चित्रकूट जिले के ब्लाक रामनगर का गाँव बेलरी जहाँ बीसों साल से पानी भरा हुआ है
इस समस्या को लेकर ग्रामीण कई बार मांग किये यहाँ तक की धरने पर भी बैठे लेकिन समस्या का हल नहीं हुआ। लोगों की मांग थी की सड़क बनवा दी जाये जिससे वह गाँव को सही सलामत जा सकें। अभी के हालात यह हैं की उन्हें पानी से होकर जाना पड़ता है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है।
रामपुर गाँव मजरा बेलरी निवासी बुधिराम यादव ने बताया कि थोड़ी सी बारिश भी हो जाती है तो आवागमन का सारा रास्ता बंद हो जाता है। अगर रात में कोई भी समस्या हो किसी महिला को प्रशव पीड़ा हो तो आने जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। चारपाई में लेके या कंधे पर बैठाकर निकालना पड़ता है। प्रशासन द्वारा सिर्फ आश्वासन मिला है और कुछ नहीं। यहाँ के विधायक सांसद द्वारा कुछ नहीं किया गया। मै सबसे निवेदन कर रहा हूँ की कुछ कार्यवाई करें नहीं तो हम जल समाधी या ग्रामीणों के साथ आत्मदाह कर लेंगे।
धन का हुआ बंटरबाद
ओमप्रकास का कहना है कि बारिश होने पर हमारा सारा काम रुक जाता है। कई बार पूरे गाँव के लोग मिलकर धरना प्रदर्शन आमरण अनशन किया शासन ने पूरी तरह से अस्वासन दिया है। जो भी हमसे पूछा गया उसे हर बार झूठेपन में लिया गया स्थलीय निरिक्षण नहीं गया और मै बार-बार निवेदन करुगा अधिकारियों से की स्थलीय निरिक्षण कर जो दयनीय स्थिति है उसे देंखे। बस यही गुजारिश है और कुछ कहने के लायक नहीं हैं क्योंकि 2015 से लगातार गाँव का एक मुहीम चलाते रहे लेकिन कुछ नहीं हुआ। मनरेगा के तहत भी जो धन आया उसका बंटरबाद हुआ। केवल झूठा आश्वासन मिला। एक हजार के आसपास लोग इस परेशानी झेल रहे हैं।
सुनवाई नहीं होगी तो करेंगे आत्मदाह-ग्रामीण
डिलेवरी केस में यहाँ कोई साधन नहीं आता गर्भवती महिलाएं पानी में डूबकर टीका लगवाने आती हैं तो पानी में हलके टीका लगवाती हैं। सरकार कह रही सबका साथ सबका विकास पर मुझे नहीं लगता कि सबका साथ सबका विकास हो रहा है। केवल वोट तक साथी बनाते हैं उसके बाद जैसे चुनाव खतम वैसे इनके सारे रिश्ते ख़तम हो जाते हैं। जहाँ तक मेरी बात पहुँच रही सब देखे और मदद करें। इस बार शासन अगर अनसुनी करती है तो आत्मदाह करने के लिए तैयार हैं।
दूसरे गाँव से राशन लाने में हो रही दिक्कत
बच्ची नाम की महिला ने बताया कि अस्सी साल की उमर हो गई ऐसे ही देख रहे हैं बहुत तकलीफ होती है। ऐसा ही एक नाला है उसको भी ऐसे ही पार करना पड़ता है। राशन लेने दुसरे गाँव पानी में हलके जाना पड़ता है। फिर सिर पर गठरी रखके लाना बहुत तकलीफ देता है।
लवलेश प्रभास महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना है की सहनशीलता की जो क्षमता है वह कुछ दिनों बाद ख़तम हो जाती है। गाँव के लोगों की क्षमता ख़त्म हो चुकी है।गाँव के लोग इतना आक्रोशित हैं की अगर कोई नेता आ जाये तो शायद गाँव में नहीं आने देंगे। सत्तर सालों में कुछ नहीं हुआ। आक्रोश इस बात का है कि हम अधिकारियों से हाथ जोड़ रहे लेकिन वह हमारा कल्याण नहीं कर रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में बहिष्कार भी किया। जिन्होंने नेतृत्व किया था उसको जेल में डाल दिया। ये कहाँ का न्याय है की जो समस्या के निराकरण की मांग कर रहे हैं ओ उन्हें जेल में डाला जा रहा है।
वोट लेकर हो रहा ग्रामीणों के साथ मजाक
हम कहते हैं की जितना हक़ आपको सुविधा पाने का है उतना हक़ हमें भी है। आप संबिधान के विरोध में काम मत करिए। संविधान में राज्य के कल्याणकारी राज्य के स्थापना के लिए जो मेसेज दिया है पुरे देश के लिए उस मेसेज का पालन करिए। आप के लिए ये बहुत बड़ा काम नहीं है बस एक चेकडैम बनाना है। आप बड़े बड़े अस्पताल यूनिवर्सिटी बनाते हो फोरलेन बनाते हो एक छोटा सा चेकडैम नहीं बना सकते?
वोट बहिष्कार के बाद भी नहीं हुई सुनवाई
कहीं न कहीं इन ग्रामीणों को बेवकूफ समझा जा रहा है की चिल्लाते रहेंगे ऐसे तमाम गाँव के लोग चिल्लाते हैं। ये बेवकूफ नहीं भोले भाले लोग हैं सहनशील लोग हैं तो इनकी सहनशीलता का परिचय मत लीजिए नहीं तो जिस दिन ये लोग बिस्फोट करेंगे बहुत घटक होगा। इसलिए जिम्मेदार अधिकारियों से निवेदन और चुनौती है की बड़ा आन्दोलन करेंगे। नहीं तो जल समाधि करेंगे जिसके जिम्मेदार आप होंगे।
इसलिए यहाँ आइए डूबकी लगाइए और जानिए की कितनी दिक्कत है। पुरुष तो निकल जाते है कपडे उतारकर महिलाएं क्या करें। एक गर्भवती महिला और एक व्यक्ति एम्बुलेंस न आने की वजह से जान गँवा चुके हैं। तो ये भी इसी देश के हैं संविधान के बल पर जी रहे हैं। इसलिए वोट दिया है की समस्याओ का निराकरण करें।