकर जान से मार दिया गया। शाहिद के पिता ने बताया कि मोबाइल फोन पर कुछ देखने के विवाद को लेकर उसे मारा गया। पुलिस द्वारा इस मामले में पांच से छह लोगों के खिलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ किया गया है।
ब्लूमबर्ग क्विंट की दिसंबर 2018 की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत मे सबसे ज़्यादा भीड़ के द्वारा होने वाली मौतों में यूपी का नाम सबसे आगे हैं। 69 प्रतिशत मामले और हिंसाएं गाय से जुड़ी हुई हैं। 3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर के पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को गायों की रक्षा करने वाले समूह ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
बताए गए अधिकतर मामले हाल ही में हुए हैं। फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किस सुरक्षा की बात कर रहें हैं? अगर माहौल अच्छा होता तो एक पत्रकार को सच्ची पत्रकारिता करने की वजह से जिंदा नही जलाया जाता। अगर वातावरण अच्छा होता तो राज्य में आये दिन बलात्कार की घटनाएं नहीं होती। ना ही भीड़ सिर्फ किसी काम के करने का शक़ होने पर किसी बेकसूर व्यक्ति को मारती। आखिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किस सुरक्षा और अच्छे वातावरण का हवाला देकर लोगों को यूपी के फ़िल्म सिटी में निवेश करने के लिए कह रहे हैं?