जिला चित्रकूट के ब्लाक मऊ के गाँव कोनिया बरगढ़ की महिलाओं ने 1 साल पहले मुर्गी पालन का फॉर्म भरा था लेकिन उन लोगों को अभी तक सरकार की तरफ से चूज़े नहीं मिले हैं। इन महिलाओं ने बताया कि कम से कम 25 या 50 महिलाओं ने मुर्गी पालन का फार्म भरा था। लेकिन आज तक योजना के वादे के मुताबिक़ न ही उनके खाते में पैसे आये हैं और न ही चूज़ा या दाना मिला है।
इन महिलाओं का कहना है कि पहले तो मुर्गी पालन का काम करके वो घर की आर्थिक स्थिति मैं अपना योगदान दे देती थी और बच्चों का पेट पाल लेती थी। लेकिन पिछले एक साल से इन लोगों को योजना का कोई भी लाभ नहीं मिला है। इन महिलाओं ने बताया कि पिछले साल लॉकडाउन लगने से पहले इन्होने मुर्गी पालन का फॉर्म भरा था, और पशु अस्पताल में बैंक खाते की जानकारी भी जमा करवाई थी, जिसके बाद पशु चिकित्सालय के कर्मचारियों ने उन्हें बस आश्वासन दिया कि आज नहीं तो कल चूज़े आ जायेंगे।
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ये महिलाएं चूज़ों को बड़ा होने तक पालती थी, जिसके लिए सरकार की तरफ से 10 हज़ार रूपए भी मिलते थे, फिर जब चूज़े बड़े हो जाते थे उन्हें बाज़ार में बेच कर अपना खर्चा निकाल लेती थी। इसके अलावा मुर्गी पालन की मदद से वो अंडे बेचकर भी अपना गुज़ारा करती थी। अब साल भर से चूज़े न मिलने से इन लोगों का रोज़गार का जरिया छिन गया है जिससे ये महिलाएं काफी दुखी हैं।
बरगढ के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ सुधीर कुमार का कहना है कि बरगढ क्षेत्र में लॉकडाउन से पहले करीब दस गाँव में मुर्गी पालन का फार्म भरा गया था। लेकिन फिर कोरोना महामारी के चलते अस्पताल में मुर्गियां या चूज़े नहीं आये और फिर पिछले साल ही बर्ड फ्लू भी आ गया था, जिसके कारण अभी तक वितरण करने के लिए चूज़े नहीं आये हैं। सुधीर कुमार का कहना है कि वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं कि जल्द से जल्द महिलाओं तक चूज़े पहुँच जाएँ और उनका रोज़गार चलता रहे।