जिला बांदा| हर साल कि तरह इस साल भी धान कटाई जोरो पर है धान की फसल की कटाई समय आ गया है। फसल तैयार होने के बाद धान की कटाई व मड़ाई की जाती है, जो बहुत मेहनत का काम होता है। हालांकि जो अधिक जोत के किसान हैं वो तो अपनी फसल कम्बाइन से कटवा लेते हैं, लेकिन जो छोटी जोत के किसान है उनको काफी मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन अब किसानों को धान की कटाई व मड़ाई के लिए परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्यूंकि अब ऐसी कई मशीने आ गई हैं जिनकी मदद से आसानी से धान की कटाई व मड़ाई की जा सकती है। इनसे कम मेहनत के साथ-साथ समय की बचत होती है और खर्चा भी कम आता है। अब गेहूं की तरह धान थ्रेसिंग की मशीन आ गई है। ये मशीन बाहर से हूबहू गेहूं कटाई करने वाले थ्रेसर जैसी दिखती है लेकिन अंदर थोड़े से बदलाव किए गए हैं। इसमें धान बिल्कुल साफ निकलता है जबकि पुवाल (पैरा) वेस्ट मैटेरियल (भूसे ) के रूप में अलग बाहर हो जाता है। इसकी मदद से एक घंटे में करीब 1-2 बीघे फसल की ये थ्रेसिंग कर सकते हैं।
जगह जगह महिलाए और लडकिया खेतो में धान काटती नजर आती है जिससे वह स्कूल भी छोड देती है| एक तरफ जहाँ महिलाओ और लडकियों को किसानी का दर्जा नहीं दिया जाता वही दुसरी तरफ घर के चुल्हा चौका से लेकर खेत की कटाई बिनाई सब महिलाए ही करती नजर आती है|LIVE: पन्ना में बाढ़ के बाद बची फसल की कटाई करते किसान
जब मैने इस स्टोरी को कवरेज करना शुरु तो महिलाए मुस्की भारे बातो से बोली कि जब पेट भरना है तो खेतो में काम करना पडेगा| बटाई का खेत करते है और साल भर के खाने के लिए जुगाडते है| गरीबी और काम के कारण पढा़ई नहीं कराते| ताकि चार दिन ठीक से कटाई बिनाई हो जाए गी| इस समय अनाज के कारण खेतो मे ही अच्छा लगता है| अनाज एक ऐसी चीज है जहाँ रखा हो वही अच्छा लगता है और पेट भी भरता है इस लिए करना पडता है नहीं खाए गे क्या|