खबर लहरिया Blog जमुई के अभिषेक को कैसे मिला गूगल से करोड़ों का पैकेज, जानें जमुई से लंदन तक का सफर

जमुई के अभिषेक को कैसे मिला गूगल से करोड़ों का पैकेज, जानें जमुई से लंदन तक का सफर

अभिषेक एक मध्य वर्ग यानी मिडिल क्लास परिवार से आते हैं। उनके पापा जमुई के कोर्ट में एक वकील हैं और माँ हॉउस वाइफ है। उनके बाप-दादा की खेती भी है। अभिषेक की माँ बताती है कि जब वह 3 साल का था तो उनकी माँ ने घर पर ही पढ़ाना शुरू कर दिया था। उनके पापा डांटते थें कि अभी छोटा है इतनी जल्दी नहीं पढ़ाना चाहिए लेकिन उनकी मम्मी बोलती थी कि नहीं अभी से पढ़ाना चाहिए तभी बच्चा आगे चलकर के कुछ कर पाएगा।

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काले रंग की टी-शर्ट में अभिषेक अपने परिवार के साथ ( फोटो साभार – सुमन/ खबर लहरिया)

रिपोर्ट – सुमन, लेखन – सुचित्रा 

बिहार के जमुई जिले के अभिषेक कुमार की चर्चा पूरे भारत और न्यूज़ चैनलों में हो रही है। गूगल जैसी नामी कंपनी में हर व्यक्ति का जॉब करने का सपना होता है और अभिषेक कुमार ने इस तरह के सपने को साकार कर दिखाया। अभिषेक ने NIT पटना से बीटेक किया। उसके बाद अमेजन में नौकरी की और अब वह लंदन में गूगल के लिए काम करेंगे। एक छोटे से गांव से निकलकर लन्दन तक का अभिषेक का ये सफर कैसा रहा चलिए हम आपको बताते हैं।

बिहार के जमुई जिले के झाझा प्रखंड के अंतर्गत आने वाला जामु खरिया अभिषेक का पैतृक गांव है। उनका जन्म जामु खरिया में ही हुआ था। गांव के निवासी जयराम बताते हैं कि “अभिषेक को हमने बचपन से ही देखा है और वह बहुत ही होनहार बच्चा था। उसने शुरू से ही बाहर रहकर पढ़ाई-लिखाई की। शायद इसलिए उसने हमारे गांव का नाम रोशन किया है। जब भी वह गांव आता है तो हम लोगों से जरूर मिलता है और हमारे पास ही बैठता है। उसे हमने कभी भी अपने दोस्तों के साथ इधर-उधर घूमते हुए या उनके साथ जाते हुए नहीं देखा। वह हमेशा अपने पापा के साथ और हम लोगों से बातचीत करता हुआ नजर आएगा। उसके हमेशा से बड़े से बड़े सपने रहे हैं। अपने गांव को लेकर के, अपने राज्य को लेकर के और खासतौर पर आने वाले जनरेशन (पीढ़ी) को लेकर के वह कुछ न कुछ सोचता हुआ नजर आता रहा है। वह बोलता था कि एक दिन वह बहुत बड़ा काम करेगा और आज उसने इतना बड़ा काम करके दिखाया कि हमें नाज है उस पर।”

सोनू ने बताया कि “सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने के नाते उसे इलेक्ट्रॉनिक मशीनों से बड़ा प्यार है। वह सब चीजों के बारे में बहुत अच्छे से जानता है। अभिषेक ऐसा लड़का है जो सही को सही और गलत को गलत बोलने वाला है। समाज में भी अगर उसके पिता भी गलत होते हैं तो वह अपने पिता को भी गलत ही बोलता है क्योंकि उसके पिता वकील हैं। कुछ चीज तो झूठी हो ही जाती है लेकिन वह अपने पिता को भी वहां पर बोलता है कि नहीं पापा आप गलत कर रहे हैं। हमने इस बात को कई बार उसके मुंह से बोलते हुए सुना है।”

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अभिषेक का गांव

खबर लहरिया की रिपोर्टर ने रिपोर्टिंग के दौरान देखा कि जमुई जिले के झाझा प्रखंड से अभिषेक का गांव 7 किलोमीटर दूर बसा है, जहां पर जाने के लिए ऑटो मिलना थोड़ा मुश्किल होता है। सड़क तो दिखी पर सड़क पर ऑटो नहीं दिखा। अभिषेक के गांव जाने के लिए बहुत इंतजार करना पड़ता है और आने के लिए भी वही दिक्कत होती है। ऐसे गांव में जहां साधन नहीं है उस गांव के लड़के ने गूगल जैसी कम्पनी में जॉब लेकर सच में गांव का नाम रोशन किया है। आज इस गांव में न जाने कितने न्यूज़ चैनल वाले आए अभिषेक से मिलने, उसका इंटरव्यू लेने।

अभिषेक का बैकग्राउंड

अभिषेक एक मध्य वर्ग यानी मिडिल क्लास परिवार से आते हैं। उनके पापा जमुई के कोर्ट में एक वकील हैं और माँ हॉउस वाइफ है। उनके बाप-दादा की खेती भी है। अभिषेक की माँ बताती है कि जब वह 3 साल का था तो उनकी माँ ने घर पर ही पढ़ाना शुरू कर दिया था। उनके पापा डांटते थें कि अभी छोटा है इतनी जल्दी नहीं पढ़ाना चाहिए लेकिन उनकी मम्मी बोलती थी कि नहीं अभी से पढ़ाना चाहिए तभी बच्चा आगे चलकर के कुछ कर पाएगा।

अभिषेक का 12वीं से लेकर PAYTM में सिलेक्शन तक का सफर

12वीं पढ़ने के लिए उनके माता-पिता ने पटना के कृष्णा पब्लिक स्कूल में भेज दिया। इसके बाद वह 3 साल के लिए राजस्थान कोटा में तैयारी के लिए चला गया। कोटा में एलन इंस्टीट्यूट (संस्थान) है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए बहुत प्रसिद्ध है। वहां उन्होंने 3 साल तक पढ़ाई की जिसके लिए करीबन 6 लख रुपए खर्च किए गए। वह 6 लाख रुपए उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन को बेचकर के लगाया। राजस्थान के पहले साल में ही उन्होंने पेपर निकाल लिया था, लेकिन अभिषेक ने अपने माता-पिता को बोला कि वह और अच्छी तैयारी करना चाहता है जिसको लेकर के अभिषेक ने 2 साल और पढ़ाई की। तीसरे साल में उन्होंने पटना के एनआईटी में परीक्षा देकर के एडमिशन लिया और उनका सिलेक्शन हो गया। 3 साल तक उन्होंने पटना में एनआईटी में बीटेक की पढ़ाई की। बीटेक की पढ़ाई करते-करते ही लास्ट ईयर में अभिषेक का पेटीएम में सिलेक्शन हो गया।

उनकी मां बताती हैं कि अभिषेक की उम्र 24 साल है और गूगल के साथ काम करने का मौका मिल गया तो हम लोग बहुत खुश हैं, पर जितनी बधाई अमेजॉन में सिलेक्शन होने पर मिली थी उतनी बधाई शायद अबकी बार नहीं मिली और ना ही उतनी खुशी है। हाँ, यह बात अलग है कि गूगल में सिलेक्शन हुआ है तो बहुत बड़ी बात है क्योंकि इस बार जुलाई में गूगल में सिलेक्शन हुआ है। वह टाइम हमारे लिए बड़ा दुख का था क्योंकि मेरे जेठ की तबीयत खराब थी और उस समय मेरी भी तबीयत खराब थी और यह खबर आई की अभिषेक का सिलेक्शन गूगल पर हो गया है तो हम लोगों ने इस बात को दूसरों को नहीं बताया और इसको दबाकर रखा।

सिलेक्शन कब और कहां?

पहला सिलेक्शन सन 2021 में पेटीएम में 6 महीने के लिए हुआ था जिसका पैकेज 18 लाख था। ग्रेटर नोएडा में जाकर काम करना था लेकिन उसने अपने घर से ही काम किया था।

जर्मनी अमेजॉन में सिलेक्शन

दूसरा सिलेक्शन अमेजॉन में हुआ था जिसके लिए उसे जर्मनी जाना पड़ा । 22 मार्च सन 2022 को चार राउंड के एग्जाम हुए और 21 अप्रैल को दोपहर 3 बजे पता चला। 8 अगस्त को यहां से निकाला और 15 अगस्त को जर्मनी में जा कर के ज्वाइन किया जिसका पैकेज 1.8 करोड़ रुपए का था।

जर्मनी में रहते गूगल के लिए दिया इंटरव्यू

अभिषेक ने 30 मार्च 2023 को जर्मनी के किसी बैंक में काम किया और वहीँ से गूगल कंपनी में इंटरव्यू दिया। तीसरा सिलेक्शन उनका गूगल में हुआ जिसका पैकेट 2.07 करोड़ है। गूगल का इंटरव्यू 2 जुलाई को हुआ था। अब 1 अक्टूबर को अभिषेक लंदन जाएंगे और 7 तारीख से गूगल की कंपनी को ज्वाइन करेंगे।

गूगल में काम मिलने पर अभिषेक से इंटरव्यू के लिए लगी भीड़

अभिषेक की माँ ने बताया कि, “पहले मेरे बेटे को ज्यादा कोई जानता नहीं था लेकिन अब बहुत लोग जानते हैं। लोग बधाई देते रहते हैं, शुरू-शुरू में जब गूगल में सिलेक्शन हुआ तो एक ही दिन में 12 से 15 रिपोर्टर मेरे दरवाजे पर आ गए। जब तक मेरा बेटा गया नहीं तब तक इंटरव्यू हुए। अभिषेक ने हर चैनल को इतने इंटरव्यू दिए कि अब वह थक गया था। अब उसकी आवाज तक नहीं निकल रही थी। बाद में हमें काफी लोगों को मना भी करना पड़ा। 20 सितंबर को ही उसने दिल्ली से फ्लाइट पकड़ के जर्मनी चला गया और वहां पर अभी 30 सितंबर तक काम करेगा। 1 अक्टूबर से लंदन के लिए जाएगा वहां पर फिर गूगल के साथ वह काम करेगा।”

गूगल में काम मिलने पर परिवार खुश

अभिषेक की माँ ने बताया कि “जर्मनी में काम करता था तो रहने, खाने का खर्च उसे खुद से करना होता था। गूगल में काम करने का यह एक फायदा है कि वहां पर जब काम करेगा तो रहने, खाने और हर चीज की व्यवस्था गूगल कंपनी खुद करेगी। यह विश्व की मेरे हिसाब से सबसे बड़ी कंपनी है तो मुझे भी बहुत खुशी है और अपने बेटे पर गर्व महसूस होता है। आई थिंक हर किसी के पास ऐसा बेटा होना बहुत जरूरी है।”

 

 

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