खबर लहरिया Blog I Love Mohammed, Bareli News: ‘आई लव मुहम्मद’ बरेली हिंसा में सात लोग गिरफ़्तार 

I Love Mohammed, Bareli News: ‘आई लव मुहम्मद’ बरेली हिंसा में सात लोग गिरफ़्तार 

   

उत्तर प्रदेश के बरेली में 27 सितंबर 2025 को उस समय हिंसा भड़क उठी जब मौलाना तौकीर रज़ा (जो एक मौलवी और इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख हैं) के आह्वान पर ‘आई लव मुहम्मद’ अभियान के समर्थन में नमाज़ के बाद कई प्रदर्शनकारी एक मस्जिद के पास इकट्ठा हो गए।

(फोटो साभार: द हिंदू)

इन दिनों “आई लव मोहम्मद” की खबर सोशल मीडिया और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो रही है। उत्तर प्रदेश में “आई लव मुहम्मद” पोस्टरों को लेकर विरोध प्रदर्शन 27 सितंबर 2025 की नमाज के बाद हिंसक हो गया जिससे दशहरा त्योहार से पहले तनाव बढ़ गया। उत्तर प्रदेश के बरेली में 27 सितंबर 2025 को उस समय हिंसा भड़क उठी जब मौलाना तौकीर रज़ा (जो एक मौलवी और इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख हैं) के आह्वान पर ‘आई लव मुहम्मद’ अभियान के समर्थन में नमाज़ के बाद कई प्रदर्शनकारी एक मस्जिद के पास इकट्ठा हो गए। इस विरोध प्रदर्शन के बाद जल्द ही प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं जिससे स्थानीय लोग दहशत में आ गए।

पुलिस ने स्थानीय मौलवी तौकीर रजा खान सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया जिनके ‘आई लव मुहम्मद’ अभियान के समर्थन में प्रदर्शन के आह्वान के कारण एक दिन पहले उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में हिंसक झड़प हुई थी ।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, आरोप है कि बरेली के इस्लामिया ग्राउंड के पास 1,000 से ज़्यादा लोग धार्मिक नारे लिखे बैनर और तख्तियां लिए जमा हुए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और वाहनों में तोड़फोड़ की। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे जिससे भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने हवा में गोलियां भी चलाईं जिसमें कम से कम 10 पुलिसकर्मी घायल हो गए।

यह विवाद कैसे और कहां से हुआ शुरू? 

यह विवाद 4 सितंबर 2025 को बारावफात के जुलूस से शुरू हुआ था जब कानपुर के रावतपुर में बिना अनुमति के एक जुलूस निकाला गया। इसी दौरान सड़क किनारे ‘आई लव मोहम्मद’ लिखा एक पोस्टर लगाया गया। दूसरे समुदाय के लोगों ने इसे ‘नई परंपरा’ बताकर विरोध किया। पुलिस ने अनुमति न होने के कारण पोस्टर हटवा दिए जिसके बाद मुस्लिम युवकों ने कुछ पोस्टर फाड़ दिए। पुलिस ने इस पर कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया। शुरुआत में मामला शांत था लेकिन राजनेताओं के बयानों ने इसे हवा दे दी जिससे लोगों में गुस्सा भड़क उठा। 

UP, I Love Mohammed: “आई लव मोहम्मद” के बैनर को लेकर विवाद, क्या है यह मामला विस्तार से जानिए

बरेली में हिंसा का कारण 

हिंदुस्तान के रिपोर्ट अनुसार, पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन स्थगित करने की अंतिम समय में की गई घोषणा से नाराज कई प्रदर्शनकारी रजा के आवास और पास की एक स्थानीय मस्जिद के आसपास ‘आई लव मुहम्मद’ लिखे बैनर लेकर एकत्र हुए। जैसे ही पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करना शुरू किया, कुछ प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया, जिसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। खलील उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के पास कुछ लोगों ने वाहनों में तोड़फोड़ शुरू कर दी, जिससे इलाके में पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति और बिगड़ गई। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया ।

हिरासत और एफआईआर 

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के खबर अनुसार, इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान सहित 50 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।

पुलिस सूत्रों ने पुष्टि की कि शहर के तीन से चार थानों में एफआईआर दर्ज की जा रही हैं और तलाशी अभियान जारी है।

मुख्यमंत्री योगी की इस घटना पर प्रतिक्रिया 

दशहरा से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा “हर उपद्रवी की पहचान की जानी चाहिए। वीडियो फुटेज और सोशल मीडिया पर निगरानी के ज़रिए किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि दशहरा “बुराई और आतंक के दहन का प्रतीक है। उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करने का यही सही समय है।” मुख्यमंत्री योगी ने अफवाह फैलाने और जातीय तनाव भड़काने की कोशिशों के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने कहा “अफवाह फैलाने वालों को गिरफ्तार करें।” उन्होंने स्थानीय अधिकारियों और चौकीदारों से त्योहारों के दौरान सतर्कता बरतने और राज्य के निर्देशों का पूरी तरह पालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

यूपी के अन्य जिलों में भी ये विवाद फैला 

उन्नाव – कानपुर की घटना के बाद उन्नाव में भी युवाओं ने ‘आई लव मोहम्मद’ के बैनर लेकर और धार्मिक नारे लगाते हुए जुलूस निकाला। इस दौरान झड़पें हुई जिनमें पुलिसकर्मियों पर पथराव भी शामिल बताया जा रहा है। नतीजतन 8 एफआईआर दर्ज हुए और 5 लोगों को गिरफ़्तार किया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि कानपुर की पहली एफआईआर असल में पोस्टर फाड़ने को लेकर की गई न कि नारे लगाने को लेकर। 

महाराजगंज – महाराजगंज में पुलिस ने एक नियोजित जुलूस को रोक दिया। 64 लोगों (4 नामजद, 60 अज्ञात) के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। विवाद को बढ़ने से रोकने के लिए कई वाहन भी ज़ब्त किए गए।

कौशाम्बी – कौशांबी में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें युवक ‘सर तन से जुदा’ जैसे आपत्तिजनक नारे लगाते दिखे। इससे हिंदू संगठनों में नाराजगी फैल गई। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए नाबालिगों समेत दर्जनों लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। अधिकारियों का कहना है कि यह वीडियो कानपुर की एफआईआर के जवाब में बनाए गए नारे का है न कि मूल बैनर का।

लखनऊ – लखनऊ में मुस्लिम महिलाओं ने विधान भवन के गेट नंबर 4 पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया और पैगंबर मुहम्मद के समर्थन में नारे लगाए। सामाजिक कार्यकर्ता सुमैया राणा ने एफआईआर की आलोचना करते हुए कहा कि यह लोगों को उनकी संवैधानिक स्वतंत्रता से डराने का प्रयास है।

यह विवाद बरेली से आगे बढ़कर मऊ, वाराणसी, मुरादाबाद, उत्तराखंड, कर्नाटक, गुजरात, बिहार और महाराष्ट्र में भी इसी तरह के प्रदर्शनों की खबरें आईं। मऊ में, ज़्यादातर बच्चों से जुड़े एक अनधिकृत जुलूस को पुलिस ने तितर-बितर कर दिया और चार-पाँच लोगों को पूछताछ के लिए ले जाया गया। महाराष्ट्र के बीड में पुलिस ने 23 सितंबर को एक विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित तौर पर भड़काऊ टिप्पणी करने के आरोप में एक मौलवी के खिलाफ मामला दर्ज किया।

बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने कहा – 

बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने 27 सितंबर को हिंसा की बात स्वीकार की और कहा कि अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। “पूरे दिन कोई गड़बड़ी नहीं हुई। जिले में लगभग सभी जगहों पर जुमे की नमाज़ सुरक्षित रूप से हुई। सिर्फ़ कोतवाली क्षेत्र में जहां इस्लामिया ग्राउंड में इकट्ठा होने का आह्वान किया गया था दोपहर लगभग 2:30 बजे बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और विभिन्न चौराहों पर इस्लामिया ग्राउंड जाने की ज़िद करने लगे। विभिन्न स्थानों पर बैठकें आयोजित की गईं जिनमें सभी को बताया गया कि इस्लामिया ग्राउंड में मांगी गई अनुमति सरकार, प्रशासन या पुलिस द्वारा नहीं दी गई है। जो लोग पहुँचे उन्होंने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया और उन पर पथराव किया। जब लोग नहीं माने, तो पुलिस ने अपने प्रशिक्षण के अनुसार, न्यूनतम बल प्रयोग करके भीड़ को तितर-बितर किया। हम यह पता लगाने के लिए विस्तृत जाँच कर रहे हैं कि इसमें सीधे तौर पर कौन शामिल था। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गोलीबारी की भी जानकारी मिली है। उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी जो आह्वान करने लोगों को इकट्ठा करने और पुलिस प्रशासन को गुमराह करने में शामिल थे।”

 

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