दुनिया के 90 देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से करीब 400 करोड़ लोग अपने घरों में क़ैद हो गये. यह एक सुरक्षात्मक उपाय तो है, लेकिन इसकी वजह से महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के मामले बढ़े हैं
राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 24 मार्च से 1अप्रैल के बीच घरेलू हिंसा के 69 मामले, विवाहित महिलाओं की प्रताड़ना के 15 मामले, दहेज की वजह से हत्याओं के 2 मामले, बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के 13 मामले दर्ज हुए हैं.बिना दर्ज की बात आप खुद समझ सकते है. आज हम कुछ ऐसे ही केस के बारे में जानेंगे जो इस लॉकडाउन के दौरान हुए
बांदा जिले के पैलानी थाना क्षेत्र के गांव पचकौरी निवासी रामसिंह के ऊपर उसके ससुराल वालों का आरोप है कि उसने अपनी पत्नी पूनम देवी की 12 मई को शराब के नशे में पीट पीट कर हत्या कर दी
बाँदा जिले के ही ब्लॉक बबेरू गांव पुनाहुर के राजकिशोर का आरोप है की उनकी बेटी के साथ उसके ससुराल वाले अक्सर मारपीट करते है लेकिन लॉकडाउन की वजह से वो कुछ कर नहीं पा रहे
चित्रकूट जिले के मऊ कोतवाली क्षेत्र के ताडी गांव की गीता के मायके वालों का आरोप है कि 23 मई को उसके ससुरालवालों मार डाला
हर कोई अपनी तरफ से हिंसा रोकने की कोशिस में तो लगा है लेकिन उस केस की जो उजागर हुए कई केस तो सामने ही नहीं आते क्योकि खुद उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक असीम अरुण ने माना है कि विश्व भर में घरेलू या दूसरी तरह की हिंसा की शिकार महिलाओं में से 40 प्रतिशत से भी कम माद्दा मांगने या शिकायत करती है उसमे भी 10 प्रतिशत से भी कम महिलाएं पुलिस के पास जाती हैं.अब ये एक बड़ा सवाल है के परिस्थिति जाहे जो भी हो भुगतना महिला को ही क्यों होता है ?
लॉकडाउन में महिलाओं के खिलाफ कितनी हुई हिंसा?
पिछला लेख