चाहें वो आवास की योजना हो या साफ़ पानी मिलने की योजना, अभी भी देशभर में न जाने कितने ऐसे गाँव हैं जहाँ के लोग इन सभी योजनाओं से वंचित हैं। कुछ ऐसे ही दो मामले सामने आए हैं चित्रकूट के, जहाँ एक गाँव के लोग स्वच्छ पेयजल न मिलने से परेशान हैं, वहीँ दूसरे गाँव के ग्रामीण नालियों और गलियों सफाई न होने से परेशान हैं।
वैसे तो सरकार ग्रामीणों के विकास के लिए हर साल ढेरों योजनाएं तैयार करती है, लेकिन जब इन योजनाओं पर कार्य करने की बात आती है, तब सभी सरकारी कर्मचारी और नेता चुप्पी साध लेते हैं। और इसकी सबसे ज़्यादा मार गरीबों को झेलनी पड़ती है, जो विकास की उम्मीद में वोट तो डाल कर आ जाते हैं लेकिन साल दर साल अपनी मांगों के पूरा होने के इंतज़ार में ही बैठे रह जाते हैं। चाहे वो आवास की योजना हो या साफ़ पानी मिलने की योजना, अभी भी देशभर में न जाने कितने ऐसे गाँव हैं जहाँ के लोग इन सभी योजनाओं से वंचित हैं। कुछ ऐसे ही दो मामले सामने आए हैं चित्रकूट के, जहाँ एक गाँव के लोग स्वच्छ पेयजल न मिलने से परेशान हैं, वहीँ दूसरे गाँव के ग्रामीण नालियों और गलियों सफाई न होने से परेशान हैं।
पेयजल योजना तो बनी, लेकिन नहीं मिला लाभ-
जिला चित्रकूट के ब्लॉक मऊ के गाँव खण्डेहा में आजतक सप्लाई नल नहीं लगाया गया है, जिसके कारण यहाँ के लोग गर्मियों में ख़ास परेशानियों का सामना करते हैं। लोगों ने हमें बताया कि गाँव में जो एक हैंडपंप था वो भी गर्मी शुरू होते ही ख़राब हो गया है। गाँव की धुरपतिया देवी , अनीता और समय लाल का कहना है कि सरकार ने वादा किया था कि घर-घर में सप्लाई नल की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी लेकिन उनके गाँव में ऐसा नहीं हुआ।
इस गाँव में 7 मजरे हैं और सातों मजरों में एक भी घर में सप्लाई नल नहीं लगवाया गया। यहाँ की आबादी भी करीब 8 हज़ार लोगों की है और इतनी आबादी वाले गाँव में पेयजल की कोई सुविधा न होना बहुत ही निराशाजनक है। यह लोग एक किलोमीटर दूर लगे हैंडपंप से पानी भर कर लाते हैं या फिर अगर किसी खेत में बोरवेल चलता मिल गया तो ये लोग वहां से पानी भर लेते हैं। इन लोगों ने हमें बताया कि पानी लेने के लिए भी इन्हें इस कड़कती धुप में घंटों लाइन में लगना पड़ता है, और उसके बाद ही पानी नसीब होता है।
2010 में शुरू हुआ था पेयजल योजना का काम-
यहाँ मौजूद लोगों का कहना है कि जब मऊ ब्लाक में पेयजल योजना के तहत पाइप लगवाए जा रहे थे तब इन लोगों ने भी नल लगवाने की मांग की थी परन्तु किसी ने कोई सुनवाई नहीं की थी। बता दें कि पेयजल योजना जिसका नाम अब बदल कर जल जीवन मिशन योजना कर दिया गया है, इसके तहत सरकार ने देश के हर घर में मुफ्त पानी की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पाइप लाइन डलवाने का वादा किया था। इस योजना पर काम 2010-11 में शुरू हुआ था और आज तकरीबन 10 साल बाद भी इस योजना के लाभ से हज़ारों लोग वंचित हैं। इन लोगों की मानें तो वर्ष 2018-19 में मऊ ब्लॉक के कई गाँव में दोबारा से पाइप लाइन डाली गई थीं लेकिन तब भी खण्डेहा गाँव में यह कार्य नहीं हुआ।
जल जीवन मिशन योजना का कार्य 2021 से 2024 तक चलेगा लेकिन इन ग्रामीणों का कहना है कि इन्हें अब कोई उम्मीद नहीं है कि इनके गाँव में अब पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। कई लोगों ने गर्मी में पानी न मिलने से जानवरों की मौत की भी शिकायत की। इन लोगों का कहना है कि ग्रामीण तो मीलों चलकर जैसे-तैसे पानी का इंतज़ाम कर लेते हैं लेकिन पशु-पक्षी इस तप्ती गर्मी में पानी की तलाश में कहाँ जाएँ?
मऊ ब्लॉक के गाँव खोहर के लोग भी पानी की कोई सुविधा न मिलने से परेशान हैं। यहाँ करीब 100 घर हैं और इन सभी घरों के लिए सिर्फ एक ही हैंडपंप है। न ही किसी घर में पानी का नल है और न ही दूर-दूर तक बोरवेल की सुविधा है। इस गाँव की सूरजकली और मनटोरिया का कहना है कि दस्तावेज़ों के हिसाब से तो गाँव के हर घर में पानी का नल मौजूद है लेकिन अगर कोई अधिकारी आकर यहाँ की स्थिति देखे तो उन्हें पता चलेगा कि इस गाँव के लोग कितनी परेशानियां उठा रहे हैं।
चित्रकूट परियोजना के प्रबन्धक राजेन्द्र सिंह का कहना है कि जब पेयजल योजना शुरू हुई थी तब ज़्यादातर गाँव में पेयजल सुविधा उपलब्ध करा दी गयी थी और जो गाँव छूट गए थे उनमें भी पानी उपलब्ध कराने की रणनीति बनाई गयी थी। लेकिन 2014 में जब सरकार बदली तो कई योजनाओं में बदलाव हुए। अब वर्ष 2021 में मऊ क्षेत्र में दोबारा सर्वेक्षण कराया जा रहा है और जिन गाँव में पानी का नल नहीं लगा है वहां जल्द से जल्द इस कार्य को शुरू कराया जाएगा।
साल भर से नहीं हुई नालियों की सफाई-
चित्रकूट ज़िले के कुछ गाँव जहाँ पानी के लिए तरस रहे हैं वहीँ ब्लॉक रामनगर के गाँव रामनगर कॉलोनी बस्ती के लोग साल भर से नालियों की सफाई न होने से परेशान हैं। जैसा कि हम जनाते हैं कि इस समय कोरोना महामारी के चलते सरकार बार-बार अपने आसपास साफ़-सफाई रखने पर ज़ोर डाल रही है लेकिन जब सरकारी कर्मचारी ही इन दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं और अपना कर्त्तव्य नहीं निभा रहे हैं तो ऐसे में बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।
गाँव के कांता प्रसाद का कहना है कि करीब एक हज़ार की आबादी वाले इस गाँव में दिनभर लोग इन नालियों के आसपास से आना-जाना करते हैं। और लगभग एक साल से नालियों की सफाई न होने के कारण चारों तरफ कूड़ा-कचरा जमा हो गया है जिसमें मच्छारों ने अपना घर बना लिया है। इस गंदगी के कारण न ही सिर्फ कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने का खतरा है बल्कि मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इन लोगों ने कई बार बीडीओ के पास जाकर सफाई करवाने की मांग भी की लेकिन वहां सिर्फ सफाई हो जाने की सहानुभूति मिली और आजतक कोई भी सफाईकर्मी नहीं आया।
इस मामले पर ब्लॉक रामनगर में नियत सफाई कर्मी का कहना है कि पंचायत चुनाव के चलते ज़्यादातर सफाईकर्मियों की ड्यूटी चुनाव बूथों पर लगी रह रही थी, जिसके कारण वो लोग गली-महोल्लों की सफाई नहीं कर पा रहे थे। इसके साथ ही उसका यह भी कहना है कि उस पूरे गाँव के लिए सिर्फ एक ही सफाईकर्मी है और इतने बड़े गाँव की अकेले सफाई करना उसके लिए मुश्किल होता है। जिसके कारण कई बार काफी गलियां छूट जाती हैं। इस समय कोरोना महामारी के चलते उन्हें अपना बचाव भी करना होता है, इसलिए वो लोग ज़्यादातर समय ब्लॉक में ड्यूटी करते हैं और गाँव-गाँव
जाने से बच रहे हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सफाई है ज़रूरी-
इस मामले पर जब हमने ब्लाक रामनगर के बीडीओ धनंजय सिंह कुमार से बात की तो उनका कहना है कि इस समय हर गाँव में सफाई को लेकर दिक्कतें आ रही हैं क्यूंकि सफाईकर्मी कम हैं और क्षेत्र ज़्यादा हैं। लेकिन वो अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि एक-एक करके सभी गाँव की सम्पूर्ण सफाई करवाई जाए। उनका कहना है कि कोरोना महामारी में यह आवश्यक है कि घरों के आसपास साफ़-सफाई रहे, ऐसे में ग्रामीणों को भी इसका ध्यान रखना चाहिए कि वो कम से कम गंदगी फैलाएं और वो जल्द से जल्द प्रयास करेंगे कि सफाईकर्मी अपनी ड्यूटी निभाएं और गाँव को स्वच्छ बनाने में मदद करें।
आप यह भी पढ़ सकते हैं – ललितपुर : तालाब का गंदा पानी पीने को मज़बूर लोग,हो रही कई तरह की बीमारी
पानी की किल्लत और गाँव में सफाई-सुथराई की कमी के दोनों मामलों से यह साफ़ ज़ाहिर होता है कि सरकार के द्वारा बनाई गयी योजनाओं में कितनी सारी भीतरी कमियां हैं। जहाँ हम इंटरनेट पर कई बार देखते हैं कि कुछ लोग पानी को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ते वहीँ न जाने कितने ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। जहाँ अधिकारियों के बंगलों और दफ्तरों में आपको धूल का एक कर्ण भी नहीं मिलेगा वहीँ अभी भी हज़ारों गाँव ऐसे हैं जहाँ सफाई का नामो-निशान नहीं है। ऐसे में ज़रूरी है कि सरकार जो भी योजनाएं बनाती है तो यह ज़रूर सुनिश्चित करे कि जिन लोगों को ज़रुरत है वो उन योजनाओं का लाभ उठा सकें। नहीं तो ऐसे ही साल दर साल योजनाएं बनती रहेंगी लेकिन फिर भी लोग परेशानियां उठाते रहेंगे।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए सुनीता बरगढ़ एवं सहोद्रा द्वारा रिपोर्ट और फ़ाएज़ा हाशमी द्वारा लिखा गया है।