आज हम आपकी मुलाकात टीकमगढ़ जिले के गाँव मस्तापुर में रहने वाली गायिका मीना राजपूत से करा रहे हैं। वह कहती हैं कि बचपन में जब गाँव में भजन-कीर्तन होते थे तो वह जाकर भजन सुनती थीं और साथ में गाया भी करती थीं। धीरे-धीरे वह गाना सीख गयीं। वह सभी प्रकार के गाने गाती हैं। जैसे- राई, लोकगीत,भजन,सौहरे, विवाह गीत आदि। जैसा कार्यक्रम होता है वह वैसा ही गीत गाती हैं।
जब वह पहली बार मंच पर गयी थी तो उन्हें काफी डर महसूस हुआ था। अभी तक वह बुंदेलखंड के कई जिलों में जा चुकी हैं और उन्हें कई जगह सम्मानित भी किया जा चुका है। वह बताती हैं कि उनके ग्रुप में आठ लोग हैं। जिसमें कलाकार, ढ़ोलक वाले, हारमोनियम वाले आदि लोग शामिल हैं। वह शादियों में भी प्रोग्राम करती हैं इसलिए बारहो महीने पैसे आते रहते हैं। साथ ही वह महिला व पुरुष गायकों से धार्मिक गीत गाने का निवेदन करती हैं।
गायिका ने बताया कि हम गायिकी कर रहे हैं हम इसलिए गायिकी करते हैं। बचपन से ही हमारे गांव में भजन कीर्तन होते थे तो हम उसी में जाकर भजन सुनते थे और साथ में गाया करते थे। ऐसे धीरे-धीरे फिर हम सीख गये फिर पार्टीयां करने लगे।हम सभी प्रकार के गीत संगीत गाते हैं।
जब हम पहली बार मंच पर गए थे तो उस समय काफी डर महसूस हो रहा था। इतनी जनता में कैसे गीत संगीत गाये। लेकिन जो मन में लगन और शौक था और हम बुंदेलखंड के कई जिलों में जा चुके हैं और कई जगह सम्मानित भी हुए हैं ।