खबर लहरिया Blog बिहार के जिस गांव में वैक्सीन से डरते थे लोग, वहां अब 90% ने लगवा ली है वैक्सीन

बिहार के जिस गांव में वैक्सीन से डरते थे लोग, वहां अब 90% ने लगवा ली है वैक्सीन

बिहार के सिमरी डुमरी गांव के लोगों ने पहले वैक्सीन लगवाने से मना कर दिया था. उन्हें डर था कि इससे उनकी मौत हो जाएगी

कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर का प्रकोप झेल चुके भारत ने इसकी तीसरी लहर को लेकर कमर कस ली है. इसीलिए, सरकार संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए वैक्सीनेशन अभियान चला रही है और ज्यादा से ज्यादा लोगों वैक्सीन लगाने का लक्ष्य भी बनाया है.

वहीं, वैक्सीन से जुड़ी गलत सूचनाओं की वजह से बहुत से लोग वैक्सीनेशन से कतरा रहे हैं. हालांकि, इस दौरान कुछ गांव ऐसे भी हैं, जो मॉडल के तौर पर उभरे हैं. क्योंकि उन्होंने वैक्सीनेशन को लेकर भ्रम की स्थिति पर काबू पा लिया है.

क्विंट ने वीडियो वॉलंटियर्स नाम के एक एनजीओ के साथ मिलकर, पश्चिमी चंपारण के सिमरी डुमरी गांव के लोगों से बात की. इस गांव के लोगों ने पहले वैक्सीन से मौत का डर होने का हवाला देकर वैक्सीन लगवाने से इनकार किया था. लेकिन आज करीब 90 प्रतिशत ग्रामीणों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है.

आशा कार्यकर्ताओं ने कैसे बढ़ाया स्थानीय लोगों का प्रोत्साहन

अप्रैल में वीडियो वॉलंटियर की रिपोर्टर और इसी गांव की निवासी तंजू देवी ने गांव में कई महिलाओं से बात की थी. उन्होंने जिन महिलाओं से बात की, उन्होंने कहा था कि वो वैक्सीन नहीं लगवाएंगी.

                                                        सिमरी डुमरी गांव की महिलाएं अब वैक्सीन लगवाने को तैयार है

                                                                       (फोटो: वीडियो वॉलंटियर)

गांव की रहने वाली सैंतीस साल की पूनम देवी ने तब तंजू देवी से कहा था कि लोग वैक्सीन लगने के बाद मर जाते हैं और वो मरना नहीं चाहती. उन्होंने बताया कि उन्हें ये जानकारी मोबाइल फोन से मिली थी.

हालांकि, दो महीने बाद पूनम देवी ने वैक्सीन लगवा ली.

                                                             पूनम देवी ने पहले वैक्सीन लगवाने से कर दिया था मना
                                                                   (फोटो: वीडियो वॉलंटियर)

रिपोर्टर ने उन्हें वैक्सीन के लिए प्रोत्साहित किया था. वो गांव में वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं. जब गांव की अन्य महिलाओं ने उन्हें वैक्सीन लगवाते देखा, तो उनकी भी वैक्सीन को लेकर झिझक कम हुई.

क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने ग्रामीणों के लिए गलत सूचना के प्रमुख स्रोत WhatsApp का ही इस्तेमाल उन तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए किया. उन्होंने WhatsApp से वेरिफाइड आर्टिकल और वीडियो शेयर कर लोगों में जागरूकता फैलाई.

गांव के प्रशासन ने भी वैक्सीनेशन कैंप लगाकर इस पहल में मदद की. जो लोग पहले वैक्सीन लगवाने में असहज महसूस कर रहे थे वही अब अपने साथी ग्रामीणों को वैक्सीन लगवाते देख प्रोत्साहित हुए और खुद भी वैक्सीन लगवाने लगे.

सिमरी डुमरी गांव में करीब 3,500 परिवार हैं, और आज इन परिवारों के करीब 90 प्रतिशत वयस्कों को वैक्सीन लग चुकी है.

कुछ गांव वाले अभी भी वैक्सीन से डरे हुए हैं

हालांकि, अभी भी कुछ ऐसे गांव वाले हैं जिन्हें ये डर है कि वैक्सीन से उनकी मौत हो जाएगी. करीब 2500 परिवारों वाले, अररिया जिले के बरुदा गांव में लोग अभी भी इससे डरे हुए हैं .

गांव में रहने वाली 50 साल की रजीना खातून ने हमसे बताया कि:

‘वैक्सीन लगने के बाद मेरे परिवार और पड़ोस के लोगों की मौत हो गई. यहां के 150 परिवार वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते. और बेहतर है कि सरकार हमें कुछ न दे.”- रजीना खातून

                                            रजीना खातून ने वैक्सीन लगवाने से मना कर दिया
                                                     
                                                       (फोटो: वीडियो वॉलंटियर)

 

गांव की ANM ने हमें बताया कि उन्होंने गांव में वैक्सीनेशन कैंप लगाए थे. और अभी तक करीब 250 परिवारों ने वैक्सीन लगवा ली है.

रिपोर्टर: तंजू देवी (वीडियो वॉलंटियर)

(अपडेट: स्टोरी में गांव की ही रहने वाली रिपोर्टर (तंजू देवी) की जानकारी से जुड़ा अपडेट किया गया है. उन्होंने ग्रमीणों में वैक्सीन को लेकर जो डर था, उसे दूर करने में मदद की.)

(ये स्टोरी द क्विंट के कोविड-19 वैक्सीन से जुड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है)

यह श्रृंखला क्विंट हिंदी और ख़बर लहरिया पार्टनरशिप का अंश है। लेख क्विंट द्वारा लिखा और रिसर्च किया गया है।