इस वीडियो में हम मिलेंगे ट्रांस मेल समुदाय से जुड़े गौरेश जी से, जो खुद एक ट्रांस मेल हैं। जन्म एक लड़की के शरीर में, लेकिन आत्मा एक पुरुष की—यही वह असल पहचान है जिसे समझने और स्वीकारने में समाज और परिवार अक्सर चूक जाते हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे ट्रांस मेल व्यक्ति को एहसास होता है कि उनका अस्तित्व उस शरीर से मेल नहीं खाता जो उन्हें मिला है। उन्हें सजने-संवरने की नहीं, बल्कि लड़कों की तरह जीने की चाह होती है, लेकिन यही बात परिवार और समाज को अखरती है। जेंडर ट्रांजिशन की राह पर कदम रखते ही तिरस्कार, तन्हाई और संघर्ष उनका पीछा करने लगते हैं। आखिर किन चुनौतियों से जूझते हैं ट्रांस मेल लोग, और कैसे वे अपने हक और पहचान की लड़ाई लड़ते हैं।