ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए पानी के स्त्रोत के रूप में सिर्फ हैंडपम्प ही एकमात्र ज़रिए दिखाई पड़ता है। वह इसलिए क्योंकि पानी की सप्लाई की पाइपलाइन की सुविधा अभी भी उनकी पहुंच से दूर है। ऐसे में जब वो एकमात्र ज़रिए भी दूर हो जाता है तो पानी की समस्या गंभीर रूप ले लेती है।
उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के तिंदवारी ब्लॉक में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहाँ लोगों के लिए पानी की समस्या ने उनके दैनिक जीवन को और भी मुश्किल कर दिया है।
जानकारी के अनुसार,तिंदवारी ब्लॉक का कस्बा मोहल्ला बबेरू चौराहा और तिंदवारी थाने के पास बसी बस्ती प्रेम नगर के कई हैंडपम्प बहुत समय से खराब पड़े है। तकरीबन छह महीने से लोगों द्वारा समस्या के समाधान के लिए कोशिश की जा रही है। लोगों द्वारा कई बार परेशानी को लेकर शिक़ायत भी की गयी। लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।
लोगों ने बतायी परेशानी
बस्ती में रहने वाली शिवकली कहती हैं कि इस समय खेतों में कटाई का काम चालू है। खेतों से आओ तो नहाने के लिए पानी की ज़रूरत होती है। पर वो तो है ही नहीं। इसलिए या तो 1 किलोमीटर चलकर पानी लाते हैं। नहीं तो दूसरे मोहल्ले से जाकर पानी भरते हैं।
आरती देवी का कहना है कि गर्मी आते ही मोहल्ले का हैंडपंप खराब हो जाता है। 10 दिन पहले चेयरमैन से शिकायत की थी कि उनके मोहल्ले का हैंडपंप खराब है। वह उसे बनवा दे ताकि पानी की किल्लत ना हो और पानी की परेशानी भी ठीक हो जाए।
रमादेवी कहती हैं कि चौराहे का हैंडपम्प खराब होने से आने–जाने वाले यात्री भी परेशान है। मोहल्ले के लोग तो किसी भी तरह से पानी का बंदोबस्त कर लेते हैं। पर यात्रियों के लिए प्यास बुझाना और उसके लिए पानी ढूंढना काफ़ी बड़ी समस्या हो जाती है।
चैयरमैन ने कहा – जल्द होगा ठीक
मामले को लेकर तिंदवारी के चेयरमैन भूरे लाल और प्रतिनिधि मुन्नी देवी का कहना है कि जल्द ही हैण्डपम्प ठीक करवा दिया जाएगा। यह भी कहा गया था कि जैसे ही होली का त्यौहार खत्म होगा, समस्या का भी निपटारा हो जाएगा। लेकिन त्यौहार तो बीत गया और समस्या जैसी की तैसी बनी हुई है।
पानी की समस्या होना अब हर जगह आम–सी हो गयी है। पहले लोग कुएं व तालाबों से पानी भर लेते थे पर अब तो वह भी सूख गयी है। शहरों में पानी के लिए पाइपलाइन और मोटर की सुविधा है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के पास न तो सुविधा है और ना ही सरकार उन तक पहुंच पाती है। ऐसे में उनकी पानी की समस्या और बड़ी हो जाती है। फिर कौन उन लोगों को पानी मुहैया कराएगा? कब गांवो में भी सुविधाएं पहुंचेंगी? जल को जीवन कहा जाता है पर उनके पास तो जल ही नहीं तो वह अपना जीवन कैसे बचाएं?