आज सुबह कुछ सूत्रों से जानकारी मिली कि यूपी पुलिस ने आधी रात में परिवार की मौजूदगी के बिना पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया । पुलिस ने मंगलवार की रात अंधेरे में करीब 2.30 बजे अंतिम संस्कार किया। पुलिस ने पहले पूरे परिवार को एक कमरे में बंद किया और पूरे देश मे हो रहे विरोध के बाद भी पीड़िता का देह संस्कार जल्दबाज़ी में कर दिया।
HAPPENING NOW — #Hathras rape victim’s body has reached her native village, Boolgarhi in Hathras, where the horrific incident took place. SP, DM, Joint Magistrate all here accompanying the family. My camera person Wakar and I will get you all the updates all through the night pic.twitter.com/VxEWDVVpsU
— Tanushree Pandey (@TanushreePande) September 29, 2020
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः॥
अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां सब कुछ अच्छा होता है। वहीं अगर नारी का अपमान हो तो किये जाने वाले सारे काम बेकार होते हैं।
भारत देश मे तो नारी को माता का दर्ज़ा दिया गया। वहीं यूपी के जिला हाथरस में 20 साल की एक दलित लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है। गैंगरेप के दौरान उसकी जीभ भी काट दी गयी, रिड की हड्डी तोड़ दी गयी। आखिर कोई इतना अमानवीय कैसे हो सकता है।
यह घटना 14 सितंबर 2020 की है। घटना के बाद घायल पीड़िता को सबसे पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया। बाद में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जब यहां भी पीड़िता की हालत में सुधार नहीं आया , तो उसे दिल्ली के ही एम्स हस्पताल में भेजने की तैयारी की गयी। लेकिन एम्स जाने से पहले ही इलाज के दौरान 29 सितंबर की मंगलवार की सुबह ही उसने दम तोड़ दिया।
सूत्रों से यह बात सामने आयी कि पहले पीड़िता को गला घोंट कर मारने की कोशिश की गयी थी। इस दौरान उसने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की। इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी डॉक्टर गैंगरेप पीड़िता को नहीं बचा पाए।
पीटीआई एजेंसी ने बताया कि जब पीड़िता को अस्पताल लाया गया तो वह वेंटिलेटर पर थी, उसके दोनों पांवो को लकवा मार गया था और उसके हाथ ने भी पूरी तरह से काम करना बन्द कर दिया था।
यहां हुई थी घटना, दी गयी थी जान से मारने की धमकी
हाथरस के थाना चंदपा क्षेत्र के एक गांव में वह अपनी माँ के साथ खेत मे जानवरों के लिए चारा लेने गयी थी। आरोपी ने सबसे पहले उसे उसके ही दुप्पट्टे को गले मे फंसाकर खेतों में घसीटता है। आरोपी उसके ही गांव के चार लोग थे जिन्होंने मिलकर उसके साथ गैंगरेप किया और फिर उसे जान से मारने की कोशिश भी की। पीड़िता द्वारा चिल्लाने पर गांव के लोगों को आता देख सारे आरोपी मौके से फरार हो गए। पीड़िता ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवायी। हाथरस के पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर ने बताया कि इस मामले में चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, पीड़िता के परिवार वालों का आरोप है कि गांव में ठाकुर जाति के लोगों ने उन्नाव जैसी जघन्य घटना को दोहराने की बात करते हुए पीड़िता को जान से मारने की धमकी भी दी थी।
ये थे चार आरोपी
अस्पताल में पीड़िता ने पुलिस को अपने दिए बयान में चार लोगों के नाम बताए थे। जिसके अनुसार संदीप, रामू, रवि और लवकुश नाम के चारों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है। पुलिस ने एससी / एसटी एक्ट की धाराओं की तहत चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है।
हाथरस के पुलिस अधिकारी प्रकाश कुमार का कहना है कि आईपीसी की धारा 302 (मर्डर) भी एफआईआर में जोड़ी जाएगी। पीड़िता के परिवार को 4.12 लाख रुपये हरजाने के रूप में दिए जाएंगे।
2017 उन्नाव बलात्कार मामला
यूपी के उन्नाव में 4 जून 2017 को 17 साल की लड़की के साथ बलात्कार किया गया था। मामले के सामने आने के बाद यह एक बहुत बड़े विवाद का विषय भी बन गया। यूपी की ही सरकार यानी भाजपा के राज्य विधयाक कुलदीप सिंह सेंगर, उसके भाई और कुछ अन्य लोगों ने मिलकर युवा लड़की के साथ बलात्कार किया था। क्योंकि आरोपी सत्ताधारी और शक्तिशाली व्यक्ति था, उसने पीड़िता के पिता को ही झूठे आरोप में फंसाकर पुलिस हिरासत में ही उसकी पिटाई करवायी। जिसके बाद पीड़िता के पिता की मृत्यु हो गयी। शक्तिशाली होने की वजह से मामला लंबे समय तक चला। आखिर कार 20 दिसंबर 2019 कुलदीप सिंह सेंगर को उम्र कैद की सज़ा सुनाई गयी।
यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में आए बलात्कार के दो नए मामले
24 अगस्त 2020 को यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में फिर से एक 18 साल की लड़की के साथ बलात्कार मामला सामने आया। दोषी का नाम दिलशाद बताया गया था। पुलिस ने बताया कि दोषी लड़की के साथ पिछले कुछ महीनों से बात कर रहा था। 24 तारिख को जब लड़की बाज़ार गयी थी तो वह उससे बात करने की कोशिश कर रहा था । गर्मा–गर्मी में जब लड़की दोषी की बात नहीं सुनती तो वह उसका बलात्कार करता है। चाकू से मारकर उसकी हत्या कर देता है। दोषी इस वक़्त पुलिस की हिरासत में है।
लखीमपुर खीरी में हुआ 3 साल की बच्ची से बलात्कार
इस मामले के बाद ही लखीमपुर खीरी जिले से ही एक और बलात्कार की खबर आती है, जिसमें एक 3 साल की छोटी बच्ची के साथ 30 साल के आदमी ने बलात्कार किया है। जो कि बच्ची का पड़ोसी बताया जा रहा था। परिवार वालों ने बताया कि बच्ची को 3 सितंबर 2020 के दिन दोषी ने परिवार के साथ पुरानी रंजिश की वजह से अगवा कर लिया था। बाद में बच्ची अगले दिन यानी 4 सितंबर को गन्ने के खेत मे मृत हालत में पायी गयी। फिलहाल पुलिस की चार लोगों की टीम दोषी को पकड़ने में लगी हुई है।
एनसीआरबी 2020 की यूपी रिपोर्ट
एनसीआरबी की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार यूपी में 2016-19 के महिलाओं के प्रति होती घटनाओं में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही यूपी में हर दिन कम से कम 11 बलात्कार के मामले सामने आते हैं। 2018 – 3946 बलात्कार के मामले पंजीकृत किये गए थे जिसमें 4,322 आरोपियों में 1411 आरोपी 18 साल से कम उम्र के थे। 2017 – 4246 मामले थे जो कि मध्यप्रदेश के बाद सबसे ज़्यादा बलात्कार के मामले हैं जिसमे 1560 मामलों में आरोपी कम उम्र के थे।
2017 की एनसीआरबी की रिपोर्ट में यूपी को औरतों के लिए सबसे असुरक्षित राज्य माना गया था। सरकार द्वारा निकाले गए वार्षिक डाटा में बताया गया कि हर 15 मिनट में भारत मे एक बलात्कार होता है।
योगी आदित्यनाथ ने महिला सुरक्षा का किया था वादा
योगी आदित्यनाथ जब 2017 में यूपी के मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने कहा था कि वह महिलओं की सुरक्षा के लिए काम करेंगे। लेकिन उनके राज में अभी तक ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दिया है। बल्कि बलात्कार के मामले तो आए दिन राज्य में बढ़ते ही जा रहे हैं। पहले उन्नाव मामला, अभी हाथरस मामला, लखीमपुर खेरी मामला , गोरखपुर और भी बहुत सारे। जिनके बारे में अभी बड़े स्तर पर बात भी नहीं की जा रही है। दिल्ली में 2012 में हुआ निर्भया मामला सबसे ज़्यादा चर्चा में आया था, जिनके आरोपियों को सज़ा मिलने में सालों बीत गए। जिसके बाद भी बलात्कार की घटनाएं आए दिन और भी बुरी और दर्दनाक होती जा रही है।
जब 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने कहा था ” बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ” । लेकिन यहां बेटियाँ बच ही कहां रही हैं कि वह पढ़ पाएंगी। हर बलात्कार के मामले के बाद सिर्फ कुछ कानून बना दिये जाते हैं, लेकिन बलात्कार के मामलों में उनसे कुछ फर्क़ नहीं पड़ता।
जिस देश मे औरत को देवी, भगवान का दर्जा दिया जाता है, वहां रहने उनके लिए सबसे मुश्किल है। क्या यही सरकार की नीति है, दो कानून और एक नारे के साथ बेटियों को बचाने की? सरकार द्वारा बस पीड़िता के परिवार को कुछ रुपयों का मुआवजा दे दिया जाता है। क्या पीड़िता को यही चाहिए? इंसाफ़ को बस मुआवज़े के नाम पर कुछ और वक़्त के लिए दबा देना कोई सरकार से सीखे।
जब सरकार के ही सत्ताधारी लोhathraaग गुनहगार हो, तब तो इंसाफ़ पाने में ही उम्र निकल जाती है। एक तरफ़ परिवार द्वारा मना करने पर भी यूपी पुलिस उनकी बेटी का अंतिम संस्कार कर देती है। यहां तो सरकार साफ़ तौर पर मामलें को दबाते दिख रही है। आखिर कब तक सरकार ऐसे ही मामलों को दबाते रहेगी? पीड़िता के लिए इंसाफ तो बस एक लंबा इंतेज़ार बनकर रह गया। सरकार बस सांत्वना जताकर चुप हो जाती है। आखिर कब यूपी सरकार जागेगी और देखेगी उनका राज्य महिलाओं के रहने लायक नहीं है।