जिला महोबा ब्लॉक जैतपुर गांव मगरौल प्रसिद्ध 6 से 7 किलो की पारी पर गुड़ के किशान का कहना है हाय की हमारे यहां का प्रसिद्ध है गुड हमारे यहां तो बेलाताल की बाजार लगती है हम लोग बेलाताल की बाजार में ही भेजते हैं और घर पर चलता है
यहां का गुड़ खरीद के ले जाते हैं जो कि बहुत दूर हैके किसानों का कहना है कि हम फरवरी या मार्च में गन्ना लगाते हैं पहले हम अच्छा खेत नेपाल मकई करते हैं फिर गन्ना लगाते हैं 1 साल के बाद एकता ही गुडवंता है
इससे अच्छी फसल भी होता है। कहते हैं कि हर फसल में बाधा भी लगते हैं जैसे गन्ना की फसल में आग लग जाए उससे भी बचत होती है बारिश भी हो जाए आंखों में पड़े हर चीजों से बचत हो जाती हैं जो देवी आते हैं इस वजह से हम गंन्रा लगाते हैं फिर हम कातिक अगहन से गन्ना की ट्राई करते हैं
जिसमें पहले हम गन्ना खेलते हैं खेतों से काट के और मशीन तक ले जाते हैं मशीन से उसका जूस निकालते हैं गन्ना का जूस निकालकर लगभग 2 से ढाई घंटा उसको पालते हैं जैसे ही उबाल आ गए तो जमीन में गड्ढा होते हैं
और जमीन में ही गुड डालते हैं जिससे 6 किलो या 7 किलो या 5 किलो की पारी बनती है और यह गुड़ की खासियत है कि बिल्कुल दना दाल बनता है गुड़ की खेती में लगभग 5 लोग लगते हैं जब हम 5 से 6 किलो तक की पारी बना पाते हैं फिर उसको बाजारों में बेचते हैं
और अपने घर निस्तार को भी गुड़ रखते हैं कुलपहाड़ तहसील कोतवाली भी कुल कहां है जहां पर महोबा जिला का है गांव मंगरौल सभी किसान लगभग 25 ऐसा किसान है जो गुड़ बनाने का काम करते है ये काफी फेमस गुड़ है और बहुत दूर दूर तक जाता है