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हिमांशु पांडे की ऑनलाइन नफरत रोकने की नई पहल, लॉन्च की वेबसाइट  

यह वेबसाइट उन शब्दों की पहचान करती है, जो गाली-गलौज हो सकते हैं। यह वेबसाइट विशेष रूप से भारतीय भाषाओं में काम करती है, क्योंकि पहले विदेशी भाषाओं में इस तरह की तकनीकी जानकारी उपलब्ध थी, लेकिन भारतीय भाषाओं के लिए ऐसी सुविधा नहीं थी।

हिमांशु पांडे से जुड़ी जानकारी की तस्वीर (फोटो साभार: सुमन)

रिपोर्ट – सुमन, लेखन – सुचित्रा 

जिस तरह से तकनीकि का विस्तार हुआ उस तरह से ऑनलाइन हिंसा ने भी अपने पैर फैला लिए हैं। आप ने देखा ही होगा यूट्यूब, फेसबुक या कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गाली गलौज, भद्दे और अश्लील टिप्पणी की जाती है कि लोग परेशान हो जाते हैं। इसी तरह की परेशानियों को देखते हुए हिमांशु पांडे ने वेबसाइट लांच की। 

हिमांशु, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के मंडापुर गांव के निवासी हैं। उन्होंने समाज में हिंसा और नफरत को रोकने के लिए एक नई पहल शुरू की है। उन्होंने अपने आसपास जेंडर (लिंग), जाति और धर्म को लेकर कई तरह की हिंसा देखी जिससे उन्हें लगा हमें भी लोगों को जागरूक करना चाहिए ताकि इस तरह कि नफरत पर रोक लग सके। हिमांशु ने अपनी और अपनी साथी हमीदा के साथ मिलकर वेबसाइट की शुरुआत की है, जो समाज में बातचीत और समझ को बेहतर बनाने का काम कर रही हैं।

शिक्षा का सफर

हिमांशु ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से 1वीं से 8वीं कक्षा तक प्राप्त की। इसके बाद, वह पास के सरकारी इंटर कॉलेज में पढ़ने गए। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा के लिए कानपुर का रुख किया, जहां उन्होंने आईआईटी से पीएचडी की।

शुरू से ही किताबों में रुचि 

हिमांशु ने हमेशा किताबों में रुचि थी। उनके पिता ने उन्हें हमेशा अच्छी किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। इस रुचि को देखते हुए उन्होंने कई विषयों के बारे में पढ़ा – जैसे कि रोबोटिक्स, ह्यूमन सेंटर डिजाइन और न्यूरो साइंस। इसके लिए उन्होंने जापान, फिनलैंड और अन्य देशों में जाकर अध्ययन किया।

सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हिंसा को रोकने का प्रयास 

हिमांशु ने यह महसूस किया कि समय के साथ जैसे-जैसे फोन और सोशल मीडिया का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है वैसे-वैसे ग्रामीण क्षेत्रों में भी हिंसा और नफरत बढ़ रही है। उन्होंने इसे बदलने का निर्णय लिया और टेक्नोलॉजी के माध्यम से इस समस्या का समाधान खोजने की दिशा में काम करना शुरू किया।

वेबसाइट लॉन्च की शुरुआत:

हिमांशु और उनकी को-फाउंडर हमीदा ने 2020 में अपनी संस्था “डिग्निटी इन पैरंट्स” की स्थापना की और इसके तहत दो वेबसाइट्स लॉन्च की।

यह वेबसाइट उन शब्दों की पहचान करती है, जो गाली-गलौज हो सकते हैं। यह वेबसाइट विशेष रूप से भारतीय भाषाओं में काम करती है, क्योंकि पहले विदेशी भाषाओं में इस तरह की तकनीकी जानकारी उपलब्ध थी, लेकिन भारतीय भाषाओं के लिए ऐसी सुविधा नहीं थी।

https://www.dignityindifference.org/ – यह वेबसाइट सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा की गई गलत और अनुचित टिप्पणियों का सही जवाब देने के तरीके का सुझाव देती है। जब कोई व्यक्ति नफरत फैलाने वाली टिप्पणी करता है, तो यह वेबसाइट यह बताती है कि हम उसे कैसे समझा सकते हैं और दयालु भाव से बातचीत कर सकते हैं। 

हिमांशु का भविष्य प्लान 

हिमांशु और हमीदा ने मिलकर भविष्य में इस तरह की वेबसाइट लॉन्च करने का प्लान बना रहे हैं जिन पर काम अभी जारी है। 

हिमांशु की यह पहल एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज में हिंसा और नफरत को कम करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रही है। उनके द्वारा लॉन्च की गई वेबसाइट्स न केवल लोगों को सही जानकारी प्रदान करती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि किस तरह हम अपने शब्दों और विचारों के माध्यम से समाज को सही दिशा में ले जा सकते हैं।

 

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