हाल ही में, यूपी के हाथरस में 20 साल की लड़की के साथ हुई बलात्कार की घटना सामने आयी थी, जिसमें सितंबर 29, 2020 को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गयी थी। देश अभी इस झटके से निकला ही नहीं था कि उसके तुरन्त बाद यूपी के ही दो जिले बलरामपुर और आज़मगढ़ से दो नए बलात्कार के मामले सामने आ जाते हैं। बलरामपुर, हाथरास से सिर्फ 500 किमी. की दूरी पर है, जहां दोबारा से बलात्कार की घटना देखने को मिली है।
जिसमें एक 22 साल की दलित लड़की और आठ साल की एक बच्ची के साथ जघन्य बलात्कार की घटना का पता चला है। दोनों ही घटना सितंबर 30, 2020 की है।
बलरामपुर में हुआ 22 साल की लड़की के साथ बलात्कार
22 साल की कॉलेज जाने वाली दलित छात्रा के साथ 30 सितंबर 2020 को हुआ बलात्कार का मामला सामने आया है। यह घटना यूपी के जिला बलरामपुर के कोतवाली क्षेत्र की है। घटना में दो आरोपी शामिल है।
घटना के दिन यहाँ गयी थी छात्रा
पीड़िता के परिवार के अनुसार, मंगलवार की सुबह वह पास के शहर में ही अपनी बी.कॉम की फीस भरने के लिए कॉलेज गयी थी । साथ ही में वह वह प्राइवेट उद्योग में भी काम करती थी।
बलात्कर के बाद आरोपी ने पीड़िता को रिक्शा से भेजा घर
परिवार से बात करके और पुलिस द्वारा दिए गए बयान के अनुसार शाहिद और साहिल नाम के दो लड़कें, बलात्कार के मामले में दोषी पाए गए हैं। जब आरोपियों ने पीड़िता को रिक्शा से घर भेजा, तो उसके परिवार वालों ने उसे अधमरा, ज़ख्मी और काफ़ी दर्द में पाया। साथ ही उसके हाथों में ग्लूकोस की ड्रिप भी लगी हुई थी। परिवार वालों ने बताया कि जब उन्होंने उसे देखा तो उसके दोनों पैरों की हड्डियां और रीढ़ की हड्डी बुरी तरह से टूटी हुई थी। वह बस इशारे में अपने परिवार से उसे अस्पताल ले जाने को कह रही थी। लेकिन अस्पताल ले जाते समय रास्तें में ही उसकी मौत हो गयी। परिवार वालों ने यह भी आरोप लगाया कि बलात्कार से पहले पीड़िता को किसी प्रकार का इंजेक्शन दिया गया था।
“मैं बच नहीं पाऊंगी” – पीड़िता के आखिरी शब्द
पीड़िता की मां ने बताया कि वह मुश्किल से ही कुछ बोल पा रही थी। लेकिन उसने टूटे–फूटे शब्दों में अपनी माँ से कहा ” मैं बहुत ज़्यादा दर्द में हूँ, मैं बच नहीं पाऊँगी“। इससे हमें यह अंदाजा हो सकता है कि आखिर कितने अमानवीय तरह से पीड़िता के साथ यह जघन्य अपराध किया गया होगा।
आरोपी हिरासत में, पोस्टमार्टम रिपोर्ट मे आया पैरों के टूटे न होने की रिपोर्ट
पीड़िता के भाई के शिकायत पर पुलिस ने दोनों आरोपी शाहिद और साहिल को पकड़ लिया है। दोंनो आरोपियों के खिलाफ़ समूह बलात्कार और मर्डर की चार्जशीट दायर की गयी है। वहीं पुलिस ने यह भी बताया कि पीड़िता की पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में यह बताया गया कि पीड़िता के पैर व रीढ़ की कोई भी हड्डी टूटी हुई नहीं पायी गयी है। जबकि पीड़िता की मां ने ऐसा होने का आरोप लगाया था।
किराने की दुकान में ले जाकर किया गया था बलात्कार
पुलिस ने बताया कि गसड़ी गांव के किराने की एक दुकान में बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया था। तहक़ीक़ात के दौरान पीड़िता की सैंडल कमरें के बाहर पायी गयी थी। साथ ही पूरे बलात्कार के मामले का मास्टरमाइंड किराने की दुकान का मालिक था।
आरोपी पीड़िता को परिवार का सदस्य बताकर ले गए थे अस्पताल
पुलिस जांच में यह पाया गया कि बलात्कार के बाद आरोपी पीड़िता को इलाज के लिए अस्पताल लेकर जाते हैं। लेकिन पीड़िता की हालत को देखकर डॉक्टर को शक़ होता है और वह इलाज करने से मना कर देता है। मीडिया द्वारा बातचीत के दौरान डॉक्टर ने कहा कि ” साहिल नाम का एक लड़का उन्हें 5 बजे फ़ोन करता है और अपने अंकल शाहिद की किराने की दुकान पर लेकर जाता है। वह मुझे पीड़िता को अपने परिवार का सदस्य बताते हुए इलाज करने के लिए कहते हैं। मैंने देखा की कमरा खाली है। मैं उनसे लड़की के बारे में पूछता हूँ। उन्होंने कहा कि वह किसी सरकारी कर्मचारी की बेटी है। मैंने उनसे कहा कि जब तक कोई और महिला या कोई बड़ा यहां नहीं होगा, मैं इलाज नहीं करूंगा। फिर उन्होंने मुझे वापस मेरे क्लिनिक जाने को कहा और कहा कि वह उसके पिता को फ़ोन करके बुलाने के बाद मेरे क्लिनिक में आएंगे। इसके बाद मुझे नहीं पाता कि वह कहां गए“।
डॉक्टर ने यह भी बताया कि “जब मैंने उसे देखा था तो वह सोफ़े पर लेटी हुई थी और पेट दर्द की शिकायत कर रही थी। मैंने उससे कहा कि बिना अभिभावक के वह उसका इलाज नहीं करेंगे। मैंने देखा तब उसके हाथों में ग्लूकोस की कोई ड्रिप भी नहीं लगी थी“।
यूपी के आज़मगढ़ में 8 साल की बच्ची से हुआ बलात्कार
यूपी के हाथरस और बलरामपुर के बाद यह तीसरी बलात्कार की घटना है जो एक के बाद एक सामने आयी है। यूपी के आज़मगढ़ के एक गांव और जियांपुर पुलिस स्टेशन क्षेत्र में आठ साल की एक बच्ची के साथ हुआ बलात्कार का एक और मामला सामने आया है। जिसमे 20 साल के व्यक्ति ने, जो की बच्ची के गांव से ही था ,बलात्कार के मामले में दोषी पाया गया है। पीड़ित बच्ची इस वक़्त अस्पताल में है और सुरक्षित है।
आरोपी, परिवार के जानने वालों में से था
आरोपी का पीड़ित बच्ची के घर पर रोज़ का आना–जाना था। परिवार भी आरोपी को अच्छे से जानता था। पहले वह बुधवार को पीड़िता की मां को बच्ची को अपने साथ लेकर जाने के लिए राज़ी कर लेता है। जिसके बाद वह बलात्कार जैसी दुष्ट घटना को अंजाम देता है – आज़मगढ़ के पुलिस अधिकारी सुधीर कुमार सिंह ने कहा।
पुलिस ने बताया जब आरोपी बच्ची को घर छोड़ देता है तो उसके बाद बच्ची अपने परिवार को पूरी वारदात के बारे में बताती है। जिसके बाद बच्ची का परिवार आरोपी के खिलाफ़ शिकायत दर्ज़ करता है। आरोपी को आईपीसी धारा के अंतर्गत गिरफ़्तार कर लिया गया है।
लगातार सामने आती बलात्कर की घटनाओं को देखते हुए देश सदमें में है। अपना गुस्सा दिखाते हुए कई जगहों पर लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन भी किया जा रहा है। ताकि सरकार सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दे।
हाथरस से पहले , ये सारे बलात्कार के मामले भी आए थे सामने
लेकिन इतने विरोध प्रदर्शन और सरकार से की गयी सारी याचनाये अब बेकार सी लगती है। 27 नवंबर 2019 हैदराबाद की प्रियंका रेड्डी, 17 जनवरी 2018, कठुआ बलात्कार मामला, 16 दिसंबर 2012, निर्भया मामला, 4 जून 2017, उन्नाव बलात्कार मामला और अब 14 सितंबर 2020 का यूपी के हाथरस का बलात्कर मामला। ये सारे वह मामले हैं जो पूरी दुनिया के सामने आए, मीडिया कवरेज भी मिली और लोगों द्वारा पूरे देश मे कई विरोध प्रदर्शन भी हुए। लेकिन, इसके बाद भी क्या कुछ बदलाव आया? क्या देश में बलात्कार के मामले कम हो गए? क्या महिलाएं इन सबके बाद सुरक्षित हो गयीं?
ये मामलें तो सिर्फ पिछले कुछ सालों के हैं। लेकिन इसके बाद भी सरकार की आंखे नहीं खुली है। अगर यूपी के हाथरस बलात्कार मामले में ही सरकार की प्रतिक्रिया देखें। पहले तो यूपी पुलिस पीड़िता के साथ हुए बलात्कार के सारे सबूतों को झूठा साबित कर देती है, उसके बाद बिना उसके परिवार की इच्छा के रातों–रात यूपी पुलिस द्वारा उसके शव को जला दिया जाता है। इन सब बातों का जवाब कौन देगा, जब राज्य की पुलिस ही मामले को दबाने में लगी है और पीड़िता को इंसाफ ही नहीं देना चाहती। वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बस मामले को लेकर सांत्वना देते दिखाई दिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था “बेटी बचाओ“। यहां सच मे अब देश की बेटियों को बचाने की ज़रूरत है क्योंकि राज्य सरकार, पुलिस और देश की सरकार , ये सब ही देश मे महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने में नाकामयाब रहे हैं। बलात्कार के मामले आए दिन एक आम घटना की तरह हो गए हैं। सरकार आखिर कब बनेगी जवाबदेह? बलात्कारियों के लिए सिर्फ कुछ सालों की सज़ा, कितनी जायज़ है? क्या कानूनों में बदलाव नहीं होना चाहिए? यहां बलात्कार के प्रावधानों और नियमों में बदलाव लाने की ज़रूरत है। अक्सर इन मामलों की सुनवाई में सालों निकल जाते हैं और जिसकी वजह से अधिकतर मामलों में पीड़िता की मौत हो जाती है और आरोपी बचकर निकल जाते हैं। क्या हम सरकार से सभी मामलों में तेज कार्यवाही और कड़े दण्ड को लेकर उम्मीद कर सकते है? या फिर हर बार की तरह मामला भी ऐसे ही किसी न किसी अधिकारी या पुलिस द्वारा ऐसे ही दबा दिया जाएगा।