खबर लहरिया कोरोना वायरस दारु और बालू बेंच सकते हैं तो बाकी रोज़गार क्यों नहीं? सुनिए ग्रामीणों के तीखे सवाल

दारु और बालू बेंच सकते हैं तो बाकी रोज़गार क्यों नहीं? सुनिए ग्रामीणों के तीखे सवाल

जिला बांदा दारु और बालू बेंच सकते हैं तो बाकी रोज़गार क्यों नहीं? सुनिए ग्रामीणों के तीखे सवाल:

लोगों का आरोप है कि कोरोना महामारी के चलते हुए लाख डाउन से छोटे-मोटे दुकानदार और दोषियों को खासकर परेशानी हो रही है और वह इस समय भुखमरी की कगार पर है जबकि सरकार ने दारु और बालू के लिए पूरी तरह से छूट दे दी है और वह दिन रात धड़ल्ले से चल रही है तो फिर इनके रोजगार क्यों बंद है| लोगों का कहना है कि सरकार ने दारू और बालों को छूट दे करके अपने आर्थिक स्थिति सुधार नीचे आई है क्योंकि दारू और बालू यह दोनों ऐसी चीजें हैं जिसमें सरकार को बहुत ज्यादा इनकम है लेकिन जो गरीब छोटे दुकानदार और किसान वर्ग के लोग हैं जो छोटा-मोटा धंधा करके जैसे घूमती है सिलाई है या होटल है इस तरह से अपना व्यवसाय चला कर गुजारा करते थे उनके लिए कोई छूट नहीं है वह सब बंद पड़े हैं जिससे वह बहुत ही परेशान है अगर सरकार इन बड़े उद्योगपतियों के धंधों को छूट दे सकती है तो छोटे रोजेदारों को क्यों नहीं उनको भी छूट होनी चाहिए ताकि वह भी अपना काम कर सके और गुजारा चला सके लेकिन ऐसा नहीं हो रहा ना तो उनके लिए कोई छूट है कि वह अपना रोजगार कर सके और ना ही उनके लिए कोई खास आर्थिक सहायता है इसलिए उनका मानना है कि सरकार को इस तरह भी ध्यान देना चाहिए और इस पर विचार करना चाहिए| दारू बेंच सकते हैं पर चाय नहीं” की स्क्रिप्ट सरकार ने लोकडाउन का पालन कराने के उद्देश्य से शराब के ठेके खोल दिये पर चाय की दुकानें बंद रखी। जहां एक तरफ शराब की दुकानें सरकार और अमीरों का रोजगार है तो वहीं चाय की दुकानें गरीबों का रोजगार है।

 

लोकडाउन के दौरान बीच में ही दारू की दुकानें केंद्र सरकार ने खोल दिया। दुकान खुलते ही शराब की दुकानों में लगातार हफ्तों लोकडाउन की धज्जियां उड़ाती हुई भीड़ का हुजूम दिखा। जहां एक तरह सरकार का कहना है कि लोकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है इसकी भरपाई के लिए शराब की दुकान खोलना जरूरी है लेकिन सरकार ने चाय की दुकानें बंद रखी क्योंकि वह रोजगार लोगों का खुद का रोजगार है साथ ही गरीबों का भी। चाय का रोजगार करने वालों ने लोकडाउन को जरूरी माना और कसमकश करके किसी तरह से जिंदगी गुजार रहे हैं और एक मिशाल कायम की कि वह देश को बचाने के लिए उनको भूखा रहने पड़े तो रहेंगे पर सरकार ने शराब की दुकान खोलकर उनकी इस मेहनत और मिशाल में पानी फेर दिया। आइये सुनिए हमारी रिपोर्ट में कि लोगों ने क्या बोला