सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को वैध मानते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 377 से बाहर कर दिया था, इसके बाद अब केरल हाईकोर्ट के एक प्रभागीय बेंच ने 40 वर्षीय महिला को अपनी 24 वर्षीय महिला साथी के साथ रहने की इजाजत दे दी है।
सी के अब्दुल रहीम और नारायण पिशारादी के एक प्रभागीय बेंच ने कोल्लम में वेस्ट कल्लाडा की 40 वर्षीय एस श्रीजा के एक हीबस कॉर्पस याचिका पर ये आदेश दिया।
अपनी याचिका में श्रीजा ने अदालत से कहा था कि वह नेय्याट्टिंकरा की रहने वाली अपनी साथी अरुणा के साथ रहना चाहती हैं। श्रीजा ने ये भी दावा किया था कि अरुणा को उसके माता-पिता ने अवैध रुप से बंद कर रखा है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अरुणा को एक मेंटल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां से उसने श्रीजा से संपर्क किया। हालांकि अस्पताल के अधिकारी भी अरुणा को श्रीजा के साथ भेजने के लिए तैयार नहीं थे, जिसके बाद उन्होंने अदालत की शरण ली।
याचिकाकर्ता ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के कानूनी प्रावधान को रद्द कर दिया।