केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि एचएमपीवी वायरस 2001 से विश्व में मौजूद है। वहीं सर्दियों के मौसम में सांस की बीमारी में वृद्धि होना आम बात है। लोगों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
ह्यूमन मेटा न्यूमोनिया वायरस (Human Metapneumovirus) यानी एचएमपीवी के भारत में अभी तक सात मामले सामने आ चुके हैं। यह जानना ज़रूरी है कि यह वायरस कोविड-19 जितना ख़तरनाक नहीं है। न ही इसके फ़ैलने से देश में किसी भी तरह का लॉकडाउन होगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि एचएमपीवी वायरस 2001 से विश्व में मौजूद है। वहीं सर्दियों के मौसम में सांस की बीमारी में वृद्धि होना आम बात है। लोगों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
यह भी कहा कि एचएमपीवी एक श्वसन वायरस है जो हर उम्र के लोगों को संक्रमित करता है, ख़ासकर सर्दी और गर्मी के शुरूआती महीनों में।
पिछले कुछ दिनों से एचएमपीवी को लेकर कई तरह की ग़लत खबरें फ़ैल रही हैं और #Lockdown भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। इसकी वजह उत्तरी चीन में इस वायरस के ज़्यादा फैलाव को लेकर बताया जा रहा है। कोविड का पहला मामला 2019 में चीन के वुहान से रिपोर्ट किया गया था और जब यह वायरस भारत पहुंचा तो कई लोगों की इसने जान ले ली।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि एचएमपीवी के बढ़ते मामलों को देखते हुए उन्होंने देशभर के राज्यों में इन्फ्लूएंजा के लक्षण /तीव्र श्वसन संक्रमण (ILI/SARI) की निगरानी को मज़बूत करने के लिए दोबारा समीक्षा करने की सलाह दी है। यह भी बताया कि देश इससे जुड़ी बीमारियों से निपटने के लिए तैयार है।
भारत में सबसे पहला एचएमपीवी का मामला
सबसे पहले कर्नाटका में एचएमपीवी के मामले सामने आये थे। प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, तीन और आठ महीने के शिशु एचएमपीवी पॉज़िटिव पाए गए थे। अब वह ठीक हैं व उनका इलाज एक निजी बैपटिस्ट अस्पताल में हुआ है।
वहीं तीन महीने की बच्ची को शनिवार को छुट्टी दे दी गई और आठ महीने के बच्चे को मंगलवार को छुट्टी दे दी जाएगी।
रिपोर्ट बताती है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने औपचारिक रूप से घोषणा की है कि दोनों शिशुओं में ब्रोन्कोन्यूमोनिया का इतिहास रहा है। वहीं कई सांस संबंधी बीमारियों की लगातार निगरानी के दौरान उनमें ये वायरस पाया गया है।
ब्रोन्कोन्यूमोनिया, एक प्रकार का श्वसन संक्रमण होता है, जिसमें फेफड़ों (न्यूमोनिया) और श्वासनलिकाओं (ब्रोंकस- फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली नलियां) दोनों में सूजन हो जाती है। यह आमतौर पर बैक्टीरिया या वायरस की वजह से होता है।
एचएमपीवी वायरस क्या है?
साइंस डाइरेक्ट की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार एचएमपीवी वायरस की उत्पत्ति आज से 200 से 400 साल पहले चिड़ियों से हुई थी। उस समय से लेकर आज तक इस वायरस में कई तरह के बदलाव देखे गए हैं। अब ये वायरस चिड़ियों को संक्रमित नहीं करता।
अमेरिकी सरकार की सेंटर फ़ॉर डीज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन (सीडीसी) के अनुसार इंसानों में
एचएमपीवी वायरस की खोज साल 2001 में हुई। इस साल से यह पता चला कि ये वायरस इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है।
एचएमपीवी से किसे सबसे ज़्यादा खतरा?
एचएमपीवी से सबसे ज़्यादा बच्चों, 65 साल के उम्र के लोगों और वे लोग जिन्हें सांस संबंधी बीमारी है, उन्हें खतरा हो सकता है।
साथ ही जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है, उन्हें पर भी इसका गंभीर असर हो सकता है।
एचएमपीवी के लक्षण
एचएमपीवी के लक्षण सामान्य सर्दी जैसे होते हैं लेकिन यह किसी-किसी के लिए बहुत गंभीर भी साबित हो सकते हैं।
– खांसी,बुखार,नाक बंद होना, गले में दर्द और सांस की तकलीफ़ सामान्य लक्षण हैं।
– खांसने और छींकने के दौरान निकलने वाले थूक के कणों से एचएमपीवी वायरस फैलता है और लोगों को संक्रमित करता है।
– यह हाथ मिलाने, गले मिलने या एक-दूसरे को छूने से फैल सकता है।
एचएमपीवी से बचाव के लिए सलाह
पीआईबी की रिपोर्ट के अनुसार, राज्यों में बढ़ते वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जन जागरूकता और सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) बढ़ाने की सलाह दी गई। इसके साथ ही….
– बार-बार साबुन और पानी से हाथ धोएं (लगभग 20 सेकंड)
– हाथों को बिना धोएं आंख,नाक या मुंह को न छुए
– खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को ढकें
– सर्दी-ज़ुकाम के समय मास्क पहन कर रखें
– बीमारी के लक्षण दिखने पे नज़दीकी डॉक्टर को दिखाएं
एचएमपीवी से लोगों को डरने की नहीं बस एहतियात बरतने की ज़रूरत है। स्वास्थ्य या सांस संबंधी अगर कोई भी समस्या लगे तो ज़रूर से अपने किसी विश्वनीय डॉक्टर को दिखाएं और उनकी सलाह लें।
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