हर साल असम में बाढ़ के कारण जान-माल की भारी तबाही होती है। असम में इस साल आई बाढ़ के कारण प्रदेश के 30 जिलों के 56 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में अब तक 120 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। असम में इस साल की बाढ़ में 202 तट बंध और 167 ब्रिज को नुकसान पहुंचा है।
आपको बता दें कि इस में सबसे ज्यादा 5 जिले प्रभावित है, जहां की तबाही इस तरह है। शहर गोलपारा में 5 लाख 58 हजार लोग, बरपेटा शहर में 3 लाख 52 हजार लोग, शहर मोरीगां में 3 लाख 14 हजार लोग, धुबरी शहर में दो लाख 77 हजार लोग और साउथ सालमारा शहर में 1लाख 80 हजार लोग प्रभावित है। साथ ही 1.14 लाख हेक्टेयर खेत पानी में डूब चुके हैं।
गाँवों में आठ फुट तक पानी भरा है। बड़ी संख्या में आदिवासी और ग्रामीण नेशनल हाईवे के किनारे बने सरकारी फ्लड कैंप में आश्रय ले रहे हैं। असम में 47000 से ज्यादा लोग 287 रिलीफ कैंप में जीवन गुज़ारने पर मजबूर हैं।
क्यों आती है असम में हर साल बाढ़
जैसे ही बारिश का मौसम शुरू होता है, असम से बाढ़ की ख़बरें आने लगती हैं। साल दर साल सरकारें भले ही बदली हो लेकिन असम के हालात जस की तस है लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर असम में हर साल बाढ़ आती क्यों है? राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के मुताबिक, असम का 31 हजार 500 वर्ग किमी हिस्सा बाढ़ प्रभावित है. यानी करीब 40% हिस्सा बाढ़ की चपेट में है। इसकी बड़ी वजह ये है कि असम पूरी तरह से नदी घाटी पर ही बसा हुआ है। इसका कुल क्षेत्र फल 78 हजार, 438 वर्ग किमी है, जिसमें से 56 हजार, 194 वर्ग किमी ब्रह्मपुत्र नदी घाटी में है और बाकी 22 हजार, 244 वर्ग किमी बराक नदी घाटी में है।
आपको बता दें कि असम जहां से ब्रह्मपुत्र नदी बहती है, और हर साल ब्रह्मपुत्र नदी अपना रास्ता बदलती रहती है। ब्रह्मपुत्र की छोटी-बड़ी कुल 35 सहायक नदियां हैं। अरुणाचल प्रदेश से जब ये नदियां असम में प्रवेश करती हैं, तो पहाड़ी इलाके से सीधे मैदानी इलाके में आ जाती हैं, जिसकी वजह से तबाही ज्यादा होती है इसका सबसे बड़ा कारण है विकास के नाम पर जंगलों की बेतहासा कटाई। पहले नदी को खुली जगह मिलती थी बहने के लिए, लेकिन अब जगह – जगह बांध बनने लगे और नदी के बहाव को कम किया जा रहा है जिस कारण नदी का बहाव तेज़ हो गया।इस वजह से पानी या तो बांध से ऊपर बहने लगता है या कहीं से बांध जरा सा भी टुटे तो उस जगह को या गांव को जलमग्न कर देता है। हर साल बाढ़ की वजह से असम को करीब 200 करोड़ रुपए का नुकसान होता है।
कब कब बाढ़ से तबाही मची
बाढ़ में मरने वालों की संख्या साल दर साल
2012 में 124 लोगों की मौत
2015 में 42 लोगों की मौत
2016 में 28 लोगों की मौत
2017 में 82 लोगों की मौत
2018 में 12 लोगों की मौत
2020 में 120 लोगों की मौत हुई है।
खेती का कितना नुक्सान
सरकार के आंकड़े बताते हैं कि राज्य की 75% से ज्यादा की आबादी खेती-किसानी या खेती-मजदूरी पर निर्भर है। असम सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की सितंबर 2015 में एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 1954 से लेकर 2015 के बीच बाढ़ की वजह से असम में 3 हजार 800 वर्ग किमी की खेती की जमीन बर्बाद हो गई। 2010 से 2015 के बीच 880 गांव पूरी तरह से तबाह हो गए थे। इन 5 सालों के दौरान 36 हजार 981 परिवारों के घर भी तबाह हो गए थे।
तबाही में बारिश भी है जिम्मेदार
इन तबाही के लिए बारिश भी काफी हद तक जिम्मेदार है। कभी सूखा होता है तो कभी इतनी ज्यादा बारिश होती है की बाढ़ की स्थिति बन जाती है। असम पहाड़ी इलाका है। इस कारण जब भी पहाड़ों पर बारिश होती है, तो वो बहकर ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में आ जाता है। इससे पानी नदियों के किनारे बहने लगता है और बाढ़ का कारण बनता है। मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार 21 जुलाई तक भारी बारिश की आशंका जताई गई है। इसकी वजह से असम में बाढ़ के हालत और बिगड़ने की आशंका है।
Press Release on ‘Intense rainfall spell over Northern and Northeastern parts of India during 18th-21st July, 2020.’
The intense spell over NE India may accentuate existing flood conditions and also lead to landslides in some areas of NE states and Sub-Himalayan WB & Sikkim. pic.twitter.com/IzhXhDWgWS
— India Met. Dept. (@Indiametdept) July 17, 2020