खबर लहरिया कोरोना वायरस कैसा रहा सफर: 2020 और कोरोना का?

कैसा रहा सफर: 2020 और कोरोना का?

कैसा रहा सफर 2020 और कोरोना का? 

हैल्लो दोस्तों साल 2020 अब खत्म हो रहा है और हम अब नए साल यानी 2021 से चंद कदम दूर हैं. आपके मन में नई उम्मीदें, नए सपने तो होंगे ही साथ ही 2020 की ऐसी कर्वी यादें भी होंगी जो लोग चाहकर भी नहीं भूल पाएंगे । 2020 हर तबके के लोगों लोगों  लिए भारी रहा वजह तो सब जानते हैं कोरोना महामारी ।

  पिछले साल दिसंबर मध्य में ही कोरोना की  शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई । जब मुझे इस वायरस के बारे में पता चला तो चिंतित तो थी लेकिन आने वाले विकराल महामारी से आप सब की तरह बेखबर थी। लेकिन जैसे ही 2020 में हम ने कदम रखा साथ में ये बीमारी भी चुपके से अपने पैर पसारने लगा। हम धीरे-धीरे इस महामारी की गिरफ्त में आते गए।  होली गुजरी और गुजिया की मिठास के साथ ही जिंदगी के ख़ुशियों के रंग के उड़ने  लगे।

 23 मार्च को  1 दिन की बंदी यानी लॉकडाउन लगा। शायद मैंने अपनी समझ में  पहली बार ट्रेन और यातायात पूरी तरह से थप होते हुए देखा होगा। लेकिन यह तो शुरुआत थी बीमारी से भी भयानक आपदा यानी भूख और बुनियादी जरूरतों के मारा मारी की। 24 मार्च को पहली 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान हुआ. भारत बंद के साथ ही लोगों के रोजगार भी बंद हो गए जो लोग दिल्ली मुंबई में थे वो भूख और अपनों के साथ के लिए तड़पने लगे।

लोग इस महामारी के समय में अपनों के साथ रहना चाहते थे मसलन उन्होंने गुहार लगाईं उनके घर वापसी की.

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जब सरकार ने गुहार नहीं सुनी तो थक हार के लोग पैदल ही सर पर सामान और गोद में बच्चे लिए निकल पड़े अपने घरों की ओर।  हालांकि इस मुश्किल वक्त पर कई सामाजिक, राजनैतिक से लेकर आम आदमी तक ने एक दूसरे की मदद की लोगों को खाना दिया जरूरत के सामान पहुंचाएं लेकिन कहते हैं ना जो हाथ मेहनत कर इज्जत की रोटी खाते थे वह अब मदद मांगने के लिए फैलाने लगे शर्म और आत्मग्लानि तो होती थी लेकिन भाई साहब पापी पेट का सवाल है.

 बात इतने पर खत्म नहीं हुई लोगों की नौकरी गई व्यापार में घाटा हुआ और बेरोज़गारी में इज़ाफा होने लगा.  कई कम्पनियाँ बंद हो गई तो कई ने लोगों की छटनी कर दी.

सरकार ने  गांवों में लोगों को मनरेगा में काम देने का वादा तो किया लेकिन काम नहीं मिला या कुछ पढ़े लिखे लोग इसे करने से हिचकिचाते भी थे.

 काम न होने से पैसों की तंगी तो थी ही साथ ही ज़रूरतों ने भी लोगों को परेशान किया। लोग मानसिक रूप से बीमार होने लगे मतलब तनाव में रहने लगे और जिस वजह से घर में कलह और हिंसा के मामले बढ़ने लगे.

लगभग 3 महीने बाद लॉकडाउन तो खुला लेकिन जिंदगीया सामान्य नहीं हुई. बीमारी यानी कोरोना महामारी ने अपनी रफ्तार नहीं रोकी आज दुनिया भर में 69.5M कोरोना केस हैं और भारत में लगभग 9.77M  लोग इसकी चपेट में हैं. और दुनिया भर में लगभग 1.58M लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि अभी भी केस कम तो नहीं हुए और न ही वैक्सीन का इंतज़ार।  जिस वैक्सीन का इंतजार हम मार्च 2020 से कर रहे हैं वह जनवरी 2021 तक आने की संभावना है उम्मीद करते हैं कि नया साल वैक्सीन के साथ नई रोशनी नया रोजगार और सबसे जरूरी सेहत के साथ लाये।