खबर लहरिया Blog कैसे सोशल मीडिया ने मेरठ हत्या मामले में सभी महिलाओं को अपराधी और हिंसा को मज़ाक बना दिया!! | Meerut Murder Case

कैसे सोशल मीडिया ने मेरठ हत्या मामले में सभी महिलाओं को अपराधी और हिंसा को मज़ाक बना दिया!! | Meerut Murder Case

जैसे-जैसे मेरठ हत्या मामला सामने आया, सोशल मीडिया के ज़रिए यह विचारधारा पेश की जाने लगी की उन्हें अपनी पत्नियों, लड़कियों, महिलाओं को आज़ादी नहीं देनी है। उन्हें काबू में रखना है और अगर कथित पति समाज को खुद बचाना है तो उन्हें अपने घरों से ड्रमों को बाहर निकाल देना चाहिए। 

"How Social Media Turned All Women into Criminals and Mocked Violence in the Meerut Murder Case?"

सांकेतिक तस्वीर (फ़ोटो साभार – सोशल मीडिया)

सोशल मीडिया की दुनिया में किसी की हत्या होना, उसके साथ हिंसा होना बस मज़ाक, रील्स और हंसी-ठिठोली बनकर रह गया है। इस डिजिटल दुनिया में किसी से संवेनशीलता की उम्मीद रखना खुद के साथ हिंसा होने को बुलावा देना है। यह कभी जेंडर पर मज़ाक उड़ाते हैं, कभी जाति, कभी किसी के धर्म और कभी किसी व्यक्ति की मौजूदगी पर, जिनका संबंध असल दुनिया में घटित हुई घटना से होता है। 

किसी के साथ हिंसा या हत्या होने पर जितने धीमे स्वर में यहां से इंसाफ की मांग होती है, इसके विपरीत उतने ही तेज़ स्वर में हिंसा का मज़ाक उड़ाते हुए, उसे दरकिनार करते हुए मुद्दे को ही बदल दिया जाता है, जिसका केंद्र क्राइम/अपराध नहीं सभी महिलाएं होती हैं। यही हमने मेरठ में हुए हत्या के मामले में देखा। 

18 मार्च को यूपी के मेरठ शहर से एक मामला सामने आया जिसमें पत्नी मुस्कान ने अपने कथित प्रेमी साहिल के साथ मिलकर 4 मार्च 2025 को अपने पति सौरभ की क्रूर तरह से हत्या कर दी। क्रूरता इतनी की हत्या के बाद दोनों अपराधियों ने मृतक के शरीर के टुकड़े कर उसे एक नीले ड्रम में भर उसमें सीमेंट डाल दिया ताकि किसी को भी हत्या का पता न चले। इसके बाद दोनों हिमाचल छुट्टी के लिए चले गए। मामला सामने आने पर दोनों अपराधियों को गिरफ़्तार भी कर लिया गया। 

जब सोशल मीडिया पर मामले ने तेजी पकड़ी तो मुद्दा यह नहीं था कि किस तरह से व्यक्ति की हत्या की गई है, हत्या कितनी क्रूरता से हुई है। मुद्दा यह था कि लड़कियों-महिलाओं को आज़ादी नहीं देनी चाहिए। अगर दी गई तो उनके पति उसी नीले ड्रम में पाए जाएंगे, जिसमें मृतक सौरभ को हत्या के बाद क्रूरता से बस भर दिया गया था। सोशल मीडिया पर यह वायरल होने लगा कि इसके बाद “पूरा पति समाज डर के माहौल में है।”

यह सवाल किया जा रहा है कि पतियों के साथ हुई हिंसा पर कोई रोष क्यों नहीं है, क्यों उनके लिए कैंडल मार्च नहीं जलाया जा रहा है। कैसे रोष होगा जब यही पति व तथाकथित पुरुष समाज का एक हिस्सा हत्या का मज़ाक बना रहा हो? 

यह कमेंट सोशल मीडिया के एक पोस्ट से लिया गया है जिसमें लिखा है, “समस्त पुरुष जाति में डर का माहौल है”, अंत में एक स्कल इमोजी लगाई गई है। 

यह कमेंट हत्या की बर्बरता ज़ाहिर करने या संवेदनशीलता दिखाने के लिए नहीं बल्कि यह बताने के लिए लिखा गया है कि उन्हें यानी कथित पुरुष समाज को महिलाओं से डरने की ज़रूरत है। वह अपनी पत्नी पर विश्वास नहीं कर सकते। कितना हास्यप्रद है न, एक लिंग जो हमेशा से अपनी सत्ता की वजह से हिंसा करते हुए आया है, कह रहा है कि उसे महिलाओं से डरने की ज़रूरत है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि किसी के साथ हुई हिंसा को नज़रअंदाज़ किया जाए। 

इस मामले का इस्तेमाल हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाने से ज़्यादा सिर्फ महिलाओं को दबाने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि जब हमने यूपी के ज्योति मौर्या मामले को देखा था, जहां उन्होंने अपने पति से पहले अपने कथित प्रेमी को चुना था, उस समय भी लोगों ने मामले को नहीं बल्कि समस्त महिलाओं को घेरे में लेते हुए यह बयान जारी किया था कि ‘लड़कियों को पढ़ाना नहीं चाहिए। अगर उसे पढ़ाया जाएगा तो वह भी ज्योति मौर्या की तरह किसी और के साथ चली जाएगी।’ और इस दौरान परिवार वालों ने कई लड़कियों और महिलाओं की कोचिंग छुड़वा दी थी, जिसमें छात्राएं और शादी-शुदा महिलाएं शामिल थीं। 

यह मामला भी सोशल मीडिया पर बस एक मज़ाक था, इस मामले की तरह। जहां मामले को छोड़कर हर तरह की बात कर दी गई, जहां से समाज की रूढ़िवादी विचारधारा साबित हो जाए। 

खुद को कथित गुरु कहने वाले गुरु अनिरुद्धाचार्य ने भी इस मामले में एक विवादित बयान दिया। कहा, 

“आज कल सबसे बढ़िया बिज़नेस है, शादी करो और महीने बाद तलाक का बिल डाल दो। बड़ी पार्टी है तो करोड़-दो करोड़ में सिमट जाएगा, वरना दस-बीस लाख तो कहीं नहीं गए, और ज़्यादा तीन-पांच किए तो ड्रम में पाए जाओगे” 

इस रील को ‘बज गई पुंगी’ नाम के एक इंस्टाग्राम पेज ने शेयर किया और इससे जुड़े एक-दो वीडियो और भी पोस्ट किए। कथित गुरु को इंस्टाग्राम पर तकरीबन 3 मिलियन लोग फॉलो करते हैं। वह देश के तीन मिलियन लोगों को कथित तौर पर उनकी पत्नियों से सावधान रहने को कह रहे हैं क्योंकि सावधानी रखने पर ही कथित पुरुष समाज जो आज खतरे में है, बच पाएगा !!

यह मामला जैसे-जैसे बाहर आया, सोशल मीडिया के ज़रिए यह विचारधारा पेश की जाने लगी की उन्हें अपनी पत्नियों, लड़कियों, महिलाओं को आज़ादी नहीं देनी है। उन्हें काबू में रखना है और अगर कथित पति समाज को खुद को बचाना है तो उन्हें अपने घरों से ड्रमों को बाहर निकाल देना चाहिए। 

फेसबुक पर शेयर इस पोस्ट में लिखा है कि, “इन गाड़ियों को राजस्थान और गुजरात की तरफ जाते देखा गया है..  सावधान रहें सुरक्षित रहें.. जनहित में जारी” और वाक्य के अंत में दो मज़ाकिया इमोजिज़ लगाए गए हैं। 

एक अन्य इस इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा है “मेरठ वाली घटना के बाद पूरा पति समाज डरा हुआ है।”

इंस्टाग्राम पर शेयर इस पोस्ट में वीडियो में दिखाया जा रहा व्यक्ति ड्रम के साथ एक घर का दरवाज़ा खटखटाता है और कहता है कि उसकी पत्नी ने ड्रम मंगवाया है। यह सुनकर पति घर से भाग जाता है। 

इंस्टाग्राम पर शेयर इस रील में खासतौर से मेरठ की महिलाओं और लड़कियों को केंद्रित किया गया है। रील में कई सारे नीले ड्रम दिखाए गए हैं जिस पर अंग्रेजी में लिखा है “न्यू बिज़नेस + ड्रम बिज़नेस/ New business + Dram (drum) business”, और कहा जा रहा है,  “नया बिजनेज शुरू किया है ड्रम का, मेरठ की सभी लड़कियों से रिक्वेस्ट है, जिन्हें ड्रम चाहिए, वह मेसज करें”

यह पोस्ट king_meerut_60 नाम के इंस्टाग्राम पेज ने शेयर की है 394 हज़ार लाइक, 17.9 हज़ार कमेंट और 1 मिलियन शेयर भी है। 

यह चीज़ें यही दिखा रही हैं कि किसी की हत्या सोशल मीडिया की इस दुनिया में बस मज़ाक ही है। 

जब हम हिंसा की बात करते हैं तो उसमें हम सिर्फ हिंसा नहीं बल्कि कई पहलुओं को देखते हैं जिसने हिंसा को जन्म दिया। और यहां इस पूरे मामले में, कथित रोष में वही गायब था। यहां हिंसा के रोष में अपराधी के तौर पर सुमन को नहीं बल्कि उन सभी महिलाओं को रखा गया, जो आज़ादी, अपनी इच्छा, अपने चयन की बात करती हैं। यहां गुनहगार सुमन को नहीं कहा गया जिसने हत्या की, बल्कि समाज की उन सभी महिलाओं को कहा गया जो स्वतन्त्र रूप से अपने जीवन साथी का चयन करती हैं। यह है सोशल मीडिया पर रोष दिखाते कथित पुरुष समाज के एक हिस्से के लिए इंसाफ की आवाज़ उठाना। 

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *