खबर लहरिया Blog कुंभ मेले में हुए भगदड़ों का इतिहास

कुंभ मेले में हुए भगदड़ों का इतिहास

कुंभ मेला, जिसे कथित तौर पर विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है, भगदड़ के मामलों में इसका भी अपना इतिहास रहा है।

history-of-stampede-incidents-at-kumbh-mela

                            मौनी अमावस्या के दौरान उमड़ी भीड़ की सांकेतिक तस्वीर (फ़ोटो साभार – सोशल मीडिया)

जहां-जहां लाखों-करोड़ों की संख्या में लोग एक-जगह इकठ्ठा हुए हैं, वहां से अमूमन तौर पर भगदड़ होने से किसी की मौत व घायल होने की खबरे सामने आती रही है। वहीं कुंभ मेला, जिसे कथित तौर पर विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है, भगदड़ के मामलों में इसका भी अपना इतिहास रहा है। जानते हैं, महाकुंभ में अब तक हुए भगदड़ के मामलों के बारे में……. 

ये भी पढ़ें – महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दौरान भगदड़ से कई लोगों की मौत, जानें कुंभ व धार्मिक आयोजनों में भगदड़ का इतिहास 

2013 कुंभ

10 फरवरी 2013 को यूपी के कुम्भ मेले में इलाहबाद रेलवे स्टेशन पर एक फुटब्रिज गिरने से भदगड़ मच गई थी। इस घटना में लगभग 42 लोग मारे गए गए थे व 45 लोग घायल हुए थे। 

2003 कुंभ

मुंबई में साल 2003 में आयोजित कुंभ में हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु गोदावरी नदी में कथित पवित्र स्नान के लिए पहुंचे थे। यहां भी भीड़ होने से भगदड़ हो गई और लगभग 39 लोगों की मौत हो गई। इसमें कई महिलायें शामिल थीं और 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे। 

 1986 कुंभ

1986 में आयोजित कुंभ में भगदड़ होने से कम से कम 200 लोगों की मौत होने की ख़बर थी। यह घटना तब हुई थी जब यूपी के तत्कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सांसदों के साथ हरिद्वार पहुंचे थे। मीडिया रिपोर्ट बताती है कि जब सुरक्षाकर्मियों ने आम लोगों को नदी के किनारे से जाने से रोका तो भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे कई लोगों की जान चली गई। 

1954 कुंभ

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, 1954 में सबसे पहला कुंभ मेला हुआ था जो कि स्वतंत्रता के बाद आयोजित हुआ पहला कुंभ था। 3 फरवरी 1954 को, माघी अमावस्या के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु इलाहबाद (अब प्रयागराज) में लगे कुंभ मेले में स्नान करने पहुंचे थे, जिसके बाद वहां भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में लगभग 800 लोगों की मौत हुई थी जिसमें कई लोगों की नदी में डूबने की वजह से भी हुई थी। 

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *