कोरोना काल में साईकिल का महत्त्व : विश्व साईकिल दिवश विशेष जिला अयोध्या, ब्लाक तारुन,गांव है श्रीरामपुर कैथवलिया जाना बाजार के रहने वाले 17 लोग पश्चिम बंगाल कोलकाता साइकिल चला कर अयोध्या अपने घर पहुंचे जब उनसे पूछा गया इनका सफर कैसा रहा इनके चेहरे पर दुख की लकीरें भी दिखी और खुशी थी घर पहुंचने इन लोगों का कहना है कि सफर बहुत ठीक नहीं था बहुत कठिनाइयां हुई पानी के लिए ज्यादा दिक्कतें थी हम लोग कोलकाता में ईट भट्टे पर काम करते हैं वहां पर जब हम लोगों का पैसा खत्म हो गया तो कोई साधन भी नहीं चल रहे थे जिससे अपने घर पहुंच जाए बस वाले भी ज्यादा पैसे मांग रहे थे इतना पैसा हम लोगों के पास नहीं था हम लोगों ने चंदा जुटाकर पैसे जुटाए फिर साइकिल लिया और वहां से रवाना हुए हम लोग 9 दिन लगातार दिन-रात साइकिल चलाकर घर पहुंचे सिर्फ सोते थे सुबह 5:00 बजे से लेकर रात 1:00 बजे तक साइकिल चलाते थे जब कहीं पार्क देते थे तो वहां पर हम लोग से खड़ा करके सो जाते थे और खाने की व्यवस्था नहीं थी लेकिन जब बॉर्डर आता था या पुलिसकर्मी थे जो बड़े नेता थे खाना खिला देते थेपश्चिम बंगाल तक खाने की दिक्कत नहीं थी जब भी हार पहुंचे तो बहुत आने लगी का भी सामना करना पड़ा एक गांव से होकर जाना पड़ा गांव वाले भी इधर-उधर भटका दिए पूरा 1 दिन लग गया था गांव में ही हाईवे पर आने के लिए पूछने पर पता चला इतना घंटे इतना दिन लगातार साइकिल नहीं चलाए थे लेकिन लाख में मजबूरी थी घर पहुंचना था इसलिए साइकिल चलाना पड़ा और कोई सहारा नहीं था कोई साधन नहीं था आज साइकिल दिवस है पूछे जाने पर क्या कहना चाहेंगे तो बताया कि साइकिल अभी भी बड़े-बड़े गाड़ियों को हरा देती है भले ही टाइम लगता है इसमें ना लेकिन ना तो इसमें कोई रोक-टोक रहती है नाइस में तेल लगता है और ना ही इसमें पैसे चाहिए कि बिगड़ जाए बनवा लेंगे और वैसे भी लोग सुबह जॉब की एक्सरसाइज के लिए साइकिल का उपयोग करते हैं साइकिल बहुत ही हमारे लिए उपयोगी चीजें चीज है इसके बहुत सारे फायदे भी हैं मोटापा घटाने के लिए भी रोज सुबह साइकिल चलाते है