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जब जल नहीं तो कल कैसे?

22 मार्च को फिर से जल दिवस मनाया जाएगा हर साल की तरह। उस दिन बात होगी ‘जल है तो कल है’ को लेकर। बांदा जिले में पानी बचाने के लिए पानी के महत्व और अहमियत समझाने के लिए यहां के पूर्व डीएम हीरालाल ने 26 नवंबर 2019 से केन नदी के किनारे हर मंगलवार की शाम जल आरती की शुरुआत की थी। लोगों ने खूब रुचि दिखाई और भीड़ इकट्ठा हुई। 17 मार्च 2020 को जल आरती का नज़ारा देखने मैं फिर पहुंची तो मुश्किल से दस लोग वह भी कोई अधिकारी नहीं थे। हम धर्म के पक्ष में नहीं हैं कि आरती कराकर ही पानी बचाया जा सकता है लेकिन लोगों के बीच जागरूकता लाना जरूरी है। क्योकि गर्मी आते ही यहां पर पानी की समस्या और ज्यादा विकराल हो जाती है। अगर बुंदेलखंड की बात की जाय तो यहां का इतिहास रहा है कि पानी की बहुत कमी है। यहां की जमीन, जलवायु और पर्यावरण पर्यावरण संरक्षण के लिए आजादी के मौके पर महोबा जिले में 28 लाख वृक्ष लगाकर रिकॉर्ड बनाने की कोशिशपानी की कमी के मुख्य कारण हैं। पर ऐसा भी नहीं कि बुंदेलखंड का पूरा ही इलाका ऐसा हो। सबसे ज्यादा ग्रामीण और जंगली इलाके ज्यादा प्रभावित हैं। शासन और प्रशासन स्तर पर पानी के लिए पानी जैसे सरकारी बजट बहाया जाता है, ट्रेन से पानी तक भेजा गया पर स्थिति बद से बदतर ही होती जाती है। 22 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व जल दिवस बांदा समेत समूचे बुंदेलखंड के लिए किस तरह कारगर होता है यह कोई कहने की बात नहीं होगी क्योंकि हर दिवस जैसे इसको को मनाकर साल भर के लिए भूल जाएंगे।