खबर लहरिया Blog अगर देश की बागडोर महिलाओं के हाथों में हो, तो… 

अगर देश की बागडोर महिलाओं के हाथों में हो, तो… 

आज भारतीय राजनीति में मायावती, ममता बनर्जी और प्रियंका गांधी जैसी महिला नेताओं का नाम सम्मान से लिया जाता है। ये महिलाएं किसी भी पुरुष नेता से कम नहीं। वह कई मामलों में पुरुष नेताओं से कहीं अधिक प्रभावशाली साबित हुई हैं। इन नेताओं ने सिर्फ अपने क्षेत्रीय मुद्दों को नहीं बल्कि समग्र राष्ट्र के हित में कई बड़े फैसले लिए हैं। यही वजह है कि महिला नेताओं की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।

If the Leadership of the Country Was in the Hands of Women

                                                                        दाएं से बाएं में – बसपा सुप्रीमो मायावती, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी व पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी

द्वारा लिखित – मीरा देवी 

महिलाओं का नेतृत्व किसी भी समाज, राष्ट्र या समुदाय के लिए न केवल प्रगति का संकेत है बल्कि यह समृद्धि, समानता और सशक्तिकरण का मूल मंत्र भी बन सकता है। आज के समय में जब मैं भारतीय राजनीति को देखती हूं तो महिला नेताओं का उदय एक नई उम्मीद और सकारात्मक परिवर्तन का संकेत देते हुए पाती हूं। यह वह समय है जब महिलाएं सिर्फ एक वोटर या एक सामान्य नागरिक ही नहीं बल्कि फैसले लेने वाली ताकत बनकर उभर रही हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी और कई अन्य महिला नेताओं की राजनीति में बढ़ती भूमिका यह दिखाती है कि राजनीति में बदलाव की बयार महिला नेतृत्व आने वाली है।

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महिलाओं की राजनीति में बढ़ती भागीदारी

महिलाओं की राजनीति में भागीदारी अब केवल एक आकांक्षा नहीं बल्कि एक आवश्यकता बन गई है। राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं की मौजूदगी आज पहले से कहीं अधिक मजबूत और प्रभावशाली है। यह एक बदलाव का प्रतीक है। जहां महिलाएं न सिर्फ अपनी आवाज उठा रही हैं बल्कि नीतियों के निर्माण में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

आज भारतीय राजनीति में मायावती, ममता बनर्जी और प्रियंका गांधी जैसी महिला नेताओं का नाम सम्मान से लिया जाता है। ये महिलाएं किसी भी पुरुष नेता से कम नहीं। वह कई मामलों में पुरुष नेताओं से कहीं अधिक प्रभावशाली साबित हुई हैं। इन नेताओं ने सिर्फ अपने क्षेत्रीय मुद्दों को नहीं बल्कि समग्र राष्ट्र के हित में कई बड़े फैसले लिए हैं। यही वजह है कि महिला नेताओं की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ रही है।

महिला नेतृत्व का प्रभाव

महिलाएं जब सत्ता में होती हैं तो उनके नेतृत्व में एक खास तरह की संवेदनशीलता और व्यापक दृष्टिकोण देखने को मिलता है। उनके निर्णय समाज के हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए लिए जाते हैं खासकर उन लोगों के लिए जो हाशिये पर हैं। महिलाओं का नेतृत्व सत्ता की संरचनाओं में एक नई सोच और बदलाव लेकर आता है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं न केवल समाज के कमजोर वर्गों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं बल्कि उनके लिए ठोस और दूरगामी नीतियां बनाने में भी सक्षम होती हैं। यह संवेदनशीलता विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए फायदेमंद होती है, क्योंकि वे उनके जीवन की बारीकियों और जरूरतों को बेहतर तरीके से समझती हैं।

महिलाओं का नेतृत्व केवल उनके परिवारों और समाज के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण साबित होता है। उनके निर्णय अक्सर समावेशी होते हैं और सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ते हैं। यह समावेशिता उन्हें समाज के हर तबके को साथ लेकर चलने का अवसर देती है। महिलाओं का यह दृष्टिकोण सत्ता में नई ऊर्जा और दूरदर्शिता का संचार करता है। उनकी सोच न केवल नीतियों को मानवीय बनाती है, बल्कि समाज में समानता और न्याय की भावना को भी मजबूत करती है। उनके नेतृत्व में लिया गया हर निर्णय समाज को एक नई दिशा देने की क्षमता रखता है, जो विकास और सामाजिक सुधार के लिए अत्यंत आवश्यक है।

बसपा सुप्रीमो मायावती 

उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती का स्थान एक ऐसी नेता के रूप में है, जिन्होंने न केवल राज्य में सख्त कानून व्यवस्था की मिसाल पेश की बल्कि दलित समुदाय के सशक्तिकरण का प्रतीक बनकर उभरीं। उनके शासनकाल में “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” की नीति और प्रशासनिक दृढ़ता की वजह से उन्हें एक सख्त प्रशासक के तौर पर याद किया जाता है। हालांकि वर्तमान समय में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का वोट बैंक कमजोर हुआ है और अन्य पार्टियों के बीच बंट गया है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि मायावती का प्रभाव कम हो गया है।

मायावती अब भी दलित वर्ग और अन्य वंचित समुदायों के लिए “मसीहा” के रूप में देखी जाती हैं। उनका नेतृत्व और शासन के प्रति उनका अनुशासन लोगों के दिलों में गहराई से बसा हुआ है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में लोग आज भी उनकी वापसी की उम्मीद करते हैं। मायावती की छवि सिर्फ एक राजनेता की नहीं बल्कि एक ऐसी आइकन की है जिसने लाखों लोगों को उनकी आवाज दी और उन्हें राजनीतिक पहचान दिलाई। उनकी राजनीतिक विरासत अभी भी जीवित है और उनकी सादगी, सख्ती और न्यायप्रियता के किस्से आम जनता के बीच चर्चा का विषय बने रहते हैं।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी के नेतृत्व में राजनीति का एक नया रूप देखने को मिला है। हालांकि उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत समय ले रही है लेकिन उनका दृष्टिकोण और कार्यशैली एक नयी ऊर्जा को प्रकट करती है। प्रियंका गांधी ने हमेशा महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और समानता के मुद्दे पर जोर दिया है। उनका यह प्रयास है कि महिलाएं सिर्फ घर के कामकाजी हाथ नहीं बल्कि समाज के हर क्षेत्र में सशक्त और प्रभावशाली भूमिका निभा सकें। उन्होंने उत्तर प्रदेश में विधानसभा 2022 के चुनाव में “लड़की हूं लड़ सकती हूं” नारे के साथ एक बड़े प्रतिशत के साथ महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारकर चुनाव लड़ने का मौका दिया था।

प्रियंका गांधी नए विचार और ऊर्जा के साथ कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही हैं लेकिन इन प्रयासों को जमीनी स्तर पर प्रभावी बनाने के लिए संगठनात्मक मजबूती, स्थानीय नेतृत्व का विकास और स्पष्ट रणनीतिक दृष्टिकोण पर काम करना जरूरी है। राजनीति में सिर्फ ऊर्जा और विचार काफी नहीं होते उन्हें जमीन पर लागू करने की कला भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

ममता बनर्जी एक ऐसी नेता हैं जिन्होंने पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा है। उनके नेतृत्व ने न केवल महिलाओं को प्रेरणा दी बल्कि गरीबों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए भी नई उम्मीदें जगाईं। उनकी “कन्याश्री” योजना ने लड़कियों की शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाई, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया। इसके साथ ही “सबुज साथी” और “स्वास्थ्य साथी” जैसी योजनाओं ने समाज के वंचित वर्गों को सीधा लाभ पहुंचाया। ममता का ज़मीनी जुड़ाव और संघर्षशील छवि उन्हें बंगाल के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाती है।

हालांकि उनके शासन में कुछ चुनौतियां भी बनी हुई हैं। हाल ही में राज्य में एक नर्स के साथ बलात्कार की घटना और उसके बाद हुए आंदोलन ने प्रशासनिक ढांचे और कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। महिलाओं की सुरक्षा और न्याय दिलाने के मामले में और अधिक सख्त कदम उठाने की जरूरत है। इसके अलावा, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार जैसे मुद्दे भी ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

ममता बनर्जी का प्रशासन सामाजिक कल्याण योजनाओं पर तो जोर देता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इन योजनाओं का कार्यान्वयन पारदर्शी और प्रभावी हो। महिलाओं की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और सामाजिक न्याय को मजबूत करना उनके शासन का अगला महत्वपूर्ण एजेंडा होना चाहिए। जनता उनसे उम्मीद करती है कि वे केवल योजनाओं की घोषणा तक सीमित न रहें बल्कि उनके प्रभाव को जमीनी स्तर पर सुनिश्चित करें।

देश के बड़े मुद्दों पर महिला नेतृत्व का प्रभाव

जब महिलाएं नेतृत्व करती हैं तो उनकी प्राथमिकताएं अक्सर समाज के हर वर्ग और खासतौर पर कमजोर वर्गों तक पहुंचने की होती हैं। महिला नेताओं के कार्यकाल में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, पर्यावरण, और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर ठोस कदम उठाए जाते हैं। महिलाओं के नेतृत्व में स्वास्थ्य और शिक्षा की दिशा में कई सुधार देखने को मिले हैं। ममता बनर्जी और मायावती जैसी नेताओं ने अपनी सरकारों में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और महिलाओं को आर्थिक और शैक्षिक रूप से मजबूत बनाना है। 

महिला नेतृत्व के तहत अक्सर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाते हैं। महिलाओं में आमतौर पर निर्णयों में पारदर्शिता और ईमानदारी की भावना अधिक होती है जो प्रशासन में भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध होती है। मायावती का कार्यकाल एक उदाहरण है जिसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्यवाही की गई। महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सशक्त बनाना एक प्रमुख मुद्दा है जिसे महिला नेताओं ने हमेशा प्राथमिकता दी है। 

महिलाओं की राजनीति में एक सशक्त भूमिका 

हमारे देश में महिलाओं को राजनीति में एक सशक्त भूमिका मिलनी चाहिए। राजनीति में महिलाओं का योगदान तभी सार्थक हो सकता है जब उन्हें पर्याप्त अवसर और समर्थन दिया जाए। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए न केवल उनके लिए आरक्षण की आवश्यकता है बल्कि उन्हें एक समान अवसर मिलना चाहिए ताकि वे भी अपनी क्षमताओं का भरपूर उपयोग कर सकें। कभी न कभी यह समय आएगा जब महिलाएं न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में सत्ता की मुख्यधारा में होंगी। यदि देश की बागडोर महिलाओं के हाथों में होती तो शायद समाज की सोच और व्यवस्था में बहुत बड़ा परिवर्तन आता। महिलाएं समाज के हर वर्ग के कल्याण में रुचि लेती हैं और यही एक कारण है कि उनका नेतृत्व और उनकी नीतियां अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण होती हैं।

महिलाओं का नेतृत्व न केवल समाज में बदलाव लाने की क्षमता रखता है बल्कि यह महिलाओं के अधिकारों को भी सशक्त करता है। आज के समय में महिला नेताओं का उभरना समाज के लिए सकारात्मक संकेत है। यदि महिलाओं को आगे बढ़ने और नेतृत्व करने का पर्याप्त अवसर मिलता है तो भारत न केवल एक मजबूत लोकतंत्र बनेगा बल्कि समाज के हर वर्ग का विकास होगा। महिलाएं राजनीति में न केवल अपनी आवाज उठा सकती हैं बल्कि वे समाज के सबसे बड़े मुद्दों पर अपनी ठोस नीति के माध्यम से बदलाव भी ला सकती हैं। आने वाले समय में महिलाओं का नेतृत्व और भी प्रभावशाली होगा और यह निश्चित रूप से एक नई शुरुआत करेगा जिसमें हर महिला को अपनी पहचान और अधिकार मिलने का मौका मिलेगा।

 

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