महिलाएं हमेशा से कृषि में योगदान देती आ रही हैं, लेकिन उन्हें किसान के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है। वे केवल अपने खेतों में श्रमिक के रूप में काम करती हैं। भारत की कामकाजी महिलाओं में से 78% कृषि क्षेत्र में काम कर रही हैं। गांव से शहर की ओर पुरुषों के बढ़ते प्रवास के साथ, कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका भी बढ़ गई है। महिला किसानों के बिना, भारत में खाद्य उत्पादन करना मुश्किल होगा। तो क्यों इस देश में महिलाओं को किसानों का दर्जा नहीं दिया जाता ?
महोबा जिला के चांदो गांव में रहने वाली प्रेमवती खेती से ही अपना परिवार चला रही है। यह उनकी कहानी है कि कैसे उन्होंने अकेले एक टुकड़े ज़मीन को एक फल-फूल से भरे बाग में बदल दिया।
ये भी देखें –
खेती को बनाया सहारा, किसानी कर महिला किसान दे रही आत्मनिर्भरता की सीख
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’