दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग पर नाराजगी व्यक्त की। स्कूलों में टूटे हुए डेस्क, किताबों और क्लासरूम की कमी भी बताई। उत्तरपूर्वी विद्यालयों में भजनपुरा, खजुरी खास, यमुना विहार, सभापुर के नाम शामिल है।
दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों के सरकारी स्कूलों की स्थिति के बारे में यह टिप्पणी दी कि ‘बहुत दुःखद स्थिति’ है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार 8 अप्रैल को दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग पर नाराजगी व्यक्त की। स्कूलों में टूटे हुए डेस्क, किताबों और क्लासरूम की कमी भी बताई। उत्तरपूर्वी विद्यालयों में भजनपुरा, खजुरी खास, यमुना विहार, सभापुर के नाम शामिल है।
कल सोमवार 8 अप्रैल को दिल्ली उच्च न्यायलय द्वारा हुई एक खंडपीठ में यह मामला सामने आया। इस मामले की रिपोर्ट एनजीओ ‘सोशल ज्यूरिस्ट, ए सिविल राइट्स ग्रुप’ की ओर से पेश वकील अशोक अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सामने आई। बताया जा रहा है कि पीठ ने स्कूलों का दौरा करने के लिए कहा था।
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दिल्ली उच्च न्यायलय ने शिक्षा विभाग पर नाराजगी जताई
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने नारजगी व्यक्त करते हुए कहा कि, “आपको यह सब पता होना चाहिए था। मुझे आपको क्यों बुलाना है? आपको खुद ही जमीनी स्तर पर जाना चाहिए। यह आपका काम आपका है और यह छोटे बच्चों के जीवन को प्रभावित कर रहा है।”
जानकारी के अनुसार कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि एक सप्ताह के अंदर हलफनामा दाखिल किया जाए और इस मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को है।
बता दें कि शिक्षा सचिव संजय कुमार द्वारा एक हलफनामा कोर्ट में दिया जाएगा। इस हलफनामे में जिन अधिकारियों ने अपने काम में लापरवाही दिखाई है सचिव इसकी जिम्मेदारी लेंगे।
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उत्तरी पूर्वी सरकारी स्कूलों की सूची
GGSSS खजूरी खास
GGSSS ईस्ट गोकुलपुर
SKV C-1 यमुना विहार
GGSSS सोनिया विहार
SKV श्रीराम कॉलोनी खजुरी खास
GGSSS सभापुर
GGSSS दयालपुर
SKV खदेर बदरपुर
शिक्षा सचिव का बयान
कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत में शिक्षा सचिव ने रिपोर्ट के आश्वासन दिया कि वह समयय रहते से स्थिति में व्यापक सुधार के लिए काम करेंगे और साथ ही सभी छात्रों को किताबें,डेस्क भी उपलब्ध कराएँगे।
दिल्ली में जब से आप पार्टी की सरकार बनी है उन्होंने हमेशा से कहा है कि शिक्षा पर उन्होंने इतने सालों में बहुत काम किया है। फिर भी सरकारी स्कूलों में सुविद्याएँ अधूरी क्यों है?
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